शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए हर उम्र में सही पोषण की आवश्यकता होती है| विशेष तौर पर महिलाओं के लिए सही खानपान की अहमियत ज्यादा होती है क्योंकि उन्हें उम्र के लगभग हर चरण में शरीर में विभिन्न प्रकार के बदलावों का सामना करना पड़ता है। जब महिलाएं 40 साल की उम्र के पड़ाव पर पहुंचती हैं, तो उनके शरीर में विभिन्न प्रकार के पोषण की कमी होने लगती है| ऐसे में बहुत जरूरी है कि उनका खानपान शरीर की जरूरत के अनुसार हो। 40 साल की उम्र तक पहुंचने के उपरांत महिलाओं का खानपान कैसा हो इस संबंध में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने पोषण विशेषज्ञ डॉक्टर संगीता मालू से बात की।
आहार पर ध्यान जरूरी
डॉक्टर संगीता मालू बताती हैं कि जैसे ही महिलाएं 40 की उम्र पार करती है, उनके शरीर का मेटाबॉलिज्म कम होने लगता है साथ ही उनके हारमोंस में भी कमी आनी शुरू हो जाती है। इसके साथ ही उनकी पाचन क्रिया पर भी प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर महिलाओं में 45 से 50 साल के बीच में मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति भी होती है, हालांकि कई बार यह अवस्था महिलाओं में 45 साल से पहले ही अपने लक्षण दिखाना शुरू कर देती है। इनसे तथा इन जैसी बहुत सी समस्याओं से शरीर को बचाने के लिए बहुत जरूरी है कि महिलाएं अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें। जिसमें कैलोरी कम हो लेकिन कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और फाइबर की मात्रा ज्यादा हो।
नियंत्रित और संतुलित हो आहार
40 की उम्र के बाद शरीर का मेटाबोलिज्म धीमा होने लगता है। इसलिए आहार पर नियंत्रण जरूरी है। इस उम्र में महिलाओं को कैफीन व अल्कोहल का सेवन कम कर देना चाहिए। क्योंकि कैफीन व अल्कोहल मीनोपॉज की स्तिथि को बढ़ावा देते हैं, वहीं अल्कोहल दिल व गुर्दों को प्रभावित करता है। इसके अलावा मीठा और नमक दोनों का कम मात्रा में सेवन फायदेमंद होता है। चूंकि इस उम्र में आमतौर पर हमारे शरीर की गतिविधियां कम होने लगती हैं| ऐसे में अगर हम ज्यादा मात्रा में खाते हैं तो भोजन का पाचन सही तरह से नहीं हो पाता है। इसलिए जरूरी है की शरीर की सक्रियता के अनुसार ही भोजन की मात्रा ग्रहण की जाय।
आहार में कम हो कैलोरी और फैट
डॉ. मालू बताती हैं की मेटबालिज़्म में गड़बड़ी, आहार में असंतुलन, हार्मोन्स में समस्या हो या कोई रोग, 40 साल की आयु के बाद महिलाओं में अलग-अलग कारणों से वजन बढ़ने की समस्या नजर आने लगती है। इस समस्या पर नियंत्रण के लिये कैलोरी कंट्रोल जरूरी है। कैलोरी हमारे शरीर में ज्यादातर कार्ब तथा फैट से जाती है। इस उम्र में महिलाओं को प्रतिदिन 2000 से 2500 कैलोरी की जरूरत होती है।
हमारे भारतीय खाने में फैट यानी घी/तेल का इस्तेमाल काफी ज्यादा होता है। लेकिन प्रतिदिन 25 से 30 ग्राम तेल या घी का सेवन 40 वर्ष की उम्र के पश्चात महिलाओं के शरीर के लिये काफी लेकीन जरूरी होता है। बाकी के फैट की आपूर्ति भोजन से मिलने फैट से हो जाती है।
प्रोटीन
डॉ. मालू बताती हैं की यह सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। आमतौर पर 40 की उम्र के बाद न सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों में भी प्रोटीन का डिजेनेरेशन (कमी होना) शुरू हो जाता है। जबकि इस समय शरीर को प्रोटीन की ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे में 0.8 से 1 ग्राम वजन प्रति किलो के अनुसार लेना चाहिए। यह आपूर्ति शाकाहार और मांसाहार दोनों प्रकार के भोजन से की जा सकती है। लेकिन यह जानना भी ज़रूरी है की शाकाहार से मिलने वाला प्रोटीन तुलनात्मक रूप से बेहतर होता है। इसके लिये डेयरी उत्पाद जैसे दूध, दही, दालें, बीन्स का सेवन किया जा सकता है।
