वैशाली: बिहार के वैशाली में जंदाहा थाना क्षेत्र के चकफतेह निवासी शहीद जय किशोर सिंह के पिता राजकुमार सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. मामला शहीद बेटे की मूर्ति लगाने के विवाद से जुड़ा हुआ है. जिस जगह पर मूर्ति बनाई गई है वो सरकारी जमीन पर थी. इस मामले में पुलिस ने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा पूछे जाने पर वस्तु स्थिति को अवगत कराया गया था. ये गिरफ्तारी उसी के संदर्भ में हुई थी.
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शहीद के पिता को पुलिस ने पकड़ा: इधर शहीद बेटे के मां का आरोप है कि रात में जंदाहा थानाध्यक्ष आए और उनके पति को लात-मुक्का मारते हुए, गाली देते हुए ले गए थे. जिस तरह से पुलिस ने कार्रवाई की है उसपर सवाल उठने लगे हैं. सवाल उठे भी तो क्यों ना? जिसके पिता ने देश के लिए अपने जवान बेटे को कुर्बान कर दिया उसके साथ ऐसा सलूक? ये सुनकर हर कोई हैरान है. शहीद की आत्मा भी अपने पिता के साथ हो रहे बर्ताव पर रो रही होगी. पुलिस को गिरफ्तार ही करना था तो दिन में पकड़कर ले जाती. इधर दारोगा जी सफाई देने में जुटे हुए हैं.
''पुलिस 11 बजे रात को लात घूंसा मारते हुए, गाली गलौज करते हुए ले गए और हाजीपुर जेल में भेज दिए. दानापुर से फौज के लोग आए हुए थे. वह लोग बातचीत किए हैं. मेरा बड़ा बेटा भी आर्मी में ही सैनिक है. उससे भी बातचीत हुआ. जमीन सरकारी है यह शिव दुलार सिंह हाई स्कूल की सरकारी जमीन है. पकड़ कर ले गए हैं तब पता चला. पहले पूछपाछ करते तब पता चलता" - मंजू देवी. शहीद जय किशोर की मां
मूर्ति के विवाद में हुई गिरफ्तारी: दानापुर से सेना की 12वीं बटालियन बिहार रेजिमेंट के सूबेदार विनोद कुमार सिंह को जब खबर मिली तो वो जंदाहा दारोगा विश्वनाथ राम से मामले की जानकारी लेने पहुंचे. सेना के अधिकारी ने जंदाहा थानाध्यक्ष से एक घंटे तक बात की. जमीन विवाद में जिस तरीके से पुलिस ने शहीद के पिता की गिरफ्तारी की उससे पुलिस की किरकिरी हो रही है.
''शहीद के संबंध में और उनके स्टेचू के संबंध में जिला के पदाधिकारी द्वारा मुझसे जानकारी लिया गया. मैंने जो दृश्य है उसको बता दिया, कि किस तरह से विवाद चल रहा है. उसी विवाद के कारण अरेस्टिंग हुआ है. उनके परिजन खुद उसका अपमान कर रहे हैं ना कि हम लोग अपमान कर रहे हैं. जो प्रक्रिया है उसके अधीन हम लोग काम कर रहे हैं. हम लोगों ने किसी का अपमान नहीं किया है.''- विश्वनाथ, थानाध्यक्ष, जंदाहा
शहीद का सम्मान करना नहीं जानती वैशाली पुलिस? : सवाल ये है कि अगर पुलिस की कार्यशैली निष्पक्ष थी तो फिर देर रात किसी आतंकवादी की तरह शहीद के घर में छापेमारी करने क्यों घुसी? ऐसी नौबत ही क्यों आई? अपराधियों को पकड़ने में जहां पुलिस सुस्त दिखती है. वहीं एक शहीद के पिता को पकड़ने में पुलिस ने इतनी चुस्ती कैसे दिखाती है? ये वो सवाल हैं जो जंदाहा पुलिस से पूछे जा रहे हैं. इस वाकये से वैशाली पुलिस की भी खूब किरकिरी हो रही है. फिलहाल पूरे मामले में पुलिस के आलाधिकारियों का बयान आना बाकी है.