नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यायाधिकरणों में रिक्त पदों को भरने के लिए सुस्त कार्रवाई पर अफसोस जताते हुए कहा कि नौकरशाही इस मुद्दे को हल्के में ले रही है. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ, जो देश भर के विभिन्न न्यायाधिकरणों में भारी रिक्तियों के मुद्दे पर सक्रिय रूप से काम कर रही है, ने कहा कि शुरू में कुछ नियुक्तियों के बाद कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं हुआ.
शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के सदस्यों के लिए समय विस्तार (याचिका) मिल रही है. कुछ नियुक्तियां घुटने के बल हुईं और उसके बाद कुछ नहीं हुआ. हमें सदस्यों के भाग्य का पता नहीं है और कई सेवानिवृत्त हो रहे हैं. नौकरशाही इसे हल्के में ले रही है और रिक्तियों को भरने के लिए कदम नहीं उठाए जा रहे. पीठ ने कहा कि वह दो सप्ताह के बाद इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी.
शीर्ष अदालत केंद्र से उन न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां करने के लिए कह रही है जो पीठासीन अधिकारियों के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं. पिछले साल अगस्त में सुनवाई में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार देश भर के विभिन्न प्रमुख न्यायाधिकरणों और अपीलीय न्यायाधिकरणों में लगभग 250 पद खाली पड़े हैं. केंद्र ने सितंबर 2021 में दायर अपने हलफनामे में कहा था कि उसने आईटीएटी और एनसीएलटी सहित छह न्यायाधिकरणों में 84 नियुक्तियां की गईं और खोज सह चयन समितियों (एससीएससी) की कोई सिफारिश उसके पास लंबित नहीं है.
केंद्र ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT), राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT), दूरसंचार विवाद और निपटान अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT), राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC), अपीलीय न्यायाधिकरण में की गई नियुक्तियों का विवरण वाला चार्ट भी दिया था. हलफनामे में कहा गया है कि वर्ष 2020 और 2021 के दौरान विभिन्न न्यायाधिकरणों में कुल 84 नियुक्तियां की गईं.