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'कैच द रेन' योजना के तहत अनुदान पाने वाले जिलों में यूपी सबसे ऊपर

देश में उत्तर प्रदेश उन सभी राज्यों में सबसे ऊपर है जिसे कैच द रेन योजना के तहत प्रत्येक जिले के लिए एक लाख रुपये की दर से केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता राकेश त्रिपाठी की रिपोर्ट...

catch the rain scheme
'कैच द रेन' योजना (प्रतीकात्मक फोटो)
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Published : May 6, 2022, 5:49 PM IST

नई दिल्ली : देश में उत्तर प्रदेश उन सभी राज्यों में सबसे ऊपर है जिसे कैच द रेन योजना के तहत प्रत्येक जिले के लिए एक लाख रुपये की दर से केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. हालांकि शुरुआत इस अनुदान राशि को दिया गया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि शेष राशि प्रत्येक जिले में किए गए कार्यों के प्रदर्शन और गुणवत्ता के आधार पर दी जाएगी.

इतना ही नहीं जल शक्ति मंत्रालय के द्वारा हर जिले को जल निकायों की भौगोलिक सूचना प्रणाली की मैपिंग और वैज्ञानिक योजनाओं की तैयारी में खर्च के हिस्से को पूरा करने के लिए दो-दो लाख रुपये का वित्तीय अनुदान आवंटित किया गया है. बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मार्च में योजना शुरू की थी, जिसके लिए जल शक्ति मंत्रालय ने अप्रैल में धनराशि जारी की थी.

योजना के तहत शामिल जिलों में, यूपी में 46, एमपी 44, तमिलनाडु 34, तेलंगाना 32, बिहार 28, राजस्थान 25, हरियाणा 22, असम 19, जम्मू-कश्मीर 18, गुजरात 14, झारखंड 13, उत्तराखंड 13, छत्तीसगढ़ 13, आंध्र हैं। प्रदेश 13, केरल 11, ओडिशा 11, अरुणाचल प्रदेश 11, पंजाब 7, हिमाचल प्रदेश 7, महाराष्ट्र 3, कर्नाटक 2 और पश्चिम बंगाल 2 जिले शामिल हैं. इस योजना का उद्देश्य स्थानीय जल निकायों को बढ़ावा देने के साथ-साथ भूजल स्तर को जोड़ने के लिए वर्षा जल को संग्रहित करना है, जिससे राज्यों को पानी का संकट का सामना नहीं करना पड़े.

बता दें कि जल राज्य का विषय होने के कारण राज्य सरकारों द्वारा अपने संसाधनों और प्राथमिकताओं के अनुसार परियोजनाओं की योजना, वित्त पोषण, निष्पादन और रखरखाव किया जाता है. वहीं केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता के माध्यम से उनके प्रयासों की पूर्ति करती है.

ये भी पढ़ें - गर्मी में राज्य में पानी की कोई कमी नहीं है; जानिए बांधों में पानी की उपलब्धता

इसके तहत राज्यों को समय-समय पर वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण पर काम करने की सलाह दी गई है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ मौजूदा वर्षा जल संचयन संरचनाओं का रखरखाव, पारंपरिक जल निकायों का नवीनीकरण, तालाबों/झीलों के अतिक्रमणों को हटाना और उनके जलग्रहण क्षेत्र शामिल हैं. इस बारे में एक अधिकारी ने बताया कि अभियान के केंद्रित हस्तक्षेपों में वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण, गणना, भू-टैगिंग और सभी जल निकायों की सूची बनाना, इसके आधार पर जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक योजना तैयार करना, सभी जिलों में जल शक्ति केंद्रों की स्थापना और गहन वनरोपण के साथ ही लोगों में जागरुकता पैदा करना भी शामिल है. अधिकारियों का मानना है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), कायाकल्प और शहरी परिवर्तन और मरम्मत के लिए अटल मिशन, नवीनीकरण और बहाली, वाटरशेड विकास घटक, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत इस परियोजना के काम को भी किया जाता है.

नई दिल्ली : देश में उत्तर प्रदेश उन सभी राज्यों में सबसे ऊपर है जिसे कैच द रेन योजना के तहत प्रत्येक जिले के लिए एक लाख रुपये की दर से केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. हालांकि शुरुआत इस अनुदान राशि को दिया गया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि शेष राशि प्रत्येक जिले में किए गए कार्यों के प्रदर्शन और गुणवत्ता के आधार पर दी जाएगी.

इतना ही नहीं जल शक्ति मंत्रालय के द्वारा हर जिले को जल निकायों की भौगोलिक सूचना प्रणाली की मैपिंग और वैज्ञानिक योजनाओं की तैयारी में खर्च के हिस्से को पूरा करने के लिए दो-दो लाख रुपये का वित्तीय अनुदान आवंटित किया गया है. बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मार्च में योजना शुरू की थी, जिसके लिए जल शक्ति मंत्रालय ने अप्रैल में धनराशि जारी की थी.

योजना के तहत शामिल जिलों में, यूपी में 46, एमपी 44, तमिलनाडु 34, तेलंगाना 32, बिहार 28, राजस्थान 25, हरियाणा 22, असम 19, जम्मू-कश्मीर 18, गुजरात 14, झारखंड 13, उत्तराखंड 13, छत्तीसगढ़ 13, आंध्र हैं। प्रदेश 13, केरल 11, ओडिशा 11, अरुणाचल प्रदेश 11, पंजाब 7, हिमाचल प्रदेश 7, महाराष्ट्र 3, कर्नाटक 2 और पश्चिम बंगाल 2 जिले शामिल हैं. इस योजना का उद्देश्य स्थानीय जल निकायों को बढ़ावा देने के साथ-साथ भूजल स्तर को जोड़ने के लिए वर्षा जल को संग्रहित करना है, जिससे राज्यों को पानी का संकट का सामना नहीं करना पड़े.

बता दें कि जल राज्य का विषय होने के कारण राज्य सरकारों द्वारा अपने संसाधनों और प्राथमिकताओं के अनुसार परियोजनाओं की योजना, वित्त पोषण, निष्पादन और रखरखाव किया जाता है. वहीं केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता के माध्यम से उनके प्रयासों की पूर्ति करती है.

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इसके तहत राज्यों को समय-समय पर वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण पर काम करने की सलाह दी गई है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ मौजूदा वर्षा जल संचयन संरचनाओं का रखरखाव, पारंपरिक जल निकायों का नवीनीकरण, तालाबों/झीलों के अतिक्रमणों को हटाना और उनके जलग्रहण क्षेत्र शामिल हैं. इस बारे में एक अधिकारी ने बताया कि अभियान के केंद्रित हस्तक्षेपों में वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण, गणना, भू-टैगिंग और सभी जल निकायों की सूची बनाना, इसके आधार पर जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक योजना तैयार करना, सभी जिलों में जल शक्ति केंद्रों की स्थापना और गहन वनरोपण के साथ ही लोगों में जागरुकता पैदा करना भी शामिल है. अधिकारियों का मानना है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), कायाकल्प और शहरी परिवर्तन और मरम्मत के लिए अटल मिशन, नवीनीकरण और बहाली, वाटरशेड विकास घटक, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत इस परियोजना के काम को भी किया जाता है.

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