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BJP Politics : गाय, महिला, दलित व पिछड़ों की राजनीति करने वाली भाजपा नहीं भर पा रही आयोगों के खाली पद

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. चुनाव (Lok sabha election 2024) से पहले दलित, पिछड़े, महिलाओं और गौ संरक्षण जैसे विषयों पर भाजपा का फोकस है फिर भी पार्टी आयोग व निगमों में अपने कई पदों को नहीं भर पाई है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 25, 2023, 2:56 PM IST

Updated : Oct 25, 2023, 3:12 PM IST

भाजपा की गतिविधियों की जानकारी देते वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी.

लखनऊ : कार्यकर्ताओं के मोर्चे पर लगातार विपक्ष के निशाने पर रहने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक बार फिर चर्चा में है. 'योगी सरकार-2' के डेढ़ साल होने के बाद भी पार्टी आयोग व निगमों में अपने कई पदों (major commissions and corporations in UP) को नहीं भर पाई है, जबकि अन्य पार्टी सत्ता में आने के तुरंत बाद निगम, बोर्ड, आयोग और परिषदों के जरूरी पदों को भर दिया करती हैं. विडम्बना यह कि जिन मुद्दों के बूते यूपी की सत्ता तक पहुंची बीजेपी उसी वर्ग को भूल बैठी है. पिछड़ों, दलितों और आधी आबादी की वकालत करने वाली पार्टी इनकी रहनुमाई करने वाले आयोगों में भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्त नहीं कर पाई है.

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा कर रही मंथन.
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा कर रही मंथन.

महिलाओं को आगे रखकर राजनीति कर रही भाजपा : बताते चलें कि यूपी में करीब 48 फीसदी महिलाएं हैं. वहीं इस बार सदन में 12 प्रतिशत महिला विधायक पहुंची हैं. बात पिछड़ा वर्ग की करें तो यूपी में 79 जातियों में बंटा ओबीसी समाज कुल 54 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखता है, वहीं दलित समाज करीब 21 प्रतिशत है. जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर लोकसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी इन पदों को भरने की भरसक कोशिश करेगी. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में चुनाव के तीन माह पहले शिवराज सरकार ने केश शिल्पी बोर्ड, मत्स्य-मछुवारा जैसे नए बोर्ड का गठन किया था.

भाजपा कार्यालय.
भाजपा कार्यालय.

जानिए कहां है भाजपा का फोकस : लोकसभा चुनाव से पहले दलित, पिछड़े, महिलाओं और गौ संरक्षण जैसे विषयों पर भाजपा का फोकस है. इन वर्ग से जुड़े मुद्दों और समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले आयोग और लोगों की समस्याओं के निस्तारण सहित तमाम चीजों पर निगरानी करने वाले आयोग ही खाली हैं. भाजपा जिन समाज और विषयों को लेकर राजनीति कर रही है उससे जुड़े आयोग और निगमों में नेताओं की नियुक्ति न होने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में महिला आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, गौ सेवा आयोग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कई अन्य आयोग निगम खाली हैं. सरकार और संगठन के स्तर पर इन्हें भरे जाने की प्रक्रिया पिछले काफी समय से लंबित चल रही है.

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव.

कार्यकर्ताओं के नेतृत्व को लेकर असहज है भाजपा : सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठन और सरकार के बीच समन्वय की कमी और खींचतान के चलते नेताओं का समायोजन नहीं हो पा रहा है. योगी सरकार के दोबारा गठन के बाद डेढ़ साल से अधिक समय बीतने को है, लेकिन आयोग और निगमों में नेताओं को जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी है. इसको लेकर भाजपा के अंदर भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रदेश में पिछड़े समाज की समस्याओं और उनसे जुड़े विषयों के निस्तारण के लिए बना पिछड़ा आयोग अब भी नेतृत्व को तरस रहा है, वहीं दूसरी तरफ अगर अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की बात करें तो वहां पर भी दलित उत्थान की बातें सिर्फ चुनावी वादों में पूरी हो रही हैं. जातीय समीकरणों को साधने में जुटी भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ताओं में ही जातीय समीकरण नहीं बैठा पा रही है. अंदर खाने में पार्टी स्तर पर भी कार्यकर्ताओं का नेतृत्व के प्रति काफी दबाव देखा जा सकता है.

