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शिवसेना प्रमुख ने दिलीप कुमार को मिले पाक सर्वोच्च नागरिक सम्मान का विरोध क्यों किया?

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Published : Jul 7, 2021, 4:06 PM IST

दिलीप कुमार (Dilip Kumar) को 1998 में पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान (Pakistan's highest civilian award ) 'निशान-ए-इम्तियाज' से नवाजा था. लेकिन दिवंगत शिवसेना प्रमुख (late Shiv Sena chief ) बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने इसका कड़ा विरोध किया था.

डिजाइन फोटो
डिजाइन फोटो

मुंबई : दिलीप कुमार (Dilip Kumar) को 1998 में पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान (Pakistan's highest civilian award ) 'निशान-ए-इम्तियाज' मिलने के बाद दिवंगत शिवसेना प्रमुख (late Shiv Sena chief ) बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने इसका कड़ा विरोध किया था. इस मुद्दे पर उस समय काफी बवाल हुआ था.

पाकिस्तान के पुरस्कार को लेकर क्या था विवाद?
1998 में दिलीप कुमार को पाकिस्तान द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान-ए-इम्तियाज (Nishan-e-Imtiaz) से सम्मानित किया गया था. उसके बाद अगले साल भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध (Kargil War) छिड़ गया.

इसके बाद दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने मांग की थी कि दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान लौटाना चाहिए और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाया. हालांकि, कुमार ने इससे इनकार किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) से मुलाकात की.

इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कुमार के सम्मान को बरकरार रखा और साफ कर दिया कि उनकी देशभक्ति पर शक करने की कोई जरूरत नहीं है. खास बात यह है कि उस समय राज्य में शिवसेना-भाजपा (Shiv Sena-BJP ) गठबंधन की सरकार थी.

शिवसैनिकों ने किया था अंडरवीयर मूवमेंट
बालासाहेब के विरोध के बाद शिवसैनिकों ने दिलीप कुमार के घर के सामने अंडरवियर आंदोलन किया था. इससे पहले बालासाहेब और दिलीप कुमार की अच्छी दोस्ती थी. दोनों एक दूसरे के घर आ-जा रहे थे. हालांकि, बालासाहेब ने पुरस्कार का कड़ा विरोध किया. इस विवाद पर दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा 'द सबस्टेंस ऑफ शैडो' (The Substance of Shadow) में भी लिखा है.

पढ़ें - PM समेत दिग्गजों ने किया 'ट्रेजेडी किंग' को आखिरी सलाम

राजकीय सम्मान के साथ होगी अंतिम संस्कार
इस बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने घोषणा की है कि दिलीप कुमार के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरे सरकारी सम्मान के साथ किया जाएगा. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने दिलीप कुमार को श्रद्धांजलि भी दी.

मुंबई : दिलीप कुमार (Dilip Kumar) को 1998 में पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान (Pakistan's highest civilian award ) 'निशान-ए-इम्तियाज' मिलने के बाद दिवंगत शिवसेना प्रमुख (late Shiv Sena chief ) बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने इसका कड़ा विरोध किया था. इस मुद्दे पर उस समय काफी बवाल हुआ था.

पाकिस्तान के पुरस्कार को लेकर क्या था विवाद?
1998 में दिलीप कुमार को पाकिस्तान द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान-ए-इम्तियाज (Nishan-e-Imtiaz) से सम्मानित किया गया था. उसके बाद अगले साल भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध (Kargil War) छिड़ गया.

इसके बाद दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने मांग की थी कि दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान लौटाना चाहिए और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाया. हालांकि, कुमार ने इससे इनकार किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) से मुलाकात की.

इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कुमार के सम्मान को बरकरार रखा और साफ कर दिया कि उनकी देशभक्ति पर शक करने की कोई जरूरत नहीं है. खास बात यह है कि उस समय राज्य में शिवसेना-भाजपा (Shiv Sena-BJP ) गठबंधन की सरकार थी.

शिवसैनिकों ने किया था अंडरवीयर मूवमेंट
बालासाहेब के विरोध के बाद शिवसैनिकों ने दिलीप कुमार के घर के सामने अंडरवियर आंदोलन किया था. इससे पहले बालासाहेब और दिलीप कुमार की अच्छी दोस्ती थी. दोनों एक दूसरे के घर आ-जा रहे थे. हालांकि, बालासाहेब ने पुरस्कार का कड़ा विरोध किया. इस विवाद पर दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा 'द सबस्टेंस ऑफ शैडो' (The Substance of Shadow) में भी लिखा है.

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राजकीय सम्मान के साथ होगी अंतिम संस्कार
इस बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने घोषणा की है कि दिलीप कुमार के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरे सरकारी सम्मान के साथ किया जाएगा. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने दिलीप कुमार को श्रद्धांजलि भी दी.

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