नई दिल्ली: बीजेपी के सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) ने शुक्रवार को कहा कि एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियां) की वसूली में बैंकों की विफलता को आधार बनाकर बैंकों के निजीकरण का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने सरकार से अपील कि वह इससे प्रभावित सभी वर्गों से समग्र वार्ता करने के पश्चात ही बैंकिंग कानून में संशोधन पर विचार करे. उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लाखों कर्मचारी सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर हैं.
यह हड़ताल अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी), अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (एनओबीडब्ल्यू) सहित नौ बैंक संघों के मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने बुलायी है. कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों की निजीकरण करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल कर रहे हैं.
वरुण ने एक ट्वीट में कहा, 'एनपीए वसूली में केवल बैंको की विफलता को आधार मानकर, बैंको के निजीकरण के प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है. मेरी वित्त मंत्री से मार्मिक अपील है कि इससे प्रभावित सभी वर्गों से समग्र वार्ता करने के पश्चात ही बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 पर विचार किया जाए'.
गौरतलब है कि फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. निजीकरण की सुविधा के लिए, सरकार ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 को संसद के मौजूदा सत्र के दौरान पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है.
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सरकार ने इससे पहले 2019 में आईडीबीआई में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेचकर बैंक का निजीकरण किया था और साथ ही पिछले चार वर्षों में 14 सरकारी बैंकों का विलय किया है.
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(भाषा)