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Varanasi News : 1950 में बसाया और अब उजाड़ दिया, जानिए क्यों बर्बाद हुई सैकड़ों परिवारों की होली

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Published : Mar 9, 2023, 12:57 PM IST

वाराणसी में होली का त्योहार तो बीत गया. लेकिन, गोदौलिया चित्तरंजन इलाके में पड़ने वाली दुकानों को उजाड़ दिया गया. इससे व्यापारियों की होली तो बर्बाद हुई ही. साथ ही उनके मन में यह सवाल उठ रहा है कि जब हटाना था तो बसाया क्यों गया.

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वाराणसी में दुकानों को उजाड़ने पर पीड़ित व्यापारियों का दर्द

वाराणसी: होली का त्योहार बीत चुका है और होली के हुड़दंग के साथ लोगों के मन में जो-जो सोचा था वह भी अब खत्म हो गया है. लेकिन, होली बीतने के बाद भी कुछ लोगों के मन में वह कसक रह गई है, जिसके लिए वह पूरे साल तैयारियों में जुटे रहते थे. हम बात कर रहे हैं वाराणसी के गोदौलिया चित्तरंजन इलाके में पड़ने वाली 135 दुकानों के मालिकों की, जिनको होली के पहले इस स्थान से उजाड़ दिया गया. जी-20 सम्मेलन से पहले बनारस को सुंदर दिखाने की चाहत में 1950 में पाकिस्तान और भारत के बंटवारे के समय जिन दुकानों का आवंटन यहां पर शरणार्थियों को किया गया था. उन दुकानों के साथ ही अन्य दो दुकानों को एक झटके में ही बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया. इसके बाद इनकी होली तो बर्बाद हुई ही. साथ ही यह सवाल भी खड़े हो गए कि आखिर जब जाना ही था तो फिर बसाया क्यों?

दरअसल, वाराणसी में अप्रैल, मई और जून में जी-20 सम्मेलन की कुल 6 बैठकें होने वाली हैं. इसमें बनारस शहर को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने के लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं. तैयारियों को दृष्टिगत रखते हुए दशाश्वमेध घाट के ठीक ऊपर बसे गुमटी मार्केट को होली के पहले उजाड़ दिया गया. दुकानों को जमींदोज कर दिया गया और एक झटके में यहां पर दुकानें चलाने वाले 135 परिवारों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया.

सबसे बड़ी बात यह है कि यह बाजार 1950 में स्थापित हुआ था, जब भारत पाकिस्तान के बंटवारे के दौर में पाकिस्तान से बनारस आकर बसे सिंधी समाज के लोगों को भरण-पोषण के लिए तत्कालीन सरकार ने दुकानें मुहैया कराई थीं. व्यापारियों का कहना है कि उस वक़्त 1950 में लिखित तौर पर हमें दुकानें दी गई थी और उसका सर्टिफिकेट भी आज सभी के पास मौजूद है. उसके बाद इमरजेंसी के दौरान इन दुकानों को गिराए जाने की बात होने लगी तो हमने हाईकोर्ट की शरण ली.

हाईकोर्ट ने 1980 में इस पर रोक लगा दी और तभी से स्टे चला आ रहा था. जब भी इन दुकानों को हटाए जाने की बात होती थी तो कोर्ट से इस आधार पर रिलीफ मिलता था और दुकानें उजड़ने से बच जाती थीं. लेकिन, इस बार जब विकास प्राधिकरण का नोटिस मिला तो जवाब में सारे दस्तावेज लगाकर इसे फाइल कर दिया. लेकिन, इसके बाद भी नगर निगम ने दुकानों को बर्बाद कर दिया और होली को भी चौपट कर दिया.

वहीं, व्यापारियों का कहना है कि जब उन्हें बसाया था तो उजाड़ा ही क्यों? व्यापारियों ने कहा कि वे शरणार्थी बनकर आए थे और फिर से शरणार्थी ही बन गए हैं. हालांकि, इस बारे में जब अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार से बात की तो उनका कहना था कि हमारे पास नगर निगम के दस्तावेज में से कोई भी डॉक्यूमेंट नहीं है, जो यह साबित कर रहे हैं कि वह वहां पर लीगल तौर पर रह रहे थे. उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की जांच करवाने के लिए भी कहा है. यदि उनके पास सारे दस्तावेज सही हैं तो उन्हें रिलीफ मिलेगा. वह कोर्ट की शरण में जाएं. हमें जो आदेश था हमने उस आदेश का पालन करते हुए दुकानों को गिरवा दिया. फिलहाल, इन सभी के लिए वाराणसी के दशाश्वमेध क्षेत्र में बने प्लाजा में दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण के सेक्रेटरी सुनील वर्मा का कहना है कि जिनको भी यहां से हटाया गया है, उन्हें इस प्लाजा में दुकानों का आवंटन किया जाएगा. इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर आवंटन की प्रक्रिया की जाएगी और इन सभी लोगों को यहां पर पक्की दुकानें मुहैया कराई जाएंगी. इसके लिए नई दुकानें खरीदनी होंगी. वहीं, दुकानें उजड़ जाने के बाद नई दुकानें मिलने के मामले में भी व्यापारियों का कहना है कि इतनी महंगी दुकानें उनके बस के बाहर हैं. उनकी बसी बसाई गृहस्थी को उजाड़कर अब नए तरीके से फिर से दुकानें खोलने के लिए कहा जा रहा है, जो मुश्किल काम है.

