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जलस्तर बढ़ने से पहले सुरक्षित स्थान पर जाने की चेतावनी जारी की गई थी : ITBP

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Published : Jul 9, 2022, 9:44 PM IST

पवित्र अमरनाथ गुफा (Amaranth cave) क्षेत्र में बादल फटने से 16 लोगों की मौत हो गई है. कई तीर्थयात्री लापता हैं. इस बीच आईटीबीपी का बयान सामने आया है कि तीर्थयात्रियों को पहले ही चेतावनी दी गई थी. वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

amarnath flash flood itbp warning
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे

नई दिल्ली: भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने शनिवार को कहा कि अमरनाथ गुफा के निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ से पहले तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए पहले ही चेतावनी जारी कर दी गई थी. सीमा सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भी इसी तरह की बाढ़ आई थी.

सुनिए आईटीबीपी की ओर क्या कहा गया

आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने यहां नई दिल्ली में एक विशेष साक्षात्कार में 'ईटीवी भारत' से कहा, 'हमने लोगों को वास्तविक बाढ़ आने से 15-20 मिनट पहले चेतावनी दी थी. वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकते थे.' पांडे ने कहा कि उन्होंने सीटी बजाई और लोगों से विशेष प्रभावित क्षेत्र को खाली करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा कि 'ऐसा नहीं है कि हम उस तरह की आपदाओं से अवगत नहीं थे. पिछले साल भी एक घटना हुई थी. उसी नदी में बाढ़ आई थी और एक सुरक्षा बल आधार शिविर क्षतिग्रस्त हो गया था. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण था लोग फंस गए हैं.

पांडे ने कहा कि यह एक बहुत ही कठिन इलाका और ऊंचाई वाला क्षेत्र है और हमेशा बाढ़ की संभावना बनी रहती है. उन्होंने कहा कि यह इलाका बेहद संकरा है और इसमें किसी तरह के बदलाव की गुंजाइश बहुत कम है. पांडे ने कहा, 'यह एक ही गली है. लोग इस मार्ग से पवित्र गुफा तक जाते हैं. यह दिमाग में था लेकिन आप बाढ़ का रुख नहीं बदल सकते.' पांडे ने कहा कि प्रभावित ज्यादातर स्थानीय लोग और तीर्थयात्री हैं जो अमरनाथ गुफा के रास्ते में कुछ आराम करते हैं.

पांडे ने कहा, 'स्थानीय दुकानदार तीर्थयात्रियों के लिए अपना स्टॉल खोलते हैं. वे सड़क पर प्रसाद, फूल और अन्य हस्तशिल्प वस्तुओं जैसे कुछ सामान बेचते हैं. प्रभावित क्षेत्रों में कोई स्थायी शिविर नहीं था ... कुछ दुकानदारों और तीर्थयात्रियों ने पानी के प्रवाह को गलत बताया जिसके बाद वे फंस गए.' यह स्वीकार करते हुए कि पानी के प्रवाह को डायवर्ट नहीं किया जा सकता है, पांडे ने कहा कि भविष्य में ऐसी आपदा से बचने के लिए कुछ वैकल्पिक मार्ग का पता लगाया जा सकता है या बनाया जा सकता है.

पांडे ने स्पष्ट किया कि शुक्रवार अपराह्न तीन बजे तक ऐसी बाढ़ के कोई लक्षण नहीं थे.अंतिम रिपोर्ट आने तक 16 शव बरामद किए जा चुके हैं और 65 लोग घायल हुए हैं. सभी घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया है. 40 से अधिक तीर्थयात्री अभी भी लापता हैं. पवित्र गुफा के पास 25 से अधिक तंबू, 3 लंगर और आधार शिविर का एक हिस्सा बह गया है.

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सेना, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव अभियान में लगे हैं.

पढ़ें- अमरनाथ हादसा : रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 6 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया, अब तक 16 की मौत

पढ़ें- अमरनाथ गुफा क्षेत्र में बादल फटा : 15 तीर्थयात्रियों की मौत, 40 लापता, मोदी-शाह ने ली हालात की जानकारी

नई दिल्ली: भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने शनिवार को कहा कि अमरनाथ गुफा के निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ से पहले तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए पहले ही चेतावनी जारी कर दी गई थी. सीमा सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल भी इसी तरह की बाढ़ आई थी.

सुनिए आईटीबीपी की ओर क्या कहा गया

आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने यहां नई दिल्ली में एक विशेष साक्षात्कार में 'ईटीवी भारत' से कहा, 'हमने लोगों को वास्तविक बाढ़ आने से 15-20 मिनट पहले चेतावनी दी थी. वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकते थे.' पांडे ने कहा कि उन्होंने सीटी बजाई और लोगों से विशेष प्रभावित क्षेत्र को खाली करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा कि 'ऐसा नहीं है कि हम उस तरह की आपदाओं से अवगत नहीं थे. पिछले साल भी एक घटना हुई थी. उसी नदी में बाढ़ आई थी और एक सुरक्षा बल आधार शिविर क्षतिग्रस्त हो गया था. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण था लोग फंस गए हैं.

पांडे ने कहा कि यह एक बहुत ही कठिन इलाका और ऊंचाई वाला क्षेत्र है और हमेशा बाढ़ की संभावना बनी रहती है. उन्होंने कहा कि यह इलाका बेहद संकरा है और इसमें किसी तरह के बदलाव की गुंजाइश बहुत कम है. पांडे ने कहा, 'यह एक ही गली है. लोग इस मार्ग से पवित्र गुफा तक जाते हैं. यह दिमाग में था लेकिन आप बाढ़ का रुख नहीं बदल सकते.' पांडे ने कहा कि प्रभावित ज्यादातर स्थानीय लोग और तीर्थयात्री हैं जो अमरनाथ गुफा के रास्ते में कुछ आराम करते हैं.

पांडे ने कहा, 'स्थानीय दुकानदार तीर्थयात्रियों के लिए अपना स्टॉल खोलते हैं. वे सड़क पर प्रसाद, फूल और अन्य हस्तशिल्प वस्तुओं जैसे कुछ सामान बेचते हैं. प्रभावित क्षेत्रों में कोई स्थायी शिविर नहीं था ... कुछ दुकानदारों और तीर्थयात्रियों ने पानी के प्रवाह को गलत बताया जिसके बाद वे फंस गए.' यह स्वीकार करते हुए कि पानी के प्रवाह को डायवर्ट नहीं किया जा सकता है, पांडे ने कहा कि भविष्य में ऐसी आपदा से बचने के लिए कुछ वैकल्पिक मार्ग का पता लगाया जा सकता है या बनाया जा सकता है.

पांडे ने स्पष्ट किया कि शुक्रवार अपराह्न तीन बजे तक ऐसी बाढ़ के कोई लक्षण नहीं थे.अंतिम रिपोर्ट आने तक 16 शव बरामद किए जा चुके हैं और 65 लोग घायल हुए हैं. सभी घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया है. 40 से अधिक तीर्थयात्री अभी भी लापता हैं. पवित्र गुफा के पास 25 से अधिक तंबू, 3 लंगर और आधार शिविर का एक हिस्सा बह गया है.

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), सेना, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव अभियान में लगे हैं.

पढ़ें- अमरनाथ हादसा : रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 6 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया, अब तक 16 की मौत

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