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उत्तराखंड के हितैषी रहे मुलायम सिंह यादव, राजनीतिक दलों ने बनाया 'विलेन'

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए दुआओं का दौर कई दिन चला, लेकिन आज मुलायम सिंह ने आखिरी सांस ली. राज्य आंदोलन के दौरान मुलायम सिंह यादव को लेकर पहाड़ के जनमानस में नाराजगी थी, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि मुलायम सिंह उत्तराखंड के सबसे बड़े हितैषी रहे हैं. उनका पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी को लेकर पहला ड्राफ्ट तैयार करने में अहम योगदान रहा है. उनकी दोनों बहू भी पौड़ी जिले ताल्लुक रखती हैं. एक बहू बिष्ट से तो दूसरी रावत परिवार से आती हैं.

Mulayam Singh Yadav Uttarakhand Connection
मुलायम सिंह यादव का निधन
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Published : Oct 10, 2022, 12:38 PM IST

देहरादूनः समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अब नहीं रहे. उनका इलाज हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में चल रहा था. आज उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका राजनीतिक इतिहास बेहद विराट रहा है. इसमें उत्तराखंड से भी कई स्मृतियां भी जुड़ी हुई हैं. आपको बताते हैं कि उत्तराखंड से मुलायम सिंह यादव का क्या-क्या नाता रहा है.

पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी का पहला ड्राफ्ट मुलायम सिंह की देनः राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तराखंड राज्य और पहाड़ की मूल भावना के अनुरूप राजधानी गैरसैंण के रूप में पहला प्रस्ताव व उसका ड्राफ्ट तैयार कर केंद्र को भेजने वाले पहले नेता मुलायम सिंह यादव ही थे. सपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव जब पहली दफा साल 1989 में जनता दल से मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने उत्तराखंड के लोगों से वादा किया था कि वो अलग राज्य उत्तराखंड बनाएंगे.

UP Former CM Mulayam Singh
अब यादों में मुलायम सिंह यादव.

वहीं, दूसरी बार जब मुलायम सिंह यादव साल 1993 में समाजवादी पार्टी से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में काबीना मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में एक कौशिक कमेटी बनाई और अलग राज्य उत्तराखंड को लेकर रिपोर्ट तैयार करने को कहा. कमेटी ने पहली बैठक लखनऊ में की, दूसरी बैठक अल्मोड़ा में तो तीसरी पौड़ी में की गई. जबकि, चौथी बैठक काशीपुर और पांचवी बैठक लखनऊ में की गई. इस तरह से मुलायम सरकार की कौशिक समिति ने 10 महीने के भीतर अलग राज्य उत्तराखंड का 13 बिंदुओं का ड्राफ्ट तैयार किया.

UP Former CM Mulayam Singh
अखिलेश यादव और डिंपल यादव की शादी.

ड्राफ्ट रिपोर्ट में पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी का जिक्र था. वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए चकबंदी भू बंदोबस्त और हिमाचल मॉडल के तर्ज पर उत्तराखंड राज्य के निर्माण की कल्पना की गई थी. बताया जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए अगस्त 1994 में इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश के दोनों सदनों से पास करवा कर केंद्र को भेज दिया था.

UP Former CM Mulayam Singh
प्रतीक यादव और अपर्णा यादव की शादी में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन.

आरक्षण के आंदोलन को राज्य आंदोलन की तरफ मोड़ा गयाः उत्तराखंड राज्य आंदोलन (Uttarakhand State Movement) की आग साल 1994 में तब ज्यादा भड़की जब 2 सितंबर को मसूरी और खटीमा गोलीकांड हुआ. उसके बाद 2 अक्टूबर को रामपुर तिराहा कांड हुआ. इस पूरे प्रकरण के पीछे की पृष्ठभूमि को समझाते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि दरअसल जब राज्य गठन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सभी औपचारिकताएं पूरी करके केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया था.

Mulayam Singh Yadav Uttarakhand Connection
अपर्णा यादव और डिंपल यादव.

उसके बाद मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों को आरक्षण मिले, जो जाति आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिकी के आधार पर हो. इस आरक्षण के आधार पर 27 फीसदी आरक्षण उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मिलना था. जिसका लाभ केंद्रीय सेवाओं में भी दिया जाना प्रस्तावित था, लेकिन आरक्षण के विरोध में उत्तराखंड में कई लोगों ने अपनी आवाज उठाई और आरक्षण के खिलाफ उठी आवाज राज्य आंदोलन के रूप में तब्दील कर दी गई.

