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दिल्ली के विशाल ने भोलेनाथ से मांगी थी मन्नत, पूरी हुई तो कांवड़ियों के लिए लगाते हैं भंडारा

रुड़की आईआईटी से पीएचडी करने वाले विशाल साल 2016 से लगातार कांवड़ियों और शिवभक्तों के लिए भंडारे का आयोजन कर रहे हैं. उनके इस काम में उसके साथी उनका साथ देते हैं.

Roorkee
रुड़की
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Published : Jul 18, 2022, 10:45 PM IST

रुड़की: कहते हैं सच्चे दिल से जो कामना की जाती है वो अवश्य पूरी होती है. कुछ ऐसा ही रुड़की आईआईटी के एक छात्र के साथ हुआ. दरअसल, दिल्ली के रहने वाले छात्र विशाल साल 2015 में रुड़की आईआईटी में पीएचडी में दाखिला लेने के लिए आये थे. तब कांवड़ यात्रा चल रही थी. विशाल ने तब ये मनोकामना की थी कि उनका एडमिशन अगर IIT रुड़की में हो गया तो वह शिवभक्तों के लिए भंडारे का आयोजन करेंगे. जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. एडमिशन के बाद विशाल ने शिवभक्तों के लिए भंडारे का आयोजन किया. तब से आजतक विशाल कांवड़ मेले के दौरान भंडारे का आयोजन करते आ रहे हैं. इस भंडारे में उनके साथी उनका साथ दे रहे हैं. बड़ी बात ये है कि भंडारे में बनने वाला खाना ये छात्र खुद ही तैयार कर रहे हैं.

धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कांवड़ मेला चल रहा है. इस मेले में दूर-दराज से शिवभक्त गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंच रहे हैं. कावड़ियों की संख्या लाखों में होती है. यही वजह है कि आस्थावान लोग जगह-जगह शिवभक्त कांवड़ियों के लिए भंडारों का आयोजन कर रहे हैं. IIT रुड़की से पीएचडी कर चुके विशाल इन्हीं में से एक हैं, जो कांवड़ यात्रियों के लिए भंडारा लगा रहे हैं.
पढ़ें-CM पुष्कर सिंह धामी ने किया राष्ट्रपति चुनाव में मतदान, कही ये बात

आईआईटी रुड़की से पीएचडी कर चुके छात्र विशाल गौड़ ने बताया वो अपने मित्रों के साथ साल 2016 से लगातार (corona समय को छोड़कर) शिवभक्तों की सेवा कर रहे हैं. वे बताते हैं कि वे साल 2015 में यहां PhD में दाखिले के लिए साक्षात्कार देने आए थे. उस समय भी कांवड़ यात्रा चल रही थी. तब उन्होंने मन में सोचा कि अगर वे आईआईटी रुड़की पहुंचने में सफल रहे तो वे भी कांवड़ यात्रियों की सेवा करेंगे. जिसके बाद उनकी मनोकामना पूरी हो गई. तब से लेकर अब तक विशाल हर साल शिवभक्तों के लिए भंडारा लगाते हैं. इस काम में उनके सहयोगी और यहां पढ़ने वाले छात्र ही सहयोग करते हैं. ये सभी तन, मन धन से दिन रात कांवड़ियों की सेवा करने में जुटे हैं.
पढ़ें- त्रिवेंद्र ने विकास के लिए स्वरोजगार को बताया बड़ा जरिया, टिहरी झील को लेकर कही ये बात

संस्थान के पूर्व महासचिव अश्विनी ने बताया अलग-अलग राज्यों से आए छात्र सेवा में रुचि दिखा रहे हैं. वे लगातार सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया वे कांवड़ यात्रियों के लिए खुद खाना तैयार करते हैं. अश्विनी खुद बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं.

रुड़की: कहते हैं सच्चे दिल से जो कामना की जाती है वो अवश्य पूरी होती है. कुछ ऐसा ही रुड़की आईआईटी के एक छात्र के साथ हुआ. दरअसल, दिल्ली के रहने वाले छात्र विशाल साल 2015 में रुड़की आईआईटी में पीएचडी में दाखिला लेने के लिए आये थे. तब कांवड़ यात्रा चल रही थी. विशाल ने तब ये मनोकामना की थी कि उनका एडमिशन अगर IIT रुड़की में हो गया तो वह शिवभक्तों के लिए भंडारे का आयोजन करेंगे. जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. एडमिशन के बाद विशाल ने शिवभक्तों के लिए भंडारे का आयोजन किया. तब से आजतक विशाल कांवड़ मेले के दौरान भंडारे का आयोजन करते आ रहे हैं. इस भंडारे में उनके साथी उनका साथ दे रहे हैं. बड़ी बात ये है कि भंडारे में बनने वाला खाना ये छात्र खुद ही तैयार कर रहे हैं.

धर्मनगरी हरिद्वार में इन दिनों कांवड़ मेला चल रहा है. इस मेले में दूर-दराज से शिवभक्त गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंच रहे हैं. कावड़ियों की संख्या लाखों में होती है. यही वजह है कि आस्थावान लोग जगह-जगह शिवभक्त कांवड़ियों के लिए भंडारों का आयोजन कर रहे हैं. IIT रुड़की से पीएचडी कर चुके विशाल इन्हीं में से एक हैं, जो कांवड़ यात्रियों के लिए भंडारा लगा रहे हैं.
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आईआईटी रुड़की से पीएचडी कर चुके छात्र विशाल गौड़ ने बताया वो अपने मित्रों के साथ साल 2016 से लगातार (corona समय को छोड़कर) शिवभक्तों की सेवा कर रहे हैं. वे बताते हैं कि वे साल 2015 में यहां PhD में दाखिले के लिए साक्षात्कार देने आए थे. उस समय भी कांवड़ यात्रा चल रही थी. तब उन्होंने मन में सोचा कि अगर वे आईआईटी रुड़की पहुंचने में सफल रहे तो वे भी कांवड़ यात्रियों की सेवा करेंगे. जिसके बाद उनकी मनोकामना पूरी हो गई. तब से लेकर अब तक विशाल हर साल शिवभक्तों के लिए भंडारा लगाते हैं. इस काम में उनके सहयोगी और यहां पढ़ने वाले छात्र ही सहयोग करते हैं. ये सभी तन, मन धन से दिन रात कांवड़ियों की सेवा करने में जुटे हैं.
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संस्थान के पूर्व महासचिव अश्विनी ने बताया अलग-अलग राज्यों से आए छात्र सेवा में रुचि दिखा रहे हैं. वे लगातार सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने बताया वे कांवड़ यात्रियों के लिए खुद खाना तैयार करते हैं. अश्विनी खुद बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं.

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