शांति निकेतन (पश्चिम बंगाल): नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय करीब तेरह साल के प्रयास के बाद यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल होने के तैयार है. इस संबंध में केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने अपने ट्वीट में कहा है कि भारत के लिए बड़ी खुशखबरी शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल (जहां गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपना पहला स्कूल स्थापित किया था) को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की सलाहकार संस्था ICOMOS द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल करने की सिफारिश की गई है.
बताया जा रहा है कि सितंबर 2023 में सऊदी अरब में एक समारोह में इसके विश्व विरासत की श्रेणी में शामिल होने की घोषणा किए जाने की उम्मीद है. इसके साथ ही विश्व भारती इस मान्यता को प्राप्त करने वाला दुनिया की पहली लिविंग हेरिटेज यूनिवर्सिटी होगी.
इस बारे अक्टूबर 2021 में यूनेस्को के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के द्वारा विश्वविद्यालय के दौरा किए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया था. प्रतिनिधिमंडल में अंतरराष्ट्रीय परिषद और प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ के सदस्य भी शामिल थे. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय के परिसर के भीतर शांतिनिकेतन गृह, उपासना गृह, घंटा ताल, कला भवन, संगीत भवन, रवीन्द्र भवन के अलावा अन्य कई स्थानों का दौरा किया था.
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भारत के लिए बड़ी खुशखबरी
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बता दें कि विश्व विरासत की स्थिति के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया दो सलाहकार निकायों द्वारा की जाती है, जो नामांकित सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों का मूल्यांकन प्रदान करते हैं. इस बारे में कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी महुआ बनर्जी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व विभाग ने निर्णय के बारे में पहले ही विश्व भारती अधिकारियों को मौखिक रूप से सूचित कर दिया था. वहीं विश्वविद्यालय को विश्व विरासत का दर्जा दिए जाने की खबर का शांतिनिकेतन के निवासियों ने स्वागत किया है. विश्व भारती के शिक्षक किशोर भट्टाचार्य ने इसे संस्था के लिए गर्व की बात बताया और इसमें शामिल सभी पक्षों को धन्यवाद दिया.
हालांकि इसके लिए एक लंबी और कठिन प्रक्रिया होती है जो 2010 में शुरू हुई थी. इसी क्रम में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने टैगोर की 150वीं जयंती की तैयारी में पहली बार यूनेस्को से शांति निकेतन को विश्व विरासत का दर्जा देने की अपील की थी. हालांकि, इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स द्वारा तकनीकी मूल्यांकन के बाद मूल आवेदन को अस्थायी सूची में पीछे कर दिया था, जिसमें पाया गया था कि विरासत मूल्य के साथ छेड़छाड़ की थी.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के सहयोग से एक नया डोजियर तैयार करने के साथ ही इसे यूनेस्को को सौंप दिया. इस संबंध में महानिदेशक विद्या विद्यानाथन के नेतृत्व में एएसआई की एक टीम ने रिपोर्ट तैयार करने और पिछले मूल्यांकन के दौरान उठाए गए सवालों के जवाब देने के लिए जनवरी में विश्वविद्यालय का दौरा किया था. साथ ही इसमें सहायता के लिए बाहरी विरासत संरक्षण विशेषज्ञों को भी लाया गया था. विश्वविद्यालय के परिसर में विभिन्न पारंपरिक भवनों और मूर्तियों का नवीनीकरण पहले से ही चल रहा है. इसको लिए केंद्र सरकार ने लगभग 3 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं. यहां कि कुल 24 इमारतों और वास्तुशिल्प नवीकरण में सामूहिक रूप से विश्व धरोहर के रूप में सूचीबद्ध होने की क्षमता है और उनका नवीनीकरण किया जा रहा है. इसके लिए विश्व भारती के अधिकारियों ने अपनी कमेटी भी बना ली है. विश्व भारती को विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा, जिसे 1921 में टैगोर द्वारा शिक्षा में एक अद्वितीय प्रयोग के रूप में स्थापित किया गया था और जिसने भारतीय और पश्चिमी परंपराओं को मिलाया था.
विश्वविद्यालय कला, साहित्य और संस्कृति पर जोर देने के लिए प्रसिद्ध है. यहां के कई पूर्व छात्रों का उल्लेखनीय योगदा रहा है, इनमें नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी शामिल हैं. यूनेस्को को विश्व विरासत का दर्जा मिलने से शांतिनिकेतन में पर्यटन को बढ़ावा मिलने और क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. मान्यता मिलने से अन्य संस्थानों को अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और अपने क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रेरित होने की संभावना है. विश्व भारती विश्वविद्यालय को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता भारत के लिए गर्व का क्षण है और विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
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