देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड बिल पर मंगलवार को बड़ा फैसला लिया है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में बना देवास्थानम बोर्ड भंग कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड बिल को लेकर विभिन्न प्रकार के सामाजिक संगठनों, तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज के लोगों और विभिन्न प्रकार के जनप्रतिनिधियों से बात की है और सभी के सुझाव आए. इन सुझावों पर भी उत्तराखंड सरकार ने फैसला लेने के दौरान विचार किया.
उन्होंने कहा कि मनोहर कांत ध्यानी जी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी. उस कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी है. जिस पर हमने विचार करते हुए निर्णय लिया है कि हम इस अधिनियम को वापस ले रहे हैं. आगे चल कर हम सभी से बात करते जो भी उत्तराखंड राज्य के हित में होगा उस पर कार्रवाई करेंगे.
गौरतलब है कि इससे पहले देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड बिल पर फैसला लेने के लिए उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब कमेटी ने सीएम धामी को रिपोर्ट सौंप थी. इस उच्चाधिकार समिति को उत्तराखंड चार धाम प्रबंधन अधिनियम , 2019 पर गौर करने के लिए राज्य सरकार ने गठित किया था.
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कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और यतीश्वरानंद को कमेटी का सदस्य बनाया गया था. सब-कमेटी ने कुछ ही घंटों में सिफारिश सीएम को सौंप दी थी.
मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि पंडा, पुरोहितों और पुजारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा है.
बता दें कि चारों हिमालयी धामों-बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहित देवस्थानम मैनेजमेंट बोर्ड बिल का विरोध कर रहे थे. पुरोहितों का मानना है कि बोर्ड का गठन उनके अधिकारों का हनन है.
देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था, जिसके तहत चार धामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था.