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Amartya Sen Land Issue: विश्वभारती ने अमर्त्य सेन को दिया नोटिस, 15 दिनों के भीतर खाली करें अतिरिक्त जमीन

विश्वभारती प्रशासन ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को 15 दिन के भीतर विवादित जमीन खाली करने के लिए नोटिस जारी किया है. अमर्त्य सेन फिलहाल विदेश में हैं, उनकी अनुपस्थिति में शांति निकेतन में 'प्रातीची' घर को खाली किया जा सकता है.

Economist Amartya Sen
अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन
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Published : Apr 20, 2023, 9:34 AM IST

बोलपुर: विश्वभारती प्रशासन ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को नोटिस जारी कर जमीन खाली करने को कहा है. जमीन खाली करने की अंतिम तिथि छह मई यानी नोटिस के 15 दिन के भीतर है. विश्वभारती के एक अधिकारी ने कहा कि अमर्त्य सेन को बेदखल करने के लिए आवश्यक बल का प्रयोग नहीं करेंगे.

प्रोफेसर अमर्त्य सेन फिलहाल विदेश में हैं. विश्व भारती के संपत्ति विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया है. अब उनकी अनुपस्थिति में शांति निकेतन में 'प्रातीची' घर को खाली किया जा सकता है. बोलपुर अनुविभागीय मजिस्ट्रेट की अदालत में विचाराधीन है. मजिस्ट्रेट ने शांति निकेतन पुलिस को मामले का निपटारा होने तक 'प्रातीची' घर के परिसर में कानून व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिए हैं.

विश्वविद्यालय के अधिकारियों का दावा है कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने विश्वभारती की भूमि पर कब्जा कर लिया है. 24 जनवरी को विश्वभारती के अधिकारियों ने सबसे पहले प्रोफेसर सेन को पत्र लिखकर जमीन वापस करने की मांग की. बाद में दो पत्र और भेजे गए.

विश्वभारती यूनिवर्सिटी का आरोप है कि साल 1943 में आशुतोष सेन (अमर्त्य सेन के पिता) ने विश्वभारती से जमीन लीज पर ली थी. उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद, अमर्त्य सेन ने 9 नवंबर, 2006 को आवेदन के आधार पर इस भूमि का पट्टा ले लिया. विश्वभारती के दावे के मुताबिक पट्टे पर दी जाने वाली भूमि का टुकड़ा 1.25 एकड़ है. दूसरी ओर, अमर्त्य सेन द्वारा दावा की गई भूमि की मात्रा 1.38 एकड़ है. विवाद 0.13 एकड़ भूमि के लिए है, जो काफी समय से सुर्खियों में है.

ये भी पढ़ें- Amartya Sen News : अमर्त्य सेन का विश्व भारती को पत्र, लीज खत्म होने से पहले 'प्रतीची' की जमीन पर कोई दावा नहीं कर सकता

अमर्त्य सेन को ममता सरकार से मिला संरक्षण: सेन दिवंगत पिता आशुतोष सेन की वसीयत के अनुसार हाल ही में बोलपुर भूमि और भूमि सुधार विभाग द्वारा पूरी जमीन अमर्त्य सेन के नाम पर पंजीकृत की गई थी. विश्वभारती के वाइस चांसलर विद्युत चक्रवर्ती कई मौकों पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन से इस बात का जिक्र कर चुके हैं. उसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद अर्थशास्त्री के साथ खड़ी हो गईं. उनके आदेश पर अमर्त्य सेन को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई और पूरी भूमि को यूल के आधार पर दर्ज किया गया.

अमर्त्य सेन ने 17 अप्रैल को विदेश से विश्व भारती के अधिकारियों को एक पत्र भेजा थाय इसमें कहा गया था कि पट्टे की समाप्ति तक कोई भी भूमि पर दावा नहीं कर सकता है. पत्र में स्थानीय दंडाधिकारी के निर्णय का भी उल्लेख किया गया था. अब विश्वभारती प्रबंधन ने नोटिस जारी किया है. ऐसे में भारत रत्न अमर्त्य सेन को विश्वभारती द्वारा 15 दिनों के भीतर अंतिम निष्कासन नोटिस दिया गया है.

बोलपुर: विश्वभारती प्रशासन ने नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को नोटिस जारी कर जमीन खाली करने को कहा है. जमीन खाली करने की अंतिम तिथि छह मई यानी नोटिस के 15 दिन के भीतर है. विश्वभारती के एक अधिकारी ने कहा कि अमर्त्य सेन को बेदखल करने के लिए आवश्यक बल का प्रयोग नहीं करेंगे.

प्रोफेसर अमर्त्य सेन फिलहाल विदेश में हैं. विश्व भारती के संपत्ति विभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया है. अब उनकी अनुपस्थिति में शांति निकेतन में 'प्रातीची' घर को खाली किया जा सकता है. बोलपुर अनुविभागीय मजिस्ट्रेट की अदालत में विचाराधीन है. मजिस्ट्रेट ने शांति निकेतन पुलिस को मामले का निपटारा होने तक 'प्रातीची' घर के परिसर में कानून व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिए हैं.

विश्वविद्यालय के अधिकारियों का दावा है कि नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने विश्वभारती की भूमि पर कब्जा कर लिया है. 24 जनवरी को विश्वभारती के अधिकारियों ने सबसे पहले प्रोफेसर सेन को पत्र लिखकर जमीन वापस करने की मांग की. बाद में दो पत्र और भेजे गए.

विश्वभारती यूनिवर्सिटी का आरोप है कि साल 1943 में आशुतोष सेन (अमर्त्य सेन के पिता) ने विश्वभारती से जमीन लीज पर ली थी. उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद, अमर्त्य सेन ने 9 नवंबर, 2006 को आवेदन के आधार पर इस भूमि का पट्टा ले लिया. विश्वभारती के दावे के मुताबिक पट्टे पर दी जाने वाली भूमि का टुकड़ा 1.25 एकड़ है. दूसरी ओर, अमर्त्य सेन द्वारा दावा की गई भूमि की मात्रा 1.38 एकड़ है. विवाद 0.13 एकड़ भूमि के लिए है, जो काफी समय से सुर्खियों में है.

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अमर्त्य सेन को ममता सरकार से मिला संरक्षण: सेन दिवंगत पिता आशुतोष सेन की वसीयत के अनुसार हाल ही में बोलपुर भूमि और भूमि सुधार विभाग द्वारा पूरी जमीन अमर्त्य सेन के नाम पर पंजीकृत की गई थी. विश्वभारती के वाइस चांसलर विद्युत चक्रवर्ती कई मौकों पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन से इस बात का जिक्र कर चुके हैं. उसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद अर्थशास्त्री के साथ खड़ी हो गईं. उनके आदेश पर अमर्त्य सेन को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई और पूरी भूमि को यूल के आधार पर दर्ज किया गया.

अमर्त्य सेन ने 17 अप्रैल को विदेश से विश्व भारती के अधिकारियों को एक पत्र भेजा थाय इसमें कहा गया था कि पट्टे की समाप्ति तक कोई भी भूमि पर दावा नहीं कर सकता है. पत्र में स्थानीय दंडाधिकारी के निर्णय का भी उल्लेख किया गया था. अब विश्वभारती प्रबंधन ने नोटिस जारी किया है. ऐसे में भारत रत्न अमर्त्य सेन को विश्वभारती द्वारा 15 दिनों के भीतर अंतिम निष्कासन नोटिस दिया गया है.

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