कोलकाता : शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई को पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति मिल गई है. राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सीबीआई को मुकदमा शुरू करने का आदेश दे दिया है. राजभवन सूत्रों के मुताबिक राज्य के संवैधानिक प्रमुख ने मंगलवार रात यह आदेश जारी किया. अब पार्थ चटर्जी के खिलाफ आरोप गठित करने में केंद्रीय खुफिया एजेंसी के लिए कोई कानूनी बाधा नहीं है. जब पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया गया था, तब वह मंत्री थे इसलिए नियमों के मुताबिक उनके खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिए राज्यपाल या विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति जरूरी है.
चटर्जी की कानूनी टीम ने संकेत दिया है कि वे इस आधार पर इस कदम को चुनौती देंगे कि यह मंजूरी राज्यपाल नहीं, बल्कि विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी दे सकते हैं. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 19 कहती है कि राज्य में कार्यरत किसी व्यक्ति के लिए, अदालत को आरोपों का संज्ञान लेने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है. जुलाई 2022 में जब चटर्जी को गिरफ्तार किया गया, तब वह कैबिनेट मंत्री और विधायक थे. तब से जेल में बंद होने के कारण, वह कैबिनेट मंत्री नहीं रहे लेकिन विधायक बने हुए हैं.
सीबीआई ने पिछले साल सितंबर में अपनी चार्जशीट दाखिल की थी और उसके तुरंत बाद अभियोजन की मंजूरी मांगी थी.
राजभवन सूत्रों के मुताबिक, बोस ने भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस पर जोर दिया है. सूत्रों ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई जांच से यह स्पष्ट है कि लगाए गए आरोप के लिए सीबीआई के पास पर्याप्त सबूत है. वहीं, टीएमसी के सूत्रों का कहना है कि संविधान के अनुसार, राज्यपाल 'मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह' पर काम करते हैं.
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हालांकि, 2021 में भी, तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नारद मामले में टीएमसी नेताओं सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, मदन मित्रा और पूर्व विधायक सोवन चटर्जी के खिलाफ सीबीआई को अभियोजन की मंजूरी दे दी थी. उस समय तर्क यह दिया गया था कि राज्य के राज्यपाल मंत्रियों के रूप में उनके 'नियुक्ति प्राधिकारी' होते हैं. चटर्जी के वकील बिप्लब गोस्वामी ने कहा कि यह मंजूरी स्पीकर ही दे सकता है. इस मामले में ऐसा नहीं किया गया. हम इस फैसले को ऊपरी अदालतों में चुनौती देंगे. बता दें कि, पार्थ अब अलीपुर सुधार सुविधा में कैद हैं. उन पर केस चल रहा है.