इन आयोग व निगम की अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी खाली
  • उप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग
  • उप्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग
  • उप्र महिला आयोग
  • उप्र राज्य खाद्य आयोग
  • उप्र गौ सेवा आयोग
  • उप्र राज्य युवा कल्याण परिषद
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद
  • उप्र आवास एवं विकास परिषद
  • उप्र भूमि उपयोग परिषद
  • उप्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड
  • उप्र गन्ना शोध परिषद्
  • उप्र अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम
  • उप्र वक्फ विकास निगम
  • उप्र बीज विकास निगम
  • उप्र खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम
  • उप्र मध्य गन्ना बीज विकास निगम
  • उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम
  • उप्र महिला कल्याण निगम
  • उप्र वन निगम
  • उप्र राज्य समाज कल्याण बोर्ड

पुराने और भरोसेमंद कार्यकर्ताओं के नाराज होने की फिक्र : सूत्रों का कहना है कि कई पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ता अभी उम्मीद के सहारे बैठे हैं कि शायद चुनाव से पहले उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन अगर ऐसा न हुआ तो 2024 के लोकसभा चुनाव में वहीं वरिष्ठ और पुराने कार्यकर्ता नगर निकाय और जिला पंचायत के चुनाव के समय की तरह रूठ भी सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव में भाजपा के 80 सीटों पर जीत का दावा कैसे पूरा होगा यह भी सोचने वाली बात है. महिला आयोग, पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग सहित दर्जन भर से अधिक आयोग और निगमों में चेयरमैन, उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाई हैं. भाजपा नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ता समायोजन के लिए गणेश परिक्रमा में जुटे हुए हैं. भाजपा प्रदेश नेतृत्व से लेकर आरएसएस तक लॉबिंग की जा रही है.' पिछले दिनों प्रदेश संगठन ने 50 से अधिक नेताओं को इन आयोग और निगमों में समायोजित करने की लिस्ट तैयार की थी, लेकिन इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. कहा जा रहा है सरकार और संगठन के बीच समन्वय न होने से सूची फंसी हुई है. कार्यकर्ताओं में लगातार समायोजन न होने से निराशा बढ़ रही है.

यह भी पढ़ें : Watch : तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है, वह भाजपा को जरूर मौका देगी : के.लक्ष्मण

यह भी पढ़ें : Lok Sabha Elections 2024 में कई सेलिब्रेटी आजमाएंगे भाजपा में टिकट के लिए किस्मत, कुमार विश्वास और सुरेश रैना के नाम की भी चर्चा

भाजपा की गतिविधियों की जानकारी देते वरिष्ठ संवाददाता धीरज त्रिपाठी.

लखनऊ : कार्यकर्ताओं के मोर्चे पर लगातार विपक्ष के निशाने पर रहने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक बार फिर चर्चा में है. 'योगी सरकार-2' के डेढ़ साल होने के बाद भी पार्टी आयोग व निगमों में अपने कई पदों (major commissions and corporations in UP) को नहीं भर पाई है, जबकि अन्य पार्टी सत्ता में आने के तुरंत बाद निगम, बोर्ड, आयोग और परिषदों के जरूरी पदों को भर दिया करती हैं. विडम्बना यह कि जिन मुद्दों के बूते यूपी की सत्ता तक पहुंची बीजेपी उसी वर्ग को भूल बैठी है. पिछड़ों, दलितों और आधी आबादी की वकालत करने वाली पार्टी इनकी रहनुमाई करने वाले आयोगों में भी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्त नहीं कर पाई है.

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा कर रही मंथन.
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा कर रही मंथन.

महिलाओं को आगे रखकर राजनीति कर रही भाजपा : बताते चलें कि यूपी में करीब 48 फीसदी महिलाएं हैं. वहीं इस बार सदन में 12 प्रतिशत महिला विधायक पहुंची हैं. बात पिछड़ा वर्ग की करें तो यूपी में 79 जातियों में बंटा ओबीसी समाज कुल 54 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखता है, वहीं दलित समाज करीब 21 प्रतिशत है. जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर लोकसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी इन पदों को भरने की भरसक कोशिश करेगी. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में चुनाव के तीन माह पहले शिवराज सरकार ने केश शिल्पी बोर्ड, मत्स्य-मछुवारा जैसे नए बोर्ड का गठन किया था.

भाजपा कार्यालय.
भाजपा कार्यालय.

