नई दिल्ली : भारत ने गुरुवार को कहा कि वह अपनी सुरक्षा को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रम पर नजर रखता है. डोकलाम के आसपास चीन के गांव बसाने से जुड़ी खबरों को लेकर विदेश मंत्रालय का यह बयान सामने आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ऐसे मामले में उसके अनुरूप जरूरी कदम उठाती है.
उन्होंने कहा, 'हम उन सभी घटनाक्रम पर नजर रखते हैं जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है और इसके अनुरूप कदम उठाते हैं.' बागची से उन खबरों के बारे में पूछा गया जिसमें एक नए उपग्रह चित्र में भूटान के डोकलाम इलाके के पूर्व में चीनी गांव के निर्माण किए जाने की बात कही गई है. डोकालाम इलाके में भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक गतिरोध रहा था जब चीन ने उस क्षेत्र में सड़क का विस्तार करने का प्रयास किया था, जिस पर भूटान ने अपना दावा जताया था. एनडीटीवी ने मंगलवार को एमएएक्सएआर द्वारा लिया गया चित्र जारी किया था.
'भारत, श्रीलंका के साथ खड़ा रहेगा' : बागची ने कहा कि भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा ताकि वे लोकतांत्रिक माध्यमों एवं मूल्यों तथा स्थापित संस्थाओं और संवैधानिक ढांचे के तहत समृद्धि, प्रगति की अपनी आकांक्षाएं पूरी कर सकें. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वहां (श्रीलंका में) नए राष्ट्रपति बने हैं, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बात की जा रही है और हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने मदद पहुंचायी है, इसके कुछ हिस्से का उपयोग हुआ है और कुछ अभी शेष है.
विदेश मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अनुभवी नेता रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को, गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली. प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने संसद भवन परिसर में 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई. उनके सामने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने तथा महीनों से चल रहे व्यापक प्रदर्शनों के बाद कानून एवं व्यवस्था बहाल करने की चुनौती है. गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर चले जाने और बाद में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था.
ज्ञात हो कि भारत में केंद्र सरकार ने श्रीलंका की स्थिति पर चर्चा के लिये मंगलवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि श्रीलंका 'बहुत गंभीर संकट' का सामना कर रहा है और उससे वित्तीय विवेक, जिम्मेदार शासन और 'मुफ्त की संस्कृति' से दूर रहने का सबक लेना चाहिए. विदेश मंत्री ने बैठक के बाद कहा था, 'गेंद श्रीलंका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पाले में है और वे चर्चा कर रहे हैं. उन्हें समझौते पर पहुंचने की जरूरत है, तब हम (भारत) देखेंगे कि हम क्या सहायक भूमिका निभा सकते हैं.'
पढ़ें- LAC पर उकसा रहा चीन, भारत दे रहा कड़ा जवाब : वायु सेना प्रमुख