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ओडिशा : प्रशासन की नाकामी को ग्रामीणों ने दिखाया आईना, बना दिया लकड़ी का पुल

जहां कहीं भी आपसी एकजुटता होती है, वहां की समस्याएं हल होने में वक्त नहीं लगता. ओडिशा राज्य के बलांगीर जिले में टिटिलागढ़ प्रखंड के कुतुराकेंड गांव के लोगों ने ऐसा ही कर दिखाया है. यहां प्रशासन की नाकामी के कारण समस्या को ग्रामीणों ने खुद ही हल करने की शुरुआत की है. रिपोर्ट से जानें क्या है पूरा मामला.

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Published : Jul 30, 2021, 9:12 AM IST

Updated : Jul 30, 2021, 9:31 AM IST

बलांगीर : ओडिशा के टिटिलागढ़ प्रखंड में कुतुराकेंड गांव के लोग बारिश में बेहद परेशान हो जाते थे क्योंकि उनके आने-जाने का रास्ता बंद हो जाता था. सरकारी अफसर बार-बार पुल बनाने का आश्वासन तो देते लेकिन यह वादा कभी पूरा नहीं होता था. वर्षों से गांव की यह समस्या बनी हुई थी.

इस बार भी बारिश आई तो ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया. उन्हें लगा कि सरकार कभी उनकी नहीं सुनेगी. इसलिए गांव के नौजवानों ने खुद ही पुल बनाने का निर्णय लिया. लेकिन ग्रामीणों के पास न संसाधन था और न ही तकनीक.

प्रशासन की नाकामी को ग्रामीणों ने दिखाया आईना

ऐसे में उन्होंने पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करने की सोची और मौके पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर पुल तैयार करने की योजना बना डाली. फिर क्या था लकड़ी का पुल धीरे-धीरे आकार लेने लगा और आने-जाने का एक वैकल्पिक मार्ग तैयार हो गया. हालांकि ग्रामीणों ने अपने काम से शासन-प्रशासन को आईना दिखा दिया है.

यह भी पढ़ें-खज़ाने की तलाश में चोरों ने 1200 साल पुराने शिव मंदिर में खुदाई की

वहीं इस प्रकरण की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुख्य सलाहकार असित त्रिपाठी ने कहा कि हम उनके इस प्रयास की सराहना करते हैं. बिना संसाधन के ग्रामीण ने सामूहिक श्रम के माध्यम से यह कर दिखाया है. हालांकि लकड़ी का पुल अस्थाई है और स्थायी पुल का निर्माण जल्द कराया जाएगा.

बलांगीर : ओडिशा के टिटिलागढ़ प्रखंड में कुतुराकेंड गांव के लोग बारिश में बेहद परेशान हो जाते थे क्योंकि उनके आने-जाने का रास्ता बंद हो जाता था. सरकारी अफसर बार-बार पुल बनाने का आश्वासन तो देते लेकिन यह वादा कभी पूरा नहीं होता था. वर्षों से गांव की यह समस्या बनी हुई थी.

इस बार भी बारिश आई तो ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया. उन्हें लगा कि सरकार कभी उनकी नहीं सुनेगी. इसलिए गांव के नौजवानों ने खुद ही पुल बनाने का निर्णय लिया. लेकिन ग्रामीणों के पास न संसाधन था और न ही तकनीक.

प्रशासन की नाकामी को ग्रामीणों ने दिखाया आईना

ऐसे में उन्होंने पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करने की सोची और मौके पर मौजूद प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर पुल तैयार करने की योजना बना डाली. फिर क्या था लकड़ी का पुल धीरे-धीरे आकार लेने लगा और आने-जाने का एक वैकल्पिक मार्ग तैयार हो गया. हालांकि ग्रामीणों ने अपने काम से शासन-प्रशासन को आईना दिखा दिया है.

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वहीं इस प्रकरण की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुख्य सलाहकार असित त्रिपाठी ने कहा कि हम उनके इस प्रयास की सराहना करते हैं. बिना संसाधन के ग्रामीण ने सामूहिक श्रम के माध्यम से यह कर दिखाया है. हालांकि लकड़ी का पुल अस्थाई है और स्थायी पुल का निर्माण जल्द कराया जाएगा.

Last Updated : Jul 30, 2021, 9:31 AM IST
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