जानिए कहां है भाजपा का फोकस : लोकसभा चुनाव से पहले दलित, पिछड़े, महिलाओं और गौ संरक्षण जैसे विषयों पर भाजपा का फोकस है. इन वर्ग से जुड़े मुद्दों और समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले आयोग और लोगों की समस्याओं के निस्तारण सहित तमाम चीजों पर निगरानी करने वाले आयोग ही खाली हैं. भाजपा जिन समाज और विषयों को लेकर राजनीति कर रही है उससे जुड़े आयोग और निगमों में नेताओं की नियुक्ति न होने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. उत्तर प्रदेश में महिला आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, गौ सेवा आयोग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित कई अन्य आयोग निगम खाली हैं. सरकार और संगठन के स्तर पर इन्हें भरे जाने की प्रक्रिया पिछले काफी समय से लंबित चल रही है.

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव.
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हरीशचंद्र श्रीवास्तव.

कार्यकर्ताओं के नेतृत्व को लेकर असहज है भाजपा : सूत्रों का कहना है कि भाजपा संगठन और सरकार के बीच समन्वय की कमी और खींचतान के चलते नेताओं का समायोजन नहीं हो पा रहा है. योगी सरकार के दोबारा गठन के बाद डेढ़ साल से अधिक समय बीतने को है, लेकिन आयोग और निगमों में नेताओं को जिम्मेदारी नहीं दी जा सकी है. इसको लेकर भाजपा के अंदर भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रदेश में पिछड़े समाज की समस्याओं और उनसे जुड़े विषयों के निस्तारण के लिए बना पिछड़ा आयोग अब भी नेतृत्व को तरस रहा है, वहीं दूसरी तरफ अगर अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की बात करें तो वहां पर भी दलित उत्थान की बातें सिर्फ चुनावी वादों में पूरी हो रही हैं. जातीय समीकरणों को साधने में जुटी भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ताओं में ही जातीय समीकरण नहीं बैठा पा रही है. अंदर खाने में पार्टी स्तर पर भी कार्यकर्ताओं का नेतृत्व के प्रति काफी दबाव देखा जा सकता है.

इन आयोग व निगम की अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी खाली
  • उप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग
  • उप्र अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग
  • उप्र महिला आयोग
  • उप्र राज्य खाद्य आयोग
  • उप्र गौ सेवा आयोग
  • उप्र राज्य युवा कल्याण परिषद
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद
  • उप्र आवास एवं विकास परिषद
  • उप्र भूमि उपयोग परिषद
  • उप्र खादी ग्रामोद्योग बोर्ड
  • उप्र गन्ना शोध परिषद्
  • उप्र अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम
  • उप्र वक्फ विकास निगम
  • उप्र बीज विकास निगम
  • उप्र खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम
  • उप्र मध्य गन्ना बीज विकास निगम
  • उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम
  • उप्र महिला कल्याण निगम
  • उप्र वन निगम
  • उप्र राज्य समाज कल्याण बोर्ड

पुराने और भरोसेमंद कार्यकर्ताओं के नाराज होने की फिक्र : सूत्रों का कहना है कि कई पुराने और वरिष्ठ कार्यकर्ता अभी उम्मीद के सहारे बैठे हैं कि शायद चुनाव से पहले उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन अगर ऐसा न हुआ तो 2024 के लोकसभा चुनाव में वहीं वरिष्ठ और पुराने कार्यकर्ता नगर निकाय और जिला पंचायत के चुनाव के समय की तरह रूठ भी सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव में भाजपा के 80 सीटों पर जीत का दावा कैसे पूरा होगा यह भी सोचने वाली बात है. महिला आयोग, पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग सहित दर्जन भर से अधिक आयोग और निगमों में चेयरमैन, उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाई हैं. भाजपा नेता और वरिष्ठ कार्यकर्ता समायोजन के लिए गणेश परिक्रमा में जुटे हुए हैं. भाजपा प्रदेश नेतृत्व से लेकर आरएसएस तक लॉबिंग की जा रही है.' पिछले दिनों प्रदेश संगठन ने 50 से अधिक नेताओं को इन आयोग और निगमों में समायोजित करने की लिस्ट तैयार की थी, लेकिन इस पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है. कहा जा रहा है सरकार और संगठन के बीच समन्वय न होने से सूची फंसी हुई है. कार्यकर्ताओं में लगातार समायोजन न होने से निराशा बढ़ रही है.

यह भी पढ़ें : Watch : तेलंगाना की जनता बदलाव चाहती है, वह भाजपा को जरूर मौका देगी : के.लक्ष्मण

यह भी पढ़ें : Lok Sabha Elections 2024 में कई सेलिब्रेटी आजमाएंगे भाजपा में टिकट के लिए किस्मत, कुमार विश्वास और सुरेश रैना के नाम की भी चर्चा

Last Updated : Oct 25, 2023, 3:12 PM IST
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