Mulayam Singh Yadav Uttarakhand Connection
डिंपल यादव.

ये भी पढ़ेंः सपा नेता मुलायम सिंह यादव की तबीयत बिगड़ी, ICU में शिफ्ट

जिसके बाद 2 सितंबर का प्रकरण हुआ. सपा नेता बताते हैं कि सुनियोजित षड्यंत्र करके रामपुर तिराहा कांड हुआ. इन सभी प्रकरणों के बाद समाजवादी पार्टी को लेकर उत्तराखंड के जन भावना में एक नकारात्मक छवि बनाई गई. हालांकि, सपा के नेताओं का कहना है कि बाद में जांच में साबित हो गया था कि इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत भी बताते हैं कि इस प्रकरण के बाद मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर से उत्तराखंड के जनमानस से माफी मांगी थी.

मुलायम सिंह का उत्तराखंड से राजनीतिक ही नहीं पारिवारिक संबंध भी रहाः वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव का उत्तराखंड से अगाध प्रेम था. उनका साफ कहना है कि उत्तराखंड का वास्तव में अगर कोई नेता हितैषी था तो वे मुलायम सिंह यादव थे. मुलायम सिंह का उत्तराखंड से इतना प्रेम था कि उनके उत्तराखंड से केवल राजनीतिक संबंध ही नहीं, बल्कि पारिवारिक संबंध भी स्थापित हुए.

UP Former CM Mulayam Singh
मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव.

मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव पौड़ी से रावतों की बेटी है तो वही मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू अपर्णा यादव भी उत्तराखंड के पौड़ी से बिष्ट परिवार से आती हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव अक्सर उत्तराखंड के दौरे पर रहते थे तो उन्हें यहां आकर बेहद अच्छा और अपनेपन का एहसास होता था. जिसका जिक्र अक्सर वो किया करते थे.

सैनिक बाहुल्य राज्य उत्तराखंड को दिलाया था सैनिक सम्मानः समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि सैनिक बाहुल्य राज्य उत्तराखंड के लिए मुलायम सिंह यादव का इतना प्रेम था कि जब वो केंद्र की देवगौड़ा सरकार में रक्षा मंत्री बने तो उन्होंने उत्तराखंड को इतनी बड़ी सौगात दी जो कि अभूतपूर्व थी. वे बताते हैं कि पहले जब भी कोई सैनिक शहीद होता था तो उस की बेल्ट और टोपी केवल परिवार को सौंपी जाती थी, लेकिन यह मुलायम सिंह यादव के ही प्रयास हैं कि पहली बार ऐसा नियम बना कि जब भी कोई सैनिक शहीद होकर अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे तो उसका पार्थिव शरीर उनके परिवार को सौंपा जाए. साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाए कि जिला प्रशासन पूरे सैनिक सम्मान के साथ शहीद की अंतिम यात्रा निकाले और उसकी अंत्येष्टि की जाए.

राजनीतिक दलों ने बनाया खलनायकः वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि केवल राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुलायम सिंह यादव को खलनायक बनाया, लेकिन उत्तराखंड के वाकई मुलायम सिंह एक बेहद बड़े हितैषी थे. उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मुलायम सिंह यादव की छवि को इतना नकारात्मक किया गया कि यहां के जनमानस में मुलायम सिंह के खिलाफ एक खलनायक वाली तस्वीर बन गई. सपा नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि अगर वास्तविक रूप से दस्तावेजों में देखा जाए तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन की कई बड़ी किताबें हैं, जिनमें इस बात का साफ जिक्र किया गया है कि मुलायम सिंह यादव उत्तराखंड राज्य बनने के पक्षधर थे न कि खिलाफ.

