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West Bengal News: बंगाल सरकार ने अमर्त्य सेन के नाम दर्ज कराई 1.38 एकड़ जमीन, विश्वभारती ले सकती है कानून का रास्ता - तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष

पश्चिम बंगाल सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने नाम पर जमीन को दर्ज करा दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार उनके पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन की वसीयत में 1.38 एकड़ जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज की गई.

Nobel Prize winning economist Amartya Sen
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन
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Published : Mar 20, 2023, 9:50 PM IST

बोलपुर: विवादों के बीच एक आवेदन के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के नाम पूरी जमीन दर्ज करा दी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार उनके पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन की वसीयत में 1.38 एकड़ जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज की गई. तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के रिकॉर्ड की जानकारी पहले ही ट्वीट कर चुके हैं. कुणाल घोष ने ट्वीट किया, 'माननीय मुख्यमंत्री नोबेल पुरस्कार विजेता के बगल में हैं.'

तृणमूल प्रवक्ता की घोषणा के बाद विश्वभारती के कार्यवाहक सचिव अशोक महत ने यह बात कही कि अगर अमर्त्य सेन या उनके प्रतिनिधि ने 29 मार्च को व्यक्तिगत रूप से भूमि के दस्तावेज नहीं भेजे, तो विश्वविद्यालय अगले कदम के रूप में कानूनी रास्ता अपनाएगा. संयोग से, विश्वभारती के अधिकारी अपने पिता दिवंगत आशुतोष सेन की वसीयत के अनुसार अमर्त्य सेन के भूमि पंजीकरण के आवेदन को खारिज करने के लिए भूमि और भूमि सुधार विभाग को दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहे.

वास्तव में, पंडित क्षितिमोहन सेन विश्वभारती की स्थापना में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के सहयोगी थे. वे नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के दादा हैं. यहां तक कि 'अमर्त्य' का नाम भी विश्व कवि ने ही रखा था. सेन परिवार कविगुरु के समय से शांतिनिकेतन में 'प्रातीची' घर में रह रहा है. 1943 में, अमर्त्य सेन के पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन के नाम पर भूमि को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर दिया गया था.

बाद में 2005 में, इस भूमि को अमर्त्य सेन के नाम पर म्यूट कर दिया गया था. विश्वभारती के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि बगल के घर में 13 डिसमिल भूमि पर कब्जा कर लिया गया है. विश्वभारती प्राधिकरण ने प्रोफेसर सेन को 3 पत्र भेजकर जमीन वापस करने की मांग की है. यहां तक कि विश्वभारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती को भी भारत रत्न अमर्त्य सेन को निशाना बनाते हुए कई टिप्पणियां करते सुना गया है.

अमर्त्य सेन के वकील गोराचंद चक्रवर्ती ने बोलपुर भूमि और भूमि सुधार विभाग को पत्र लिखकर उनके पिता की इच्छा के अनुसार 1.38 एकड़ जमीन रिकॉर्ड करने को कहा है. उसके बाद विश्वभारती के अधिकारियों ने अमर्त्य सेन को नोटिस जारी कर जमीन वापस न करने पर केस दर्ज करने की धमकी दी थी. कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, 'अगर 13 डिसमिल जमीन वापस नहीं की जाती है तो बेदखली अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?'

गौरतलब हो कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के पास 1.38 एकड़ यानी विश्वभारती की चेतावनी नोटिस के बाद राज्य सरकार द्वारा उनके नाम पर पंजीकृत पूरी जमीन पाई गई थी. 29 मार्च को, विश्व भारती के अधिकारियों ने अमर्त्य सेन को भूमि दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया. उससे पहले पूरी जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज थी. संयोग से, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीरभूम का दौरा किया और अमर्त्य सेन से उनके घर में मुलाकात की.

