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IT Raid vs IT Survey : इनकम टैक्स रेड और इनकम टैक्स सर्वे में क्या है अंतर, जानें

इनकम टैक्स रेड और इनकम टैक्स सर्वे में क्या अंतर होता है. क्या रेड और सर्वे को एक ही माना जाए, या फिर ये दोनों अलग-अलग हैं, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

IT Raid IT survey
आईटी रेड आईटी सर्वे
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Published : Feb 14, 2023, 7:50 PM IST

Updated : Feb 14, 2023, 8:02 PM IST

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने मंगलवार को बीबीसी के दफ्तर पर दस्तक दिया. उनके दिल्ली और मुंबई, दोनों जगहों पर आईटी की टीम पहुंची. इनकम टैक्स की टीम ने उनके दफ्तर का सर्वे किया. ऐसे में आप यह जरूर जानना चाहते होंगे कि क्या इनकम टैक्स सर्वे, इनकम टैक्स रेड से अलग होता है या फिर दोनों एक ही होते हैं. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.

इनकम टैक्स सर्च और सीजर - जब भी टैक्स चोरी मामले को लेकर शिकायत आती है, या फिर संदेह होता है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट किसी भी कंपनी के दफ्तर या व्यक्ति के घर की तलाशी लेता है. उस बिल्डिंग की तलाशी ली जाती है, जहां दफ्तर है. जिस जगह पर बिजनेस किया जा रहा है, उस भवन की भी तलाशी ली जाती है. उसकी जांच भी की जाती है. उनका उद्देश्य यह रहता है कि कहीं कंपनी अपनी आमदनी छिपाने का प्रयास तो नहीं कर रही है. इस दौरान आईटी विभाग दस्तावेज, पॉपर्टी और अन्य कागजात को जब्त कर सकता है. बोलचाल की भाषा में इसे आईटी रेड कहते हैं. हालांकि, आईटी एक्ट 1961 में 'रेड' शब्द का उल्लेख नहीं है. आईटी एक्ट की धारा 132 के तहत पूरी कार्रवाई की जाती है

इनकम टैक्स सर्वे - इनकम टैक्स सर्वे या सर्वेक्षण में भी टैक्स अधिकारी ही शामिल होते हैं. वे छिपी हुई या फिर अनरिपोर्टेड इनकम के बारे में पता लगाते हैं. उनका मुख्य उद्देश्य इनसे जुड़ी सूचनाओं को एकत्रित करना होता है. वे यह भी सर्वे करते हैं कि अमुक व्यक्ति या कंपनी का अकाउंट सही है या नहीं, उनका खाता अपडेटेड है या नहीं. यह आईटी एक्ट की धारा 133A द्वारा गाइडेड होता है. आईटी एक्ट 1961 में संशोधन करके इसे 1964 को जोड़ा गया था. बाद में 2002 में भी इससे संबंधित कई संशोधन किए गए थे.

सर्च के दौरान हो सकती है जब्ती - सर्च के दौरान अन-अकाउंटेड संपत्ति मिलने पर उसकी जब्ती भी की जा सकती है. हालांकि, अगर प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ या फिर प्रताड़ना की गई, तो अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है.

सर्वे का समय निश्चित - इनकम टैक्स सर्वे का समय निश्चित होता है. आप सिर्फ बिजनेस आवर में सर्वे कर सकते हैं. जबकि इनकम टैक्स सर्च किसी भी समय पर किया जा सकता है. सर्च के दौरान अगर आपने सहयोग नहीं किया तो इनकम टैक्स अधिकारी दरवाजे और खिड़की भी तोड़ सकते हैं. परंतु, सर्वे के दौरान ऐसा आप नहीं कर सकते हैं.

क्या है उद्देश्य - सर्च और सीजर का मुख्य उद्देश्य अवैध तरीके से जमा की गई संपत्ति का पता लगाना है और उससे संबंधित दस्तावेजों को हासिल करना है. सर्वे को आप सर्च और सीजर का 'जेंटल' वर्जन कह सकते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य सूचनाओं को इकट्ठा करना है. सर्वे सिर्फ वहीं पर होता है, जहां पर बिजनेस को कंडक्ट किया जा रहा है.

लॉक को तोड़ा जा सकता है - स्टॉक-इन-ट्रेड को छोड़कर, इनकम टैक्स अधिकारी सर्च के दौरान कोई भी डॉक्यूमेंट जब्त कर सकते हैं. संपत्ति भी जब्त की जा सकती है. लॉक को भी तोड़ा जा सकता है. इस दौरान अधिकारी चाहें तो पुलिस की मदद ले सकते हैं. या फिर किसी भी अन्य केंद्रीय अधिकारियों की मदद ली जा सकती है.

