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अमेरिका व यूएन ने भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या पर दुख जताया

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अफगानिस्तान में भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या पर दुख व्यक्त किया है. वहीं अमेरिका ने भी भारतीय फोटो पत्रकार की हत्या पर क्षोभ व्यक्त किया है.

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Published : Jul 17, 2021, 7:36 AM IST

Updated : Jul 17, 2021, 9:05 AM IST

संयुक्त राष्ट्र : युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन ने भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी व अन्य पत्रकारों की हत्या की जांच की मांग की है. महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि महासचिव ने दुनिया में कहीं भी मारे गए या वास्तव में उत्पीड़न का शिकार हुए पत्रकारों पर दुख जताया और दानिश सिद्दीकी का मामला ऐसा ही एक मामला है.

वह पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त फोटो पत्रकार सिद्दीकी की हत्या पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे. सिद्दीकी रॉयटर संवाद समिति के लिए काम करते थे और शुक्रवार को अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक बॉर्डर क्रॉसिंग के पास अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भीषण लड़ाई की कवरेज करने के दौरान मारे गए.

अमेरिका ने भी दुख जताया

अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन और सांसदों ने अफगानिस्तान में अफगान बलों और तालिबानी आतंकवादियों के बीच जंग को कवर करने के दौरान भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर शोक जताया है. वर्ष 2018 में पुलित्जर पुरस्कार जीत चुके सिद्दीकी रॉयटर्स समाचार एजेंसी के लिए काम करते थे. पाकिस्तान के साथ सीमा के पास स्पिन बोल्डक शहर में शुक्रवार को वह मारे गए. उस दौरान वह अफगान विशेष बलों के साथ जुड़े हुए थे.

अमेरिका के विदेश विभाग में प्रधान उप प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने पत्रकारों से कहा कि हमें यह सुनकर गहरा दुख हुआ है कि रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में लड़ाई को कवर करते हुए मारे गए. उन्होंने कहा कि सिद्दीकी ने अक्सर दुनिया के सबसे अधिक जरूरी और चुनौतीपूर्ण खबरों पर अपने काम से प्रशंसा पाई.

वह ध्यान आकर्षित करने वाली तस्वीरें लेते थे जो भावनाओं से ओत-प्रोत होतीं और सुर्खियां बनाने वाले मानवीय चेहरे को व्यक्त करते थे. रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर उनकी शानदार रिपोर्टिंग ने उन्हें 2018 में पुलित्जर पुरस्कार दिलाया.

पोर्टर ने कहा कि सिद्दीकी का निधन न केवल रॉयटर्स और उनके मीडिया सहयोगियों के लिए बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी एक बहुत बड़ी क्षति है. अफगानिस्तान में अब तक बहुत से पत्रकार मारे जा चुके हैं. हम हिंसा को समाप्त करने का आह्वान करते हैं. अफगानिस्तान में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता न्यायसंगत टिकाऊ शांति समझौता है.

सीनेट की विदेश मामलों की समिति में शीर्ष सदस्य सीनेटर जिम रिस्च ने भारतीय पत्रकार की मृत्यु पर शोक जताया है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान को कवर करते हुए रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की दुखद मौत हमें समाचार साझा करने के लिए जोखिम उठाने वाले उन पत्रकारों की याद दिलाती है. किसी भी पत्रकार की अपना काम करते हुए मौत नहीं होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें-तालिबान ने भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी का शव रेडक्रॉस को सौंपा

वाशिंगटन डीसी में सीपीजे के एशिया कार्यक्रम समन्वयक स्टीवन बटलर ने कहा कि रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत आज एक दुखद सूचना है. भले ही अमेरिका और उसके सहयोगी सेना बुला लें फिर भी पत्रकार अफगानिस्तान में काम करना जारी रखेंगे जो उनके जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है.

उन्होंने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए लड़ाकों को जिम्मेदारी लेने की जरूरत है क्योंकि इस संघर्ष में दर्जनों पत्रकार मारे गए हैं. जिनमें बहुत कम या कोई जवाबदेही नहीं ली गई है.