पढ़ें: WB teachers scam : शिक्षक भर्ती घोटाला में ED ने रियल एस्टेट प्रमोटर के घर से 350 ओएमआर शीट बरामद की

उन्होंने जिलाधिकारी बिधान राय को मामले की जांच करने का आदेश दिया. प्रो. सेन ने अपने वकील के माध्यम से बोलपुर भूमि एवं भूमि सुधार विभाग में अपने दिवंगत पिता आशुतोष सेन की वसीयत के अनुसार पूरी जमीन को अपने नाम करने का आवेदन दिया. आवेदन के आधार पर, राज्य के भूमि और भूमि सुधार विभाग ने 1.38 एकड़ जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज की. राज्य भूमि और भूमि सुधार विभाग के रिकॉर्ड कहते हैं कि 13-डेसिमल भूमि जो अतिक्रमण के आरोपों का विषय थी, वर्तमान में अमर्त्य सेन की है।

बोलपुर: विवादों के बीच एक आवेदन के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के नाम पूरी जमीन दर्ज करा दी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार उनके पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन की वसीयत में 1.38 एकड़ जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज की गई. तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के रिकॉर्ड की जानकारी पहले ही ट्वीट कर चुके हैं. कुणाल घोष ने ट्वीट किया, 'माननीय मुख्यमंत्री नोबेल पुरस्कार विजेता के बगल में हैं.'

तृणमूल प्रवक्ता की घोषणा के बाद विश्वभारती के कार्यवाहक सचिव अशोक महत ने यह बात कही कि अगर अमर्त्य सेन या उनके प्रतिनिधि ने 29 मार्च को व्यक्तिगत रूप से भूमि के दस्तावेज नहीं भेजे, तो विश्वविद्यालय अगले कदम के रूप में कानूनी रास्ता अपनाएगा. संयोग से, विश्वभारती के अधिकारी अपने पिता दिवंगत आशुतोष सेन की वसीयत के अनुसार अमर्त्य सेन के भूमि पंजीकरण के आवेदन को खारिज करने के लिए भूमि और भूमि सुधार विभाग को दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहे.

वास्तव में, पंडित क्षितिमोहन सेन विश्वभारती की स्थापना में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के सहयोगी थे. वे नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के दादा हैं. यहां तक कि 'अमर्त्य' का नाम भी विश्व कवि ने ही रखा था. सेन परिवार कविगुरु के समय से शांतिनिकेतन में 'प्रातीची' घर में रह रहा है. 1943 में, अमर्त्य सेन के पिता स्वर्गीय आशुतोष सेन के नाम पर भूमि को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर दिया गया था.

बाद में 2005 में, इस भूमि को अमर्त्य सेन के नाम पर म्यूट कर दिया गया था. विश्वभारती के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि बगल के घर में 13 डिसमिल भूमि पर कब्जा कर लिया गया है. विश्वभारती प्राधिकरण ने प्रोफेसर सेन को 3 पत्र भेजकर जमीन वापस करने की मांग की है. यहां तक कि विश्वभारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती को भी भारत रत्न अमर्त्य सेन को निशाना बनाते हुए कई टिप्पणियां करते सुना गया है.

अमर्त्य सेन के वकील गोराचंद चक्रवर्ती ने बोलपुर भूमि और भूमि सुधार विभाग को पत्र लिखकर उनके पिता की इच्छा के अनुसार 1.38 एकड़ जमीन रिकॉर्ड करने को कहा है. उसके बाद विश्वभारती के अधिकारियों ने अमर्त्य सेन को नोटिस जारी कर जमीन वापस न करने पर केस दर्ज करने की धमकी दी थी. कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, 'अगर 13 डिसमिल जमीन वापस नहीं की जाती है तो बेदखली अधिनियम, 1971 के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?'

गौरतलब हो कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के पास 1.38 एकड़ यानी विश्वभारती की चेतावनी नोटिस के बाद राज्य सरकार द्वारा उनके नाम पर पंजीकृत पूरी जमीन पाई गई थी. 29 मार्च को, विश्व भारती के अधिकारियों ने अमर्त्य सेन को भूमि दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया. उससे पहले पूरी जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज थी. संयोग से, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीरभूम का दौरा किया और अमर्त्य सेन से उनके घर में मुलाकात की.

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उन्होंने जिलाधिकारी बिधान राय को मामले की जांच करने का आदेश दिया. प्रो. सेन ने अपने वकील के माध्यम से बोलपुर भूमि एवं भूमि सुधार विभाग में अपने दिवंगत पिता आशुतोष सेन की वसीयत के अनुसार पूरी जमीन को अपने नाम करने का आवेदन दिया. आवेदन के आधार पर, राज्य के भूमि और भूमि सुधार विभाग ने 1.38 एकड़ जमीन अमर्त्य सेन के नाम दर्ज की. राज्य भूमि और भूमि सुधार विभाग के रिकॉर्ड कहते हैं कि 13-डेसिमल भूमि जो अतिक्रमण के आरोपों का विषय थी, वर्तमान में अमर्त्य सेन की है।

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