कैल्शियम / विटामिन डी
प्रोटीन के साथ महिलाओं में 40 के बाद कैल्शियम का हनन यानी कमी होनी भी शुरू होने लगती है। जिसका एक कारण हार्मोन में परिवर्तन भी होता है। ऐसे में शरीर की हड्डियों में कैल्शियम के पोषण को सोखने की क्षमता भी कम होने लगती है। शरीर में कैल्शियम की कमी से हड्डियों से जुड़ी समस्याएं भी होने लगती हैं। इसलिए कैल्शियम की आपूर्ति के लिये प्रतिदिन के आहार में अलग-अलग प्रकार के अनाजों, डेयरी उत्पादों और फलों को शामिल करना चाहिए।
उम्र के साथ विटामिन डी की कमी की वजह से शरीर के अंगों की कार्य क्षमता पर भी असर पड़ता है। विटामिन डी की कमी होने से हृदय रोग, मधुमेह, ब्रेस्ट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा भी बढ़ने लगता है। ऐसे में महज विटामिन डी की कमी को पूरा करके कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता हैं। विटामिन डी के लिए कई खाद्य सामग्री मौजूद होती है लेकिन एक उम्र के बाद भोजन से इन्हें प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल है। ऐसे में चिकित्सीय सलाह पर विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए विटामिन डी3 के सप्लीमेंट्स लिए जा सकते हैं।
आयरन
डॉ. मालू बताती हैं, महिलाओं में यूं तो आयरन की कमी हर उम्र में देखने में आती है लेकिन 40 के बाद आमतौर पर यह समस्या बढ़ जाती है। ऐसे में महिलाओं को गुड, गन्ने का रस्, पत्तेदार सब्जियों, अनार, तिल, अलसी और मूंगफली का सेवन ज्यादा मात्रा में करना चाहिए।
मैग्नीशियम
मैग्नीशियम एक ऐसा खनिज है, जिसके जरिए ना केवल आपका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। यह विटामिन डी की सहायता से कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने का काम भी करता है। लेकिन हमारे आहार में मैग्नीशियम की मात्रा बेहद कम होती है। ऐसे में यदि जरूरत लगे तो चिकित्सीय सलाह पर मैग्नीशियम का सप्लीमेंट लिया जा सकता है।
डाइट प्लान कैसे करें
भारतीय महिला को अपने डाइट को इस आधार पर प्लान कर सकती हैं।
- सुबह के नाश्ते में दूध, ओट्स या फल में पपीता, अनार, सेब आदि ले सकती हैं।
- इसके अलावा ग्रीन टी, उबला अंडा, रागी, इडली, उपमा का सेवन कर चाय ले सकती हैं।
- दोपहर के भोजन में चपाती, चावल-दाल, दही, भुना पापड़, खजूर-बेसन का लड्डू आदि ले सकती हैं।
- शाम 4 बजे दूध या चाय के साथ दो नमकीन बिस्कुट और शाम के 6 बजे हल्का फुल्का, कम मात्रा में नाश्ता जैसे ढोकला खा सकती हैं।
- रात के भोजन में एक कटोरी दाल/सब्जी, दो चपाती या सुप, फलों/सब्जियों का सलाद या रस लिया जा सकता है।
- डॉ. मालू बताती है की वैसे तो रात का खाना यदि सूर्यास्त के समय, 6:30 से 7:00 के बीच ले लिया जाए, तो यह आदर्श स्तिथि होती है। लेकिन यदि नौकरी या किसी अन्य कारण से खाने में देरी हो तो सरलता से पचने वाला भोजन कम मात्रा खाना बेहतर होता है, जैसे दलिया, खिचड़ी या सूप आदि।
इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए dr.sangeetamalu@gmail.com या smart6sangeeta@yahoo.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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