नई दिल्ली : असम सरकार ने गोवध रोकने के लिए कानून बनाया है. अब राज्य में हिन्दू बहुल इलाकों में गोहत्या या गोमांस बेचने पर प्रतिबंध होगा, लेकिन विश्व हिन्दू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) का कहना है कि असम सरकार को गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए.
विहिप (VHP) के केंद्रीय महामंत्री सुरेंद्र जैन (Surendra Jain) ने इस संबंध में बयान जारी किया. उन्होंने कहा कि 'असम सरकार जो कानून लाई है विहिप उसका स्वागत करती है लेकिन सरकार ने पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है. विहिप पूर्ण प्रतिबंध की अपेक्षा करती है.'
विश्व हिन्दू परिषद इस कानून को एक शुरुआत के रूप में देखता है. सुरेंद्र जैन ने उम्मीद जताई है कि जो कमियां कानून में रह गई हैं उसे उन्हें आने वाले दिनों में दूर कर लिया जाएगा.
असम में चरवाहा भी गौराखिया
विहिप महामंत्री ने कहा कि असम का समाज ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से हमेशा गौरक्षक रहा है, वहां इसकी परंपरा रही है. वहां एक सामान्य से चरवाहे को भी गौराखिया कहा जाता है. इसका अर्थ है कि जिस मवेशी को वह चराने के लिए जंगल ले जा रहा है उसके रक्षा का दायित्व उसका बनता है.
गाय को समर्पित है गोहु बिहू
जैन ने कहा कि 'असम का सबसे प्रमुख त्योहार बिहू है और पहला बिहू जिसे गोहु बिहू कहते हैं वह गायों के प्रति ही समर्पित है. असम सरकार ने नए कानून से उन परंपराओं और लोगों की भावनाओं का सम्मान करने का प्रयास किया है इसलिए हम इसका स्वागत करते हैं.
'काऊ बेल्ट' शब्द के इस्तेमाल की निंदा
कुछ लोगों द्वारा 'काऊ बेल्ट' शब्द का इस्तेमाल किए जाने की निंदा करते हुए विहिप महामंत्री ने कहा कि यह शब्द कुछ शरारती तत्वों ने शुरू किया है. भारत में कोई निश्चित क्षेत्र 'काऊ बेल्ट' के रूप में नहीं जाना जा सकता बल्कि सम्पूर्ण भारत का संकल्प गोवंश की रक्षा का होना चाहिए. यह भ्रम अब टूट जाना चाहिए कि गायों की रक्षा केवल क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रहेगी.
कांग्रेस पर साधा निशाना
महात्मा गांधी के कथन को दोहराते हुए सुरेंद्र जैन ने कहा कि 'गांधीजी का कहना था कि स्वतंत्र भारत में कलम की पहली नोक से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया जाएगा लेकिन आज सोनिया गांधी की कांग्रेस, गांधीजी की कांग्रेस से बिल्कुल विपरीत हो गई है. गांधी प्रतिबंध की बात करते थे लेकिन कांग्रेस प्रतिबंध का विरोध करती है. लेकिन अब देश में ऐसा नहीं होगा, कांग्रेस कितना भी विरोध कर ले लेकिन देश के लोग आगे बढ़ चले हैं. अब यहां गौहत्या संभव नहीं हो सकेगी.'