वहीं, इसके अलावा सपा नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि उस दौर में समाजवादी पार्टी में पहाड़ मूल के कई बड़े नेताओं ने अपनी अच्छी पहचान बनाई और अच्छी पकड़ बनाई. जिसमें विनोद बर्थवाल, अमरीश कुमार, मंत्री प्रसाद नैथानी, बर्फिया लाल जुवांठा, नरेंद्र भंडारी, सूर्यकांत धस्माना, बलवीर सिंह कुछ उन नेताओं में से हैं जो कि पूरे पहाड़ में अपनी धाक रखते थे और इन लोगों की स्वीकारिता जनमानस में भी बेहद ज्यादा थी.

देहरादूनः समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अब नहीं रहे. उनका इलाज हरियाणा के गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में चल रहा था. आज उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका राजनीतिक इतिहास बेहद विराट रहा है. इसमें उत्तराखंड से भी कई स्मृतियां भी जुड़ी हुई हैं. आपको बताते हैं कि उत्तराखंड से मुलायम सिंह यादव का क्या-क्या नाता रहा है.

पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी का पहला ड्राफ्ट मुलायम सिंह की देनः राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तराखंड राज्य और पहाड़ की मूल भावना के अनुरूप राजधानी गैरसैंण के रूप में पहला प्रस्ताव व उसका ड्राफ्ट तैयार कर केंद्र को भेजने वाले पहले नेता मुलायम सिंह यादव ही थे. सपा के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव जब पहली दफा साल 1989 में जनता दल से मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने उत्तराखंड के लोगों से वादा किया था कि वो अलग राज्य उत्तराखंड बनाएंगे.

UP Former CM Mulayam Singh
अब यादों में मुलायम सिंह यादव.

वहीं, दूसरी बार जब मुलायम सिंह यादव साल 1993 में समाजवादी पार्टी से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में काबीना मंत्री रमाशंकर कौशिक की अध्यक्षता में एक कौशिक कमेटी बनाई और अलग राज्य उत्तराखंड को लेकर रिपोर्ट तैयार करने को कहा. कमेटी ने पहली बैठक लखनऊ में की, दूसरी बैठक अल्मोड़ा में तो तीसरी पौड़ी में की गई. जबकि, चौथी बैठक काशीपुर और पांचवी बैठक लखनऊ में की गई. इस तरह से मुलायम सरकार की कौशिक समिति ने 10 महीने के भीतर अलग राज्य उत्तराखंड का 13 बिंदुओं का ड्राफ्ट तैयार किया.

UP Former CM Mulayam Singh
अखिलेश यादव और डिंपल यादव की शादी.

ड्राफ्ट रिपोर्ट में पर्वतीय राज्य उत्तराखंड और गैरसैंण राजधानी का जिक्र था. वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए चकबंदी भू बंदोबस्त और हिमाचल मॉडल के तर्ज पर उत्तराखंड राज्य के निर्माण की कल्पना की गई थी. बताया जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए अगस्त 1994 में इस रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश के दोनों सदनों से पास करवा कर केंद्र को भेज दिया था.

UP Former CM Mulayam Singh
प्रतीक यादव और अपर्णा यादव की शादी में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन.

आरक्षण के आंदोलन को राज्य आंदोलन की तरफ मोड़ा गयाः उत्तराखंड राज्य आंदोलन (Uttarakhand State Movement) की आग साल 1994 में तब ज्यादा भड़की जब 2 सितंबर को मसूरी और खटीमा गोलीकांड हुआ. उसके बाद 2 अक्टूबर को रामपुर तिराहा कांड हुआ. इस पूरे प्रकरण के पीछे की पृष्ठभूमि को समझाते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि दरअसल जब राज्य गठन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सभी औपचारिकताएं पूरी करके केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया था.

Mulayam Singh Yadav Uttarakhand Connection
अपर्णा यादव और डिंपल यादव.

उसके बाद मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों को आरक्षण मिले, जो जाति आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिकी के आधार पर हो. इस आरक्षण के आधार पर 27 फीसदी आरक्षण उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मिलना था. जिसका लाभ केंद्रीय सेवाओं में भी दिया जाना प्रस्तावित था, लेकिन आरक्षण के विरोध में उत्तराखंड में कई लोगों ने अपनी आवाज उठाई और आरक्षण के खिलाफ उठी आवाज राज्य आंदोलन के रूप में तब्दील कर दी गई.

Mulayam Singh Yadav Uttarakhand Connection
डिंपल यादव.

