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तो क्या मीराबाई का सपना रह जाएगा अधूरा, ओलंपिक से हटेगा भारोत्तोलन-बॉक्सिंग !

2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक से भारोत्तोलन और मुक्केबाजी को हटाया जा सकता है. ऐसा हुआ, तो भारत को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा. क्योंकि इन दोनों ही खेलों में भारत की स्थिति हमेशा से अच्छी रही है. टोक्यो ओलंपिक में भारत ने पहला पदक भारोत्तोलन में ही हासिल किया था. क्यों हटेगा यह गेम, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

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मीराबाई चानू
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Published : Aug 8, 2021, 4:26 PM IST

टोक्यो : टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू का पेरिस ओलंपिक में अपने पदक का रंग बदलने का सपना अधूरा रह सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को किसी खेल को ओलंपिक कार्यक्रम से हटाने के लिए अधिक अधिकार दिए गए हैंं. इसका पहला खामियाजा भारोत्तोलन पर पड़ सकता है.

भारोत्तोलन और मुक्केबाजी की संचालन व्यवस्था लंबे समय से विवादों से घिरी रही है. भारोत्तोलन के साथ डोपिंग की समस्या भी जुड़ी हुई है और ऐसे में इस खेल पर पेरिस में 2024 खेलों से बाहर किये जाने का खतरा मंडरा रहा है.

इन दोनों खेलों से जुड़े मुद्दों को देखते हुए ही आईओसी के सदस्यों ने मतदान करके खेलों की सर्वोच्च संस्था को किसी खेल को ओलंपिक कार्यक्रम से बाहर करने के अधिक अधिकार दिए.

आईओसी के अनुसार अब यदि कोई खेल आईओसी के कार्यकारी बोर्ड के फैसलों का पालन नहीं करता है या ऐसे काम करता है जिससे ओलंपिक आंदोलन की छवि धूमिल होती हो तो आईओसी उसे ओलंपिक कार्यक्रम से हटा सकती है.

आईओसी प्रमुख थामस बाक की अध्यक्षता वाले कार्यकारी बोर्ड को किसी खेल की संचालन संस्था के किसी निर्णय का पालन नहीं करने या उसे मानने से इन्कार करने पर किसी खेल या स्पर्धा को ओलंपिक से निलंबित करने का नया अधिकार भी मिल गया है.

इसका सबसे अधिक प्रभाव मुक्केबाजी और भारोत्तोलन पर पड़ सकता है. मुक्केबाजी में पेरिस ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों का कोटा पहले ही कम कर दिया गया है, लेकिन भारोत्तोलन को इन खेलों से पूरी तरह से ही हटाया जा सकता है.

आईओसी के उपाध्यक्ष जॉन कोट्स ने कहा, 'हाल में आईओसी को कुछ अंतरराष्ट्रीय महासंघों के संचालन से जुड़ी चिंताओं का सामना करना पड़ा.'

भारोत्तोलन से लंबे समय से डोपिंग ओर संचालन संबंधी मुद्दे जुड़े हुए हैं. इनमें वित्तीय भ्रष्टाचार भी शामिल है. अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ की अगुआई दो दशक तक टामस अजान ने की. उन्हें पिछले साल अपना पद छोड़ना पड़ा था.

रियो ओलंपिक 2016 में मुकाबलों पर उठाये गये सवालों और अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ी चिंताओं के कारण टोक्यो खेलों की मुक्केबाजी को 2019 में ही अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ के नियंत्रण से हटा दिया गया था.

चानू ने टोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा के पहले दिन ही भारोत्तोलन के 49 किग्रा में रजत पदक जीतकर भारत का खाता खोला था. उन्होंने पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने को अपना लक्ष्य बनाया है.

ये भी पढ़ें : मीराबाई चानू का अगला लक्ष्य गोल्ड पाना

टोक्यो : टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू का पेरिस ओलंपिक में अपने पदक का रंग बदलने का सपना अधूरा रह सकता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) को किसी खेल को ओलंपिक कार्यक्रम से हटाने के लिए अधिक अधिकार दिए गए हैंं. इसका पहला खामियाजा भारोत्तोलन पर पड़ सकता है.

भारोत्तोलन और मुक्केबाजी की संचालन व्यवस्था लंबे समय से विवादों से घिरी रही है. भारोत्तोलन के साथ डोपिंग की समस्या भी जुड़ी हुई है और ऐसे में इस खेल पर पेरिस में 2024 खेलों से बाहर किये जाने का खतरा मंडरा रहा है.

इन दोनों खेलों से जुड़े मुद्दों को देखते हुए ही आईओसी के सदस्यों ने मतदान करके खेलों की सर्वोच्च संस्था को किसी खेल को ओलंपिक कार्यक्रम से बाहर करने के अधिक अधिकार दिए.

आईओसी के अनुसार अब यदि कोई खेल आईओसी के कार्यकारी बोर्ड के फैसलों का पालन नहीं करता है या ऐसे काम करता है जिससे ओलंपिक आंदोलन की छवि धूमिल होती हो तो आईओसी उसे ओलंपिक कार्यक्रम से हटा सकती है.

आईओसी प्रमुख थामस बाक की अध्यक्षता वाले कार्यकारी बोर्ड को किसी खेल की संचालन संस्था के किसी निर्णय का पालन नहीं करने या उसे मानने से इन्कार करने पर किसी खेल या स्पर्धा को ओलंपिक से निलंबित करने का नया अधिकार भी मिल गया है.

इसका सबसे अधिक प्रभाव मुक्केबाजी और भारोत्तोलन पर पड़ सकता है. मुक्केबाजी में पेरिस ओलंपिक के लिए खिलाड़ियों का कोटा पहले ही कम कर दिया गया है, लेकिन भारोत्तोलन को इन खेलों से पूरी तरह से ही हटाया जा सकता है.

आईओसी के उपाध्यक्ष जॉन कोट्स ने कहा, 'हाल में आईओसी को कुछ अंतरराष्ट्रीय महासंघों के संचालन से जुड़ी चिंताओं का सामना करना पड़ा.'

भारोत्तोलन से लंबे समय से डोपिंग ओर संचालन संबंधी मुद्दे जुड़े हुए हैं. इनमें वित्तीय भ्रष्टाचार भी शामिल है. अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ की अगुआई दो दशक तक टामस अजान ने की. उन्हें पिछले साल अपना पद छोड़ना पड़ा था.

रियो ओलंपिक 2016 में मुकाबलों पर उठाये गये सवालों और अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ी चिंताओं के कारण टोक्यो खेलों की मुक्केबाजी को 2019 में ही अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ के नियंत्रण से हटा दिया गया था.

चानू ने टोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा के पहले दिन ही भारोत्तोलन के 49 किग्रा में रजत पदक जीतकर भारत का खाता खोला था. उन्होंने पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने को अपना लक्ष्य बनाया है.

ये भी पढ़ें : मीराबाई चानू का अगला लक्ष्य गोल्ड पाना

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