कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गुरुवार को सरस्वती पूजा के मौके पर यहां राजभवन में हाथे खोरी कार्यक्रम औपचारिकता पूरी की थी. चर्चा है कि इस बीच उन्होंने 'जय बांग्ला' का नारा भी दिया, इसके तुरंत बाद उन्हें दिल्ली से बुलावा आ गया. पता चला है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस गुरुवार रात ही दिल्ली के लिए निकल गए. बता दें कि 'जय बांग्ला' का इस्तेमाल ममता बनर्जी और टीएमसी ने राज्य में 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के 'जय श्री राम' नारे के खिलाफ दिया था.
शुक्रवार को उनकी कोलकाता के पूर्व राज्यपाल और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात होने वाली है. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी कारण से उन्हें दिल्ली बुलाया गया. वहीं, बंगाल के संवैधानिक प्रमुख की दिल्ली यात्रा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हो सकती है. सवाल उठा है कि क्या राज्यपाल के बंगाली सीखने की इच्छा और हाथे खोरी कार्यक्रम को लेकर प्रदेश बीजेपी के भीतर नाराजगी के माहौल पर चर्चा करने के लिए राज्यपाल दिल्ली जा रहे हैं.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्यपाल वास्तव में राज्य में केंद्र का प्रतिनिधि होता है. केंद्र द्वारा चुने गए व्यक्ति को राष्ट्रपति की सिफारिश पर राज्यपाल नियुक्त किया जाता है. केंद्र के हितों की रक्षा करते हुए विभिन्न राज्यों के राज्यपालों का राज्य सरकार से टकराव होना स्वाभाविक है. ऐसा नहीं है कि पश्चिम बंगाल में ऐसे उदाहरण नहीं हैं.
यह याद किया जा सकता है कि सीवी आनंद बोस के पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ का राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ नियमित रूप से टकराव होता था. हाथे खोरी एक ऐसा शब्द है जिससे बंगाली परिचित हैं. बंगाली प्रथा में हाथे खोरी का आयोजन सरस्वती पूजा के मौके पर ही किया जाता है. इस प्रथा के तहत मां सरस्वती की पूजा याचना के बाद बच्चों के हाथों मे विधि-विधान के साथ पुरोहित के मंत्रोच्चारण के दौरान स्लेट और पेंसिल दी जाती है. साथ ही बच्चों के हाथों से पहला अक्षर भी लिखवाया जाता है. बंगाल के नए राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बांग्ला सीखने की इच्छा जताई थी. इसी को देखते हुए राजभवन में हाथे खोरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया.