रायपुर: सुंदरकांड में 526 चौपाइयां, 3 श्लोक और 60 दोहे हैं. इनका पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है. जीवन से निराशा दूर होती है, और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. हनुमान जी सुमति, बुद्धि, विद्या, बल और तेज प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं. सुंदरकांड के नियमित पाठ से आत्मबल बढ़ता है और उच्च मनोबल की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन से दुख और परेशानियां दूर होती हैं.
"कमजोर आत्मविश्वास वाले व्यक्ति को उच्च आत्मविश्वास प्राप्त होता है. जीवन से निर्धनता दूर होती है, साथ ही व्यक्ति के जीवन में उल्लास, उमंग और आत्मविश्वास का संचार होता है. जीवन में भय, चिंता, डर और सभी तरह के नकारात्मक वृत्तियों का नाश होता. साथ ही व्यक्ति प्रफुल्लित, प्रसन्नचित्त और एकाग्रमय होकर जीवन का आनंद लेता है. इस महामंत्र के पाठ से ही जीवन में प्रकाश का उजियारा होता है." : पंडित विनीत शर्मा
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सभी तरह की बाधाएं होती हैं दूर: सुंदरकांड का पाठ करने से सभी तरह के विघ्न, बाधा, दोष दूर होते हैं. जीवन में पाॅजिटिविटी आती है. सुंदरकांड का नियमित पाठ करने पर जीवन की दशा और दिशा पर दोनों में ही सुधार देखने को मिलता है. सुंदरकांड व्यक्तित्व में सभी तरह के बदलाव लाता है और आने वाली चुनौतियों से लड़ने में अद्भुत शक्ति प्रदान करता है. जब कोई भी रास्ता नजर ना आ रहा हो, सभी तरह से द्वार बंद हो चुके हों, तब सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के यश, कीर्ति और ख्याति का फैलाव होता है.
कौन से दिन करें सुंदरकांड का पाठ: ज्योतिषाचार्य पंडित विनीत शर्मा के मुताबिक जीवन में हनुमान जी की विशिष्ट कृपा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ मंगलवार और शनिवार को नियमित रूप से आस्था के साथ करना चाहिए.
सुंदर कांड पाठ का महत्व:
- रामायण में सुंदरकांड को श्रेष्ठ अध्याय माना गया
- इसका पाठ करने से दुश्मनों पर विजय मिलती है
- जीवन में हर सुख की प्राप्ति के लिए सुंदर कांड पाठ जरूरी
- घर में हर तरह की विपत्ति, बाधाएं और अशुभता का होता है नाश
- कुंडली में मौजूद सभी अशुभ स्थिति को दूर करने के लिए यह जरूरी
- पाठ से धन, संपत्ति , सुख वैभव और मान सम्मान की होती है प्राप्ति
- सुंदरकांड से जातक के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति में होता है इजाफा