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भारत चीन बॉर्डर पर बसे इन गांवों में लगता है परमिट, इनर लाइन से हटाने को लेकर गृह मंत्रालय को भेजा पत्र

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की सीमाएं भारत चीन बॉर्डर से लगती हैं. यहां पर नेलांग और जादुंग गांव मौजूद हैं, जो बॉर्डर विलेज हैं. ये गांव साल 1962 के भारत चीन युद्ध के समय खाली करा दिए गए थे. लिहाजा, इन गांवों को दोबारा बसाने की कवायद की जा रही थी. अब वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत इन गांवों को फिर से आबाद करने की कोशिश की जा रही है. यहां जाने के लिए इनर लाइन परमिट लगता है. ऐसे में इन दोनों गांवों को इनर लाइन बाध्यता से बाहर करने के लिए पत्र लिखा गया है.

Nelog Village Uttarkashi
नेलांग गांव
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Published : Jun 26, 2023, 2:16 PM IST

Updated : Jun 26, 2023, 3:02 PM IST

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत शामिल नेलांग और जादुंग गांव को इनर लाइन बाध्यता से बाहर करने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है. जिला प्रशासन की मानें तो अंतराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा के दृष्टिगत गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय से विचार विमर्श कर इस पर निर्णय लेगा. इन गांवों से विस्थापित बगोरी के ग्रामीणों ने इस संबध में पीएम मोदी को पत्र लिखकर इनर लाइन बाध्यता को समाप्त करने की मांग की थी.

Jadung Village from InnerLine
भारत चीन बॉर्डर पर बसा गांव

वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल गांवः भारत सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत हर्षिल घाटी के 8 गांवों के साथ ही नेलांग जादुंग गांव को शामिल किया गया है. साल 1962 में शीतकाल में चीन ने अचानक भारत पर हमला कर दिया था. उस समय नेलांग और जादुंग गांव के ग्रामीण अपनी भेड़ बकरियों के साथ निचले इलाकों में आए थे. युद्ध की स्थिति को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत चीन (तिब्बत) पर पीएससी की टुकड़ी भेजी. इस टुकड़ी ने नेलांग जादुंग गांव के घरों को छावनी में तब्दील कर दिया था.

InnerLine Village Jadung
नेलांग गांव
संबंधित खबरें पढ़ेंः सैलानियों से गुलजार होने लगी नेलांग घाटी, नैसर्गिक सौंदर्य देख हुए अभिभूत

साल 1962 में नेलांग गांव में करीब 36 और जादुंग गांव में 16 परिवार निवास करते थे. ग्रीष्मकाल में जब ग्रामीणों का वापस जाने का समय था तो उन्हें उनके घरों में सामरिक दृष्टिकोण से नहीं जाने दिया गया. नेलांग जादुंग गांव के जाड़ समुदाय के लोगों को हर्षिल के पास बगोरी और डुंडा में विस्थापित कर दिया गया. उसके बाद से अब तक ग्रामीणों को साल में एक बार उनके कुल देव लाल देवता की पूजा के लिए जिला प्रशासन की ओर से गांव जाने की अनुमति दी जाती है.

Nelog Village Uttarkashi
नेलांग घाटी

बगोरी गांव के पूर्व प्रधान भवान सिंह राणा का कहना है कि आज भी राजस्व अभिलेखों में नेलांग गांव में ग्रामीणों की करीब 700 नाली और जादुंग में करीब 450 नाली भूमि है. बगोरी गांव के गोपाल सिंह नेगी भावुक होकर बताते हैं कि वो 1962 में 10 साल के थे. तब वो शीतकाल में अपनी भेड़ बकरियों के साथ निचले इलाके के जंगलों में आए थे.
संबंधित खबरें पढ़ेंः नेलांग घाटी की खूबसूरती पर इनरलाइन बना 'धब्बा', आरोहण हो तो पर्यटन को लगेगा 'पंख'

ग्रीष्मकाल में जब वापस आने का समय आया तो अपने बड़ों से पता चला कि उनके घर सेना का ठिकाना बन चुके हैं. बुजुर्ग नारायण सिंह का कहना है जब तक सरकार इनर लाइन कानून को नहीं हटाती है, तब तक नेलांग और जादुंग में बसना कठिन है. क्योंकि, घर बन जाने के बाद भी ग्रामीणों को कई बाध्यताओं से होकर गुजरना पड़ेगा.

