देहरादून : उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-रुड़की (IIT Roorkee) द्वारा बड़े अरमानों से बनाया गया भूकंप अलर्ट एप अपनी पहली ही परीक्षा पास नहीं कर पाया. बीते चार अगस्त को उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप (Earthquake Alert App) की लॉन्चिंग के समय तमाम तरह के दावे किए गए थे कि उत्तराखंड में 5.5 तीव्रता या उससे अधिक का भूकंप (Earthquake) आने पर अलर्ट करेगा. इसके साथ ही कम तीव्रता वाले भूकंप के झटकों को भी रिकॉर्ड किया जाएगा.
10 अगस्त को उत्तराखंड में आया भूकंप
आज ही 10 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर देहरादून में 3.8 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप का केंद्र देहरादून में जमीन के 10 किलोमीटर नीचे था. हालांकि, इससे कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है. इस तरह के भूकंप सैलो भूकंप में काउंट किए जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप में इसका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं हुआ.
एप में रिकॉर्ड दर्ज नहीं
10 अगस्त दोपहर 3 बजे ईटीवी भारत की टीम ने जब उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप को चेक किया तो नतीजे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप के ताजा रिकॉर्ड के मुताबिक आखिरी बार 23 मई 2021 को रात शाम 7 बजकर 1 मिनट पर चमोली में 4.30 तीव्रता का भूकंप आया था. हालांकि ईटीवी भारत की ख़बर प्रकाशित होने के बाद शाम करीब 4 बजे एप में देहरादून भूकंप की जानकारी अपडेट की गई है.
पहले टेस्ट में ही एप फेल
उत्तराखंड में 10 अगस्त को आए भूकंप में एप फेल साबित होता नजर आ रहा है. क्योंकि एप में भूकंप आने से पहले न तो कोई जानकारी दी गई और न ही एप किसी तरह के रिकॉर्ड को दर्शा रहा है. ऐसे में अब इस एप को लेकर भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वास्तव में यह एप भविष्य में आने वाले खतरे को लेकर चेतावनी दे पाएगा या नहीं?
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (IIT Roorkee) द्वारा डेवलप इस एप में दावा किया गया था कि एप भूकंप (Earthquake) से पहले लोगों को अलर्ट मैसेज भेजेगा और रिकॉर्ड भी दर्ज कराएगा. यह भूकंप के दौरान फंसे लोगों की लोकेशन का पता लगाने में भी मदद करेगा और संबंधित अधिकारियों को भी अलर्ट भेज देगा. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश में भूकंप एवं आपदा जैसी स्थिति हमेशा बनती रहती है. जिसे देखते हुए उत्तराखंड भूकंप एप को लॉन्च किया गया था.
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उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप की खासियत
उत्तराखंड में भूकंप आने पर मौजूदा समय में 71 सायरन और 165 सेंसर लगे हैं. ऐसे में यह एप भूकंप आने से 20 सेकेंड पहले न सिर्फ चेतावनी देगा, बल्कि भूकंप आने के बाद फंसे लोगों की लोकेशन भी बताएगा. इस एप पर आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक पिछले चार साल से काम कर रहे थे. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भूकंप आने से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा.
भूकंप के पूर्वानुमान पर उठ रहे सवाल
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भूकंप वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार रुहेला के अनुसार भूकंप का केंद्र देहरादून में जमीन के 10 किलोमीटर नीचे था. कम तीव्रता होने की वजह से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. इसके साथ ही वाडिया के वैज्ञानिक लगातार इस एप पर सवाल उठ रहे हैं. भूकंप पूर्वानुमान के सवाल पर बोलते हुए भूकंप वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार रुहेला ने बताया कि उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से जोन 4 और जोन 5 में आता है.
लिहाजा अगर जोन 4 की बात करें तो पूरे विश्व में किसी भी देश में अभी तक भूकंप के पूर्वानुमान की प्रणाली नहीं है. उत्तराखंड सरकार के अर्ली वार्निंग सिस्टम एप्लीकेशन भूकंप से निकलने वाली वेब कितने सेकेंड में लोगों तक पहुंचेगी, उसकी जानकारी देगा. ऐसे में लोगों को करीब 15 से 25 सेकंड का ही टाइम मिलेगा, जो जान-माल बचाने के लिए बेहद कम समय है. क्योंकि भूकंप की तरंगें 8 किलोमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से आगे बढ़ती हैं.
भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है उत्तराखंड
उत्तराखंड भूकंप के अति संवेदनशील जोन चार और पांच में आता है. ऐसे में हिमालयी प्रदेशों में से एक उत्तराखंड में भूकंप के लिहाज से खास सावधानी बरतनी होती है. राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं. जबकि ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं.
उत्तराखंड में 2017 के बाद नहीं आये हैं मॉडरेट अर्थक्वेक
उत्तराखंड में साल 2017 के बाद कोई बड़ा भूकंप महसूस नहीं किया गया है. हालांकि इन 4 सालों के भीतर हजारों सैलो भूकंप आए हैं जिनकी तीव्रता 1.5 मेग्नीट्यूड से कम रही है. इसकी वजह से ये भूकंप महसूस नहीं होते हैं. यही नहीं इन 4 सालों के भीतर कई मॉडरेट अर्थक्वेक भी आए हैं, साल 1991 में उत्तरकाशी में 6.5 मेग्नीट्यूड, साल 1999 में चमोली में 6.0 मेग्नीट्यूड के साथ ही साल 2017 में रुद्रप्रयाग में करीब 6.0 मैग्नीट्यूड के भूकंप आए थे. ये मॉडरेट अर्थक्वेक थे और सैलो डेप्थ से आये थे.