मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ाने के मकसद से फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिये यूपीआई (Unified Payment Interface) आधारित भुगतान उत्पाद पेश करने का प्रस्ताव किया है. साथ ही केंद्रीय बैंक ने खुदरा निवेशकों द्वारा यूपीआई के उपयोग को प्रोत्साहन को लेकर खुदरा प्रत्यक्ष योजना और आईपीओ (initial public offering) आवेदनों के लिये इसके जरिये लेन-देन की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है.
आरबीआई ने कहा कि दूरसंचार नियामक ट्राई के अक्टूबर के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 118 करोड़ है। इसमें 74 करोड़ स्मार्टफोन हैं जबकि शेष फीचर फोन हैं.
फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के पास डिजिटल भुगतान उत्पादों तक सीमित पहुंच हैं. हालांकि, फीचर फोन में एनयूयूपी (National Unified USSD Platform) है. यह मूल भुगतान सेवा प्राप्त करने का विकल्प है. आरबीआई ने कहा कि वित्तीय उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिये फीचर फोन उपयोगकर्ताओं को डिजिटल भुगतान की मुख्यधारा में लाना महत्वपूर्ण है.
केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि नियामकीय सैंडबॉक्स (सीमित दायरे में नये उत्पादों और सेवाओं का सीधा परीक्षण) के पहले समूह में, कुछ नवोन्मेषकों ने खुदरा भुगतान विषय के तहत फीचर फोन भुगतान के लिए अपने समाधानों का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था.
उन्होंने कहा कि इन उत्पादों एवं कुछ अन्य पूरक समाधानों के साथ फीचर फोन में डिजिटल भुगतान सुविधा दी जा सकती है. अत: डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ाने के मकसद से फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिये यूपीआई आधारित भुगतान उत्पाद पेश करने का प्रस्ताव है. इस बारे में जल्दी ही विस्तृत ब्योरा जारी किया जाएगा.
इसके अलावा, खुदरा निवेशकों द्वारा यूपीआई के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये खुदरा प्रत्यक्ष योजना और आईपीओ आवेदनों के लिये इसके जरिये लेन-देन की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है.
आरबीआई ने कहा कि आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिये यूपीआई एक लोकप्रिय भुगतान विकल्प बन गया है. ऐसी रिपोर्ट है कि दो से पांच लाख रुपये के आईपीओ आवेदन का हिस्सा कुल आवेदनों का लगभग 10 प्रतिशत है.
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उन्होंने कहा कि लेन-देन की मात्रा (अक्टूबर 2021 में प्रति दिन 14 करोड़ लेनदेन) के हिसाब से यूपीआई देश में सबसे बड़ी खुदरा भुगतान प्रणाली है. यूपीआई के प्रारंभिक उद्देश्यों में से एक कम मूल्य के लेनदेन में नकदी की जगह इसका उपयोग करना था.
दास ने कहा कि आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि यूपीआई के जरिये 50 प्रतिशत लेन-देन 200 रुपये से कम के हैं. हालांकि, ये कम मूल्य के लेन-देन, महत्वपूर्ण प्रणाली क्षमता और संसाधनों का उपयोग करते हैं. कभी-कभी कनेक्टिविटी से संबंधित मुद्दों के कारण लेनदेन की विफलता के कारण ग्राहकों को असुविधा होती है.
उन्होंने कहा कि इसीलिए यूपीआई एप में ऑन-डिवाइस वॉलेट के माध्यम से छोटे मूल्य के लेनदेन को सक्षम करके एक सरल प्रक्रिया बनाने का प्रस्ताव है, जो उपयोगकर्ता के लिए लेनदेन के अनुभव में किसी भी बदलाव के बिना बैंकों की प्रणाली से जुड़े संसाधनों का संरक्षण करेगी.
(पीटीआई-भाषा)