यह भी पढ़ें: Gorakhpur में सीएम योगी ने कहा- जनता को न्याय के लिए भटकना न पड़े

वाराणसी में दुकानों को उजाड़ने पर पीड़ित व्यापारियों का दर्द

वाराणसी: होली का त्योहार बीत चुका है और होली के हुड़दंग के साथ लोगों के मन में जो-जो सोचा था वह भी अब खत्म हो गया है. लेकिन, होली बीतने के बाद भी कुछ लोगों के मन में वह कसक रह गई है, जिसके लिए वह पूरे साल तैयारियों में जुटे रहते थे. हम बात कर रहे हैं वाराणसी के गोदौलिया चित्तरंजन इलाके में पड़ने वाली 135 दुकानों के मालिकों की, जिनको होली के पहले इस स्थान से उजाड़ दिया गया. जी-20 सम्मेलन से पहले बनारस को सुंदर दिखाने की चाहत में 1950 में पाकिस्तान और भारत के बंटवारे के समय जिन दुकानों का आवंटन यहां पर शरणार्थियों को किया गया था. उन दुकानों के साथ ही अन्य दो दुकानों को एक झटके में ही बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया. इसके बाद इनकी होली तो बर्बाद हुई ही. साथ ही यह सवाल भी खड़े हो गए कि आखिर जब जाना ही था तो फिर बसाया क्यों?

दरअसल, वाराणसी में अप्रैल, मई और जून में जी-20 सम्मेलन की कुल 6 बैठकें होने वाली हैं. इसमें बनारस शहर को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने के लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं. तैयारियों को दृष्टिगत रखते हुए दशाश्वमेध घाट के ठीक ऊपर बसे गुमटी मार्केट को होली के पहले उजाड़ दिया गया. दुकानों को जमींदोज कर दिया गया और एक झटके में यहां पर दुकानें चलाने वाले 135 परिवारों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया.

सबसे बड़ी बात यह है कि यह बाजार 1950 में स्थापित हुआ था, जब भारत पाकिस्तान के बंटवारे के दौर में पाकिस्तान से बनारस आकर बसे सिंधी समाज के लोगों को भरण-पोषण के लिए तत्कालीन सरकार ने दुकानें मुहैया कराई थीं. व्यापारियों का कहना है कि उस वक़्त 1950 में लिखित तौर पर हमें दुकानें दी गई थी और उसका सर्टिफिकेट भी आज सभी के पास मौजूद है. उसके बाद इमरजेंसी के दौरान इन दुकानों को गिराए जाने की बात होने लगी तो हमने हाईकोर्ट की शरण ली.

हाईकोर्ट ने 1980 में इस पर रोक लगा दी और तभी से स्टे चला आ रहा था. जब भी इन दुकानों को हटाए जाने की बात होती थी तो कोर्ट से इस आधार पर रिलीफ मिलता था और दुकानें उजड़ने से बच जाती थीं. लेकिन, इस बार जब विकास प्राधिकरण का नोटिस मिला तो जवाब में सारे दस्तावेज लगाकर इसे फाइल कर दिया. लेकिन, इसके बाद भी नगर निगम ने दुकानों को बर्बाद कर दिया और होली को भी चौपट कर दिया.

वहीं, व्यापारियों का कहना है कि जब उन्हें बसाया था तो उजाड़ा ही क्यों? व्यापारियों ने कहा कि वे शरणार्थी बनकर आए थे और फिर से शरणार्थी ही बन गए हैं. हालांकि, इस बारे में जब अपर नगर आयुक्त सुमित कुमार से बात की तो उनका कहना था कि हमारे पास नगर निगम के दस्तावेज में से कोई भी डॉक्यूमेंट नहीं है, जो यह साबित कर रहे हैं कि वह वहां पर लीगल तौर पर रह रहे थे. उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की जांच करवाने के लिए भी कहा है. यदि उनके पास सारे दस्तावेज सही हैं तो उन्हें रिलीफ मिलेगा. वह कोर्ट की शरण में जाएं. हमें जो आदेश था हमने उस आदेश का पालन करते हुए दुकानों को गिरवा दिया. फिलहाल, इन सभी के लिए वाराणसी के दशाश्वमेध क्षेत्र में बने प्लाजा में दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण के सेक्रेटरी सुनील वर्मा का कहना है कि जिनको भी यहां से हटाया गया है, उन्हें इस प्लाजा में दुकानों का आवंटन किया जाएगा. इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर आवंटन की प्रक्रिया की जाएगी और इन सभी लोगों को यहां पर पक्की दुकानें मुहैया कराई जाएंगी. इसके लिए नई दुकानें खरीदनी होंगी. वहीं, दुकानें उजड़ जाने के बाद नई दुकानें मिलने के मामले में भी व्यापारियों का कहना है कि इतनी महंगी दुकानें उनके बस के बाहर हैं. उनकी बसी बसाई गृहस्थी को उजाड़कर अब नए तरीके से फिर से दुकानें खोलने के लिए कहा जा रहा है, जो मुश्किल काम है.

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