नई दिल्ली : अफगानिस्तान से आ रहे हिंदू और सिखों का भारत में स्वागत है लेकिन मुसलमानों को शरण नहीं दिया जाना चाहिये क्योंकि जब वहां हिंदुओं और सिक्खों पर अत्याचार हो रहे थे तब यही लोग हैं जो मूक दर्शक बने रहते थे. विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन का ऐसा कहना है.
विहिप नेता डॉ. सुरेंद्र जैन ने कहा कि केंद्र सरकार को यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि देश में कहीं शरणार्थी की शक्ल में आतंकवादी न घुस आएं. उन्होंने कहा कि हिंदू और सिक्खों को ही भारत आना चाहिए लेकिन जो मुस्लिम समुदाय के लोग हैं उनके लिए तमाम इस्लामिक देश हैं उन्हें वहां जाना चाहिए. भारत सरकार को यह देखना चाहिए.
सुरेंद्र जैन ने कहा कि तालिबान एक संगठन नहीं बल्कि एक सोच है जो अफगानिस्तान के मुस्लिम समाज में पहले से मौजूद है. वहां हिंदुओं और सिक्खों का जीना दूभर हो गया जिसके कारण केवल 300 सिक्ख परिवार और 100 हिंदू परिवार ही बचे थे. आज उनका भारत आना स्वाभाविक है लेकिन उन पर अत्याचार करने वाले मुस्लिम समाज को भारत जगह क्यों दे?
CAA पर भी दी प्रतिक्रिया
विहिप नेता ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू कर सभी हिंदू और सिख शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज करने की मांग पर भी प्रतिक्रिया दी. सुरेंद्र जैन ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून बनते ही जिस तरह की हिंसक घटनाएं षड्यंत्र के तहत जगह जगह कराई गईं उसके कारण कानून को लागू करने की प्रक्रिया में व्यवधान आया लेकिन उन्हें भरोसा है कि भारत सरकार इस पर काम कर रही होगी.
शरणार्थियों को दिया मदद का भरोसा
सुरेंद्र जैन ने बताया कि विहिप दिल्ली प्रांत की इकाई इस बात का ख्याल रखेगी कि किसी भी हिंदू या सिख शरणार्थी को रहने और भोजन की समस्या न हो. यदि कोई अपने रिश्तेदारों या अन्य किसी पहचान वालों के घर जाते हैं तो उनकी इच्छा है लेकिन सभी के सर पर छत हो और भोजन की व्यवस्था हो यह विहिप जरूर ध्यान रखेगा.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के हावी होने के बाद से ही वहां से बड़ी संख्या में लोग देश छोड़ कर जाने की कवायद में जुटे हैं. सिख और हिंदू समुदाय के लोगों को भारत ने शरण देने का आश्वासन दिया है और बहुतायत हिंदू और सिख समुदाय के लोग भारत पहुंच भी चुके हैं. लेकिन अफगानिस्तान से आने वालों में मुस्लिम समुदाय के लोग भी हैं जो भारत या भारत आने के बाद अन्य देशों में शरण चाहते हैं. बड़ी संख्या ऐसे शरणार्थियों की भी है जो पहले ही कई सालों से भारत में रह रहे हैं. अफगानिस्तान में हालात अस्थिर होने के बाद अब पहले से रह रहे शरणार्थी भी भारत में नागरिकता, रिफ्यूजी का दर्जा या किसी अन्य देश में शरण की मांग UNHCR से कर रहे हैं.
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