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विजय माल्या अवमानना ​​मामला : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई स्थगित

उच्चतम न्यायालय ने कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ अवमानना ​​के एक मामले में सुनवाई स्थगित कर दी. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई की जा सकती है. बता दें कि विजय माल्या को 2017 में अवमानना ​​का दोषी ठहराया गया था. माल्या, फिलहाल यूनाइटेड किंगडम में है.

Vijay Mallya
कारोबारी विजय माल्या
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Published : Mar 9, 2022, 12:07 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की पेशी से संबंधित (appearance of fugitive businessman Vijay Mallya) अवमानना याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. अवमानना मामले में माल्या दोषी पाए गए हैं. शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति यू यू ललित (Justice U U Lalit), न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट (S Ravindra Bhat) और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा (Justice P S Narasimha) की पीठ माल्या के कंटेप्ट केस की सुनवाई (Mallya Contempt Case hearing) कर रही है.

बुधवार को विजय माल्या अवमानना ​​मामले की सुनवाई (Mallya Contempt Case hearing) शुरू होते ही पीठ ने कहा कि इस मामले को गुरुवार दोपहर 2 बजे के लिए स्थगित किया जाता है. वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र जयदीप गुप्ता (amicus curiae Jaideep Gupta) ने इस आधार पर स्थगन की मांग की कि वह एक अन्य मामले पर बहस करने में व्यस्त होंगे.

बता दें कि शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को माल्या के खिलाफ अवमानना ​​मामले की सुनवाई बुधवार को तय की थी और भगोड़े कारोबारी को व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के जरिए पेश होने का आखिरी मौका दिया था. पीठ ने कहा था कि उसने माल्या को व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से पेश होने के कई अवसर दिए हैं और 30 नवंबर, 2021 को अपने अंतिम आदेश में विशिष्ट निर्देश भी दिए थे.

विजय माल्या कंटेप्ट केस में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष न्याय मित्र गुप्ता ने कहा था कि अदालत ने अवमानना ​​करने वाले को अदालत की अवमानना ​​का दोषी पाया है और सजा दी जानी चाहिए. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अवमानना ​​के मामलों में अदालत का अधिकार क्षेत्र निहित है और उसने माल्या को पर्याप्त अवसर दिया है, जो उसने नहीं लिया है.

बता दें कि 2017 में अवमानना के दोषी पाए गए माल्या के मामले को उसे दी जाने वाली प्रस्तावित सजा पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना था. शीर्ष अदालत ने 30 नवंबर, 2021 को कहा था कि वह अब और इंतजार नहीं कर सकती और माल्या के खिलाफ अवमानना ​​मामले में सजा के पहलू पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शीर्ष अदालत ने पर्याप्त और लंबा इंतजार किया है.

माल्या अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने 2020 में माल्या की 2017 के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर (एक मिलियन 10 लाख रुपये के बराबर) स्थानांतरित करने के लिए अवमानना ​​​​का दोषी ठहराया था.

यह भी पढ़ें- पिछले चार साल से हो रही सीबीआई-ईडी की कार्रवाई अनुचित : विजय माल्या

फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था, विदेश मंत्रालय (MEA) के उप सचिव (प्रत्यर्पण) के हस्ताक्षर के तहत एक कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम रूप ले चुकी है और माल्या ने यूके में अपील के सभी विकल्प खो दिए हैं. गौरतलब है कि माल्या मार्च, 2016 से यूके में हैं. वह तीन साल पहले 18 अप्रैल, 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा निष्पादित प्रत्यर्पण वारंट के आधार पर जमानत (Mallya Scotland Yard extradition warrant) पर हैं.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की पेशी से संबंधित (appearance of fugitive businessman Vijay Mallya) अवमानना याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. अवमानना मामले में माल्या दोषी पाए गए हैं. शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति यू यू ललित (Justice U U Lalit), न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट (S Ravindra Bhat) और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा (Justice P S Narasimha) की पीठ माल्या के कंटेप्ट केस की सुनवाई (Mallya Contempt Case hearing) कर रही है.

बुधवार को विजय माल्या अवमानना ​​मामले की सुनवाई (Mallya Contempt Case hearing) शुरू होते ही पीठ ने कहा कि इस मामले को गुरुवार दोपहर 2 बजे के लिए स्थगित किया जाता है. वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र जयदीप गुप्ता (amicus curiae Jaideep Gupta) ने इस आधार पर स्थगन की मांग की कि वह एक अन्य मामले पर बहस करने में व्यस्त होंगे.

बता दें कि शीर्ष अदालत ने 10 फरवरी को माल्या के खिलाफ अवमानना ​​मामले की सुनवाई बुधवार को तय की थी और भगोड़े कारोबारी को व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के जरिए पेश होने का आखिरी मौका दिया था. पीठ ने कहा था कि उसने माल्या को व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से पेश होने के कई अवसर दिए हैं और 30 नवंबर, 2021 को अपने अंतिम आदेश में विशिष्ट निर्देश भी दिए थे.

विजय माल्या कंटेप्ट केस में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष न्याय मित्र गुप्ता ने कहा था कि अदालत ने अवमानना ​​करने वाले को अदालत की अवमानना ​​का दोषी पाया है और सजा दी जानी चाहिए. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अवमानना ​​के मामलों में अदालत का अधिकार क्षेत्र निहित है और उसने माल्या को पर्याप्त अवसर दिया है, जो उसने नहीं लिया है.

बता दें कि 2017 में अवमानना के दोषी पाए गए माल्या के मामले को उसे दी जाने वाली प्रस्तावित सजा पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना था. शीर्ष अदालत ने 30 नवंबर, 2021 को कहा था कि वह अब और इंतजार नहीं कर सकती और माल्या के खिलाफ अवमानना ​​मामले में सजा के पहलू पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शीर्ष अदालत ने पर्याप्त और लंबा इंतजार किया है.

माल्या अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने 2020 में माल्या की 2017 के फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर (एक मिलियन 10 लाख रुपये के बराबर) स्थानांतरित करने के लिए अवमानना ​​​​का दोषी ठहराया था.

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फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था, विदेश मंत्रालय (MEA) के उप सचिव (प्रत्यर्पण) के हस्ताक्षर के तहत एक कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम रूप ले चुकी है और माल्या ने यूके में अपील के सभी विकल्प खो दिए हैं. गौरतलब है कि माल्या मार्च, 2016 से यूके में हैं. वह तीन साल पहले 18 अप्रैल, 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा निष्पादित प्रत्यर्पण वारंट के आधार पर जमानत (Mallya Scotland Yard extradition warrant) पर हैं.

(पीटीआई)

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