सर्वे के दौरान मिल सकती है राहत - 2002 के वित्त अधिनियम से पहले, सर्वे के दौरान अधिकारियों को किसी भी संपत्ति को लेने का कोई अधिकार नहीं था. पर अब वे संबंधित दस्तावेज को जब्त कर सकते हैं. लेकिन उन्हें इसकी वजह बतानी होगी. इन दस्तावेजों को 10 दिन से अधिक पास में नहीं रखा जा सकता है. हां, अगर वरिष्ठ अधिकारी की सहमति हो, तो दस्तावेज को पास में रखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें : IT Raid At BBC Office : कांग्रेस ने कहा-आलोचना से डरी सरकार, भाजपा ने याद दिलाया इंदिरा का कार्यकाल

नई दिल्ली : आयकर विभाग ने मंगलवार को बीबीसी के दफ्तर पर दस्तक दिया. उनके दिल्ली और मुंबई, दोनों जगहों पर आईटी की टीम पहुंची. इनकम टैक्स की टीम ने उनके दफ्तर का सर्वे किया. ऐसे में आप यह जरूर जानना चाहते होंगे कि क्या इनकम टैक्स सर्वे, इनकम टैक्स रेड से अलग होता है या फिर दोनों एक ही होते हैं. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.

इनकम टैक्स सर्च और सीजर - जब भी टैक्स चोरी मामले को लेकर शिकायत आती है, या फिर संदेह होता है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट किसी भी कंपनी के दफ्तर या व्यक्ति के घर की तलाशी लेता है. उस बिल्डिंग की तलाशी ली जाती है, जहां दफ्तर है. जिस जगह पर बिजनेस किया जा रहा है, उस भवन की भी तलाशी ली जाती है. उसकी जांच भी की जाती है. उनका उद्देश्य यह रहता है कि कहीं कंपनी अपनी आमदनी छिपाने का प्रयास तो नहीं कर रही है. इस दौरान आईटी विभाग दस्तावेज, पॉपर्टी और अन्य कागजात को जब्त कर सकता है. बोलचाल की भाषा में इसे आईटी रेड कहते हैं. हालांकि, आईटी एक्ट 1961 में 'रेड' शब्द का उल्लेख नहीं है. आईटी एक्ट की धारा 132 के तहत पूरी कार्रवाई की जाती है

इनकम टैक्स सर्वे - इनकम टैक्स सर्वे या सर्वेक्षण में भी टैक्स अधिकारी ही शामिल होते हैं. वे छिपी हुई या फिर अनरिपोर्टेड इनकम के बारे में पता लगाते हैं. उनका मुख्य उद्देश्य इनसे जुड़ी सूचनाओं को एकत्रित करना होता है. वे यह भी सर्वे करते हैं कि अमुक व्यक्ति या कंपनी का अकाउंट सही है या नहीं, उनका खाता अपडेटेड है या नहीं. यह आईटी एक्ट की धारा 133A द्वारा गाइडेड होता है. आईटी एक्ट 1961 में संशोधन करके इसे 1964 को जोड़ा गया था. बाद में 2002 में भी इससे संबंधित कई संशोधन किए गए थे.

सर्च के दौरान हो सकती है जब्ती - सर्च के दौरान अन-अकाउंटेड संपत्ति मिलने पर उसकी जब्ती भी की जा सकती है. हालांकि, अगर प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ या फिर प्रताड़ना की गई, तो अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है.

सर्वे का समय निश्चित - इनकम टैक्स सर्वे का समय निश्चित होता है. आप सिर्फ बिजनेस आवर में सर्वे कर सकते हैं. जबकि इनकम टैक्स सर्च किसी भी समय पर किया जा सकता है. सर्च के दौरान अगर आपने सहयोग नहीं किया तो इनकम टैक्स अधिकारी दरवाजे और खिड़की भी तोड़ सकते हैं. परंतु, सर्वे के दौरान ऐसा आप नहीं कर सकते हैं.

क्या है उद्देश्य - सर्च और सीजर का मुख्य उद्देश्य अवैध तरीके से जमा की गई संपत्ति का पता लगाना है और उससे संबंधित दस्तावेजों को हासिल करना है. सर्वे को आप सर्च और सीजर का 'जेंटल' वर्जन कह सकते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य सूचनाओं को इकट्ठा करना है. सर्वे सिर्फ वहीं पर होता है, जहां पर बिजनेस को कंडक्ट किया जा रहा है.

लॉक को तोड़ा जा सकता है - स्टॉक-इन-ट्रेड को छोड़कर, इनकम टैक्स अधिकारी सर्च के दौरान कोई भी डॉक्यूमेंट जब्त कर सकते हैं. संपत्ति भी जब्त की जा सकती है. लॉक को भी तोड़ा जा सकता है. इस दौरान अधिकारी चाहें तो पुलिस की मदद ले सकते हैं. या फिर किसी भी अन्य केंद्रीय अधिकारियों की मदद ली जा सकती है.

सर्वे के दौरान मिल सकती है राहत - 2002 के वित्त अधिनियम से पहले, सर्वे के दौरान अधिकारियों को किसी भी संपत्ति को लेने का कोई अधिकार नहीं था. पर अब वे संबंधित दस्तावेज को जब्त कर सकते हैं. लेकिन उन्हें इसकी वजह बतानी होगी. इन दस्तावेजों को 10 दिन से अधिक पास में नहीं रखा जा सकता है. हां, अगर वरिष्ठ अधिकारी की सहमति हो, तो दस्तावेज को पास में रखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें : IT Raid At BBC Office : कांग्रेस ने कहा-आलोचना से डरी सरकार, भाजपा ने याद दिलाया इंदिरा का कार्यकाल

Last Updated : Feb 14, 2023, 8:02 PM IST
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