कोरबा : देश तरक्की के रास्ते पर सरपट दौड़ रहा है. नए जमाने के हिसाब वाले इंफ्रास्ट्रक्चर, चमचमाती सड़कें और चिकित्सा शिक्षा की उत्तम व्यवस्था सामान्य लगने लगी है. अब जरा ठहरिए. ये आप के लिए सामान्य होगा, लेकिन देश के बहुत से आदिवासी इलाके अस्पताल, स्कूल तो छोड़िए, अच्छी सड़क तक के लिए तरस रहे हैं. देश और समाज का एक तबका पीछे छूटता जा रहा है. उन्हें साथ लाने के लिए ही तो पीएम मोदी ने जनवरी 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) की शुरुआत की.
मुख्यधारा से जुड़ने को बताया सामाजिक न्याय: पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान आकांक्षी जिलों का जिक्र किया. पिछड़े जिलों के विकास के लिए नीति आयोग की ओर आकांक्षी जिले बनाने की बात कही. साथ ही वर्षों से पिछड़े दलित और गरीब तबके के लोगों के विकास की मुख्यधारा से जुड़ने का दावा किया. पीएम मोदी ने इसे ही सामाजिक न्याय बताया.
क्या है आकांक्षी जिला कार्यक्रम और क्यों शुरू हुई योजना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2018 में आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) शुरू किया. इसका मकसद देशभर के 112 सबसे पिछड़े जिलों को तेजी और प्रभावी तरीके से विकसित करना है. जिलों को पहले अपने राज्य के सर्वश्रेष्ठ जिलों में से एक बनने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाता है. फिर बाद में दूसरे राज्यों के जिलों से प्रतिस्पर्धा करके और उनसे सीखकर देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक बनने की आकांक्षा की जाती है. इसके लिए स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास सहित बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत 49 प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (की परफार्मेंस इंडीकेटर) तय किए गए हैं.
देशभर में 112 और छत्तीसगढ़ में 10 आकांक्षी जिले: देशभर में 112 जिलों को नीति आयोग ने आकांक्षी जिला घोषित किया है. इनमें छत्तीसगढ़ के 10 जिले शामिल हैं. 11 मंत्रालयों को एकसाथ मिलाकर प्राथमिकता वाले 5 क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं. इन्हीं क्षेत्रों में होने वाले कार्यों के आधार पर आकांक्षी जिलों में विकास कार्यों का आंकलन किया जाता है. खासतौर पर केंद्र पोषित योजनाओं की धरातल पर क्या स्थिति है, उनके लिए यह एक माइक्रो ऑब्जर्वेशन वाली योजना है.
सुकमा और बीजापुर ने लगाई लंबी छलांग: नीति आयोग हर महीने आकांक्षी जिलों की रैंकिंग घोषित करता है. अप्रैल माह में जो रैंकिंग जारी हुई है, उसमें कोरबा और महासमुंद जिले काफी पिछड़े हुए हैं. जबकि धुर नक्सल क्षेत्र सुकमा और बीजापुर ने रैंकिंग में लंबी छलांग लगाई है और वह टॉप टेन में शामिल हो गए हैं. आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिंग में बीजापुर छत्तीसगढ़ में सबसे आगे है. देशभर के 112 जिलों में बीजपुर को 5वां स्थान मिला है. जबकि सुकमा इससे कुछ पीछे 8वें पायदान पर है. इसी तरह दंतेवाड़ा 18वें, कोंडागांव 20वें तो वहीं बस्तर 26वें स्थान पर है. नक्सल क्षेत्र में शामिल इन जिलों में प्राथमिक क्षेत्रों में बढ़िया काम होने की कारण ही नीति आयोग ने इन्हें अच्छी रैंकिंग दी है.
कोरबा 86 तो महासमुंद 100वें पायदान पर: आकांक्षी जिलों की ताजा रैंकिंग में छत्तीसगढ़ के 10 जिलों में कोरबा और महासमुंद जिले काफी नीचे खिसक गए हैं. कोरबा को ताजा रैंकिंग में 86वां स्थान मिला है, जबकि महासमुंद को 94वां. नारायणपुर की स्थिति ताजा रैंकिंग में सबसे ज्यादा खराब है. नारायणपुर 112 जिलों में 100वें नंबर पर है. हालांकि अधिकारियों की मानें तो आकांक्षी जिलों के लिए जारी रैंकिंग काफी हद तक डाटा एंट्री पर आधारित होती है. सही समय पर डाटा एंट्री नहीं हो पाने और तकनीकी खामियों के कारण भी रैंकिंग प्रभावित होती है.
सांख्यिकी विभाग से ही आकांक्षी जिलों की रैंकिंग जारी होती है. कैश क्रॉप को इसमे काफी प्राथमिकता दी जाती है. अभी इसकी बुवाई नहीं हुई है. कुछ काम अभी फ्लोर पर हैं, जो पूरे होने की ओर हैं. इसलिए इनकी एंट्री नहीं हो पाई है. इसलिए रैंकिंग में हम थोड़े पिछड़े हुए हैं. हालांकि हम लगातार बढ़िया काम कर रहे हैं. किसानों को केंद्र और राज्य दोनों ही योजनाओं का लाभ मिल रहा है. -डीपीएस कंवर, सहायक उप संचालक, कृषि विभाग कोरबा
इस तरह तय होती है आकांक्षी जिलों की रैंकिंग: नीति आयोग की ओर से पिछड़े जिलों में हुए विकास के कामों के आधार पर 5 पैरामीटर तय किए गए हैं. रैंकिंग के लिए स्वास्थ्य और पोषण में 30 परसेंट, शिक्षा में 30, कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों के लिए 20, वित्तीय समावेश के लिए 10 और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 10 परसेंट वेटेज का पैमाना रखा गया है. नीति आयोग की ओर से सभी जिलों को उनके यहां हुए विकास के कामों की रिपोर्टिंग के लिए एक फॉर्मेट दिया गया है. जिलों से इसी फार्मेट में रोजाना रिपोर्टिंग की जाती है. नीति आयोग हर महीने इसकी समीक्षा की जाती है. समीक्षा के आधार पर जिलों के डेवलपमेंट के हिसाब से रैंकिंग तय होती है.