ये भी पढ़ेंः सपा नेता मुलायम सिंह यादव की तबीयत बिगड़ी, ICU में शिफ्ट

जिसके बाद 2 सितंबर का प्रकरण हुआ. सपा नेता बताते हैं कि सुनियोजित षड्यंत्र करके रामपुर तिराहा कांड हुआ. इन सभी प्रकरणों के बाद समाजवादी पार्टी को लेकर उत्तराखंड के जन भावना में एक नकारात्मक छवि बनाई गई. हालांकि, सपा के नेताओं का कहना है कि बाद में जांच में साबित हो गया था कि इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत भी बताते हैं कि इस प्रकरण के बाद मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर से उत्तराखंड के जनमानस से माफी मांगी थी.

मुलायम सिंह का उत्तराखंड से राजनीतिक ही नहीं पारिवारिक संबंध भी रहाः वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव का उत्तराखंड से अगाध प्रेम था. उनका साफ कहना है कि उत्तराखंड का वास्तव में अगर कोई नेता हितैषी था तो वे मुलायम सिंह यादव थे. मुलायम सिंह का उत्तराखंड से इतना प्रेम था कि उनके उत्तराखंड से केवल राजनीतिक संबंध ही नहीं, बल्कि पारिवारिक संबंध भी स्थापित हुए.

UP Former CM Mulayam Singh
मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव.

मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव पौड़ी से रावतों की बेटी है तो वही मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू अपर्णा यादव भी उत्तराखंड के पौड़ी से बिष्ट परिवार से आती हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव अक्सर उत्तराखंड के दौरे पर रहते थे तो उन्हें यहां आकर बेहद अच्छा और अपनेपन का एहसास होता था. जिसका जिक्र अक्सर वो किया करते थे.

सैनिक बाहुल्य राज्य उत्तराखंड को दिलाया था सैनिक सम्मानः समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि सैनिक बाहुल्य राज्य उत्तराखंड के लिए मुलायम सिंह यादव का इतना प्रेम था कि जब वो केंद्र की देवगौड़ा सरकार में रक्षा मंत्री बने तो उन्होंने उत्तराखंड को इतनी बड़ी सौगात दी जो कि अभूतपूर्व थी. वे बताते हैं कि पहले जब भी कोई सैनिक शहीद होता था तो उस की बेल्ट और टोपी केवल परिवार को सौंपी जाती थी, लेकिन यह मुलायम सिंह यादव के ही प्रयास हैं कि पहली बार ऐसा नियम बना कि जब भी कोई सैनिक शहीद होकर अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे तो उसका पार्थिव शरीर उनके परिवार को सौंपा जाए. साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाए कि जिला प्रशासन पूरे सैनिक सम्मान के साथ शहीद की अंतिम यात्रा निकाले और उसकी अंत्येष्टि की जाए.

राजनीतिक दलों ने बनाया खलनायकः वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बताते हैं कि केवल राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुलायम सिंह यादव को खलनायक बनाया, लेकिन उत्तराखंड के वाकई मुलायम सिंह एक बेहद बड़े हितैषी थे. उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मुलायम सिंह यादव की छवि को इतना नकारात्मक किया गया कि यहां के जनमानस में मुलायम सिंह के खिलाफ एक खलनायक वाली तस्वीर बन गई. सपा नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि अगर वास्तविक रूप से दस्तावेजों में देखा जाए तो उत्तराखंड राज्य आंदोलन की कई बड़ी किताबें हैं, जिनमें इस बात का साफ जिक्र किया गया है कि मुलायम सिंह यादव उत्तराखंड राज्य बनने के पक्षधर थे न कि खिलाफ.

वहीं, इसके अलावा सपा नेता सत्यनारायण सचान बताते हैं कि उस दौर में समाजवादी पार्टी में पहाड़ मूल के कई बड़े नेताओं ने अपनी अच्छी पहचान बनाई और अच्छी पकड़ बनाई. जिसमें विनोद बर्थवाल, अमरीश कुमार, मंत्री प्रसाद नैथानी, बर्फिया लाल जुवांठा, नरेंद्र भंडारी, सूर्यकांत धस्माना, बलवीर सिंह कुछ उन नेताओं में से हैं जो कि पूरे पहाड़ में अपनी धाक रखते थे और इन लोगों की स्वीकारिता जनमानस में भी बेहद ज्यादा थी.

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