(पीटीआई-एएनआई)

संयुक्त राष्ट्र : युद्धग्रस्त देश अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन ने भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी व अन्य पत्रकारों की हत्या की जांच की मांग की है. महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि महासचिव ने दुनिया में कहीं भी मारे गए या वास्तव में उत्पीड़न का शिकार हुए पत्रकारों पर दुख जताया और दानिश सिद्दीकी का मामला ऐसा ही एक मामला है.

वह पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त फोटो पत्रकार सिद्दीकी की हत्या पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे. सिद्दीकी रॉयटर संवाद समिति के लिए काम करते थे और शुक्रवार को अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में पाकिस्तान से लगे एक बॉर्डर क्रॉसिंग के पास अफगान सैनिकों और तालिबान आतंकवादियों के बीच भीषण लड़ाई की कवरेज करने के दौरान मारे गए.

अमेरिका ने भी दुख जताया

अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन और सांसदों ने अफगानिस्तान में अफगान बलों और तालिबानी आतंकवादियों के बीच जंग को कवर करने के दौरान भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर शोक जताया है. वर्ष 2018 में पुलित्जर पुरस्कार जीत चुके सिद्दीकी रॉयटर्स समाचार एजेंसी के लिए काम करते थे. पाकिस्तान के साथ सीमा के पास स्पिन बोल्डक शहर में शुक्रवार को वह मारे गए. उस दौरान वह अफगान विशेष बलों के साथ जुड़े हुए थे.

अमेरिका के विदेश विभाग में प्रधान उप प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने पत्रकारों से कहा कि हमें यह सुनकर गहरा दुख हुआ है कि रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी अफगानिस्तान में लड़ाई को कवर करते हुए मारे गए. उन्होंने कहा कि सिद्दीकी ने अक्सर दुनिया के सबसे अधिक जरूरी और चुनौतीपूर्ण खबरों पर अपने काम से प्रशंसा पाई.

वह ध्यान आकर्षित करने वाली तस्वीरें लेते थे जो भावनाओं से ओत-प्रोत होतीं और सुर्खियां बनाने वाले मानवीय चेहरे को व्यक्त करते थे. रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर उनकी शानदार रिपोर्टिंग ने उन्हें 2018 में पुलित्जर पुरस्कार दिलाया.

पोर्टर ने कहा कि सिद्दीकी का निधन न केवल रॉयटर्स और उनके मीडिया सहयोगियों के लिए बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी एक बहुत बड़ी क्षति है. अफगानिस्तान में अब तक बहुत से पत्रकार मारे जा चुके हैं. हम हिंसा को समाप्त करने का आह्वान करते हैं. अफगानिस्तान में आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता न्यायसंगत टिकाऊ शांति समझौता है.

सीनेट की विदेश मामलों की समिति में शीर्ष सदस्य सीनेटर जिम रिस्च ने भारतीय पत्रकार की मृत्यु पर शोक जताया है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान को कवर करते हुए रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की दुखद मौत हमें समाचार साझा करने के लिए जोखिम उठाने वाले उन पत्रकारों की याद दिलाती है. किसी भी पत्रकार की अपना काम करते हुए मौत नहीं होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें-तालिबान ने भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी का शव रेडक्रॉस को सौंपा

वाशिंगटन डीसी में सीपीजे के एशिया कार्यक्रम समन्वयक स्टीवन बटलर ने कहा कि रॉयटर्स के फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत आज एक दुखद सूचना है. भले ही अमेरिका और उसके सहयोगी सेना बुला लें फिर भी पत्रकार अफगानिस्तान में काम करना जारी रखेंगे जो उनके जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है.

उन्होंने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए लड़ाकों को जिम्मेदारी लेने की जरूरत है क्योंकि इस संघर्ष में दर्जनों पत्रकार मारे गए हैं. जिनमें बहुत कम या कोई जवाबदेही नहीं ली गई है.

(पीटीआई-एएनआई)

Last Updated : Jul 17, 2021, 9:05 AM IST
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