Nelog Village Uttarkashi
उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रुहेला का बयान

क्या बोले उत्तरकाशी जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला? मामले में उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रुहेला का कहना है कि ग्रामीणों की इस मांग को दिल्ली में हुई बैठक में मुख्य सचिव ने गृह मंत्रालय के सामने रखा है. रक्षा मंत्रालय से वार्ता कर इस पर आगे का निर्णय लिया जाएगा.
ये भी पढ़ें: नो मैंस लैंड पर जाने की एक दिन की मिली अनुमति, चीन बॉर्डर पर जाड़ समुदाय के लोगों ने की ग्राम देवता की पूजा

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत शामिल नेलांग और जादुंग गांव को इनर लाइन बाध्यता से बाहर करने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है. जिला प्रशासन की मानें तो अंतराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा के दृष्टिगत गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय से विचार विमर्श कर इस पर निर्णय लेगा. इन गांवों से विस्थापित बगोरी के ग्रामीणों ने इस संबध में पीएम मोदी को पत्र लिखकर इनर लाइन बाध्यता को समाप्त करने की मांग की थी.

Jadung Village from InnerLine
भारत चीन बॉर्डर पर बसा गांव

वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल गांवः भारत सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत हर्षिल घाटी के 8 गांवों के साथ ही नेलांग जादुंग गांव को शामिल किया गया है. साल 1962 में शीतकाल में चीन ने अचानक भारत पर हमला कर दिया था. उस समय नेलांग और जादुंग गांव के ग्रामीण अपनी भेड़ बकरियों के साथ निचले इलाकों में आए थे. युद्ध की स्थिति को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत चीन (तिब्बत) पर पीएससी की टुकड़ी भेजी. इस टुकड़ी ने नेलांग जादुंग गांव के घरों को छावनी में तब्दील कर दिया था.

InnerLine Village Jadung
नेलांग गांव
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साल 1962 में नेलांग गांव में करीब 36 और जादुंग गांव में 16 परिवार निवास करते थे. ग्रीष्मकाल में जब ग्रामीणों का वापस जाने का समय था तो उन्हें उनके घरों में सामरिक दृष्टिकोण से नहीं जाने दिया गया. नेलांग जादुंग गांव के जाड़ समुदाय के लोगों को हर्षिल के पास बगोरी और डुंडा में विस्थापित कर दिया गया. उसके बाद से अब तक ग्रामीणों को साल में एक बार उनके कुल देव लाल देवता की पूजा के लिए जिला प्रशासन की ओर से गांव जाने की अनुमति दी जाती है.

Nelog Village Uttarkashi
नेलांग घाटी

बगोरी गांव के पूर्व प्रधान भवान सिंह राणा का कहना है कि आज भी राजस्व अभिलेखों में नेलांग गांव में ग्रामीणों की करीब 700 नाली और जादुंग में करीब 450 नाली भूमि है. बगोरी गांव के गोपाल सिंह नेगी भावुक होकर बताते हैं कि वो 1962 में 10 साल के थे. तब वो शीतकाल में अपनी भेड़ बकरियों के साथ निचले इलाके के जंगलों में आए थे.
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ग्रीष्मकाल में जब वापस आने का समय आया तो अपने बड़ों से पता चला कि उनके घर सेना का ठिकाना बन चुके हैं. बुजुर्ग नारायण सिंह का कहना है जब तक सरकार इनर लाइन कानून को नहीं हटाती है, तब तक नेलांग और जादुंग में बसना कठिन है. क्योंकि, घर बन जाने के बाद भी ग्रामीणों को कई बाध्यताओं से होकर गुजरना पड़ेगा.

Nelog Village Uttarkashi
उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रुहेला का बयान

क्या बोले उत्तरकाशी जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला? मामले में उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रुहेला का कहना है कि ग्रामीणों की इस मांग को दिल्ली में हुई बैठक में मुख्य सचिव ने गृह मंत्रालय के सामने रखा है. रक्षा मंत्रालय से वार्ता कर इस पर आगे का निर्णय लिया जाएगा.
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Last Updated : Jun 26, 2023, 3:02 PM IST
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