नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly elections 2022) के लिए लगभग 172 सीटों पर मंथन हुआ और इन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगा दी गई है. सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कौशांबी से और दिनेश शर्मा के लखनऊ से चुनाव लड़ने का भी फैसला लिया गया है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भाजपा, एनडीए गठबंधन के बीच सीटों का भी फॉर्मूला तय कर चुकी है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, अपना दल 13-14 सीट और निषाद पार्टी 13-17 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.
हालांकि, इस बीच गुरुवार को भी भाजपा विधायकों के इस्तीफे का दौर चलता रहा और पार्टी यह उम्मीद कर रही है कि जब पहले चरण की सीटों की लिस्ट आएगी तो जिन विधायकों का टिकट कटेगा, उनमें से भी कई और विधायक पार्टी छोड़ कर जा सकते हैं.
उत्तर प्रदेश में एनडीए की सहयोगी पार्टियों को कितनी सीटें मिलेंगी और गठबंधन की पार्टियां किस तरह से गठबंधन को देख रही है, कितनी सीटों का दावा कर रही हैं, इन तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद (Nishad Party Chief Sanjay Nishad) से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि हमें 15 से 18 सीटें मिलेंगी, लगभग सभी सीटों पर बातचीत हो गई है लेकिन दो-तीन सीटों पर भाजपा के सिंबल से लड़ने की बात हो रही है, जिस पर अभी निर्णय होना तय है. उन्होंने कहा कि दो-तीन दिन के अंदर ही सीटों की घोषणा हो जाएगी.
स्वामी प्रसाद मौर्य के सपा में शामिल होने पर संजय निषाद ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी से जाने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जीत के समीकरण में हम लोग और हमारी निषाद पार्टी आगे थी, इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने हमारे साथ गठबंधन किया.
इस सवाल पर कि कई विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ जा रहे हैं क्या उस नुकसान को निषाद पार्टी भरेगी, उन्होंने कहा कि वोट बैंक पार्टी का होता है. साल 2019 में सपा और बसपा का बहुत बड़ा गठबंधन था. कांग्रेस और सपा का 2019 में बड़ा गठबंधन था, लेकिन 2019 में सपा-बसपा गठबंधन का कोई प्रभाव नहीं हुआ और 2017 में कांग्रेस और सपा का गठबंधन साफ हो गया, इसीलिए किसी के समाजवादी पार्टी में जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि निषाद पार्टी का वोट बैंक मछुआ समुदाय का काफी बड़ा है और यह गठबंधन को फायदा पहुंचाएगा.
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान पिछड़े समुदाय के लोगों पर कितना शोषण किया गया, लाठियां चली, आरक्षण खत्म किया गया, जनता सब जानती है इसीलिए वोट बैंक उनकी तरफ जाने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि मछुआ समुदाय के अलावा बाकी पिछड़ा समुदाय भी समाजवादी पार्टी को समझ चुका है और वह उनके साथ नहीं बल्कि हमारे गठबंधन के साथ आएगा.
उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव आचार संहिता से पहले प्रधानमंत्री के मंच से बोल चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी काफी अच्छी पार्टी है और इस सरकार में काफी काम हुआ है और अब आचार संहिता लगने के बाद उनकी बातों का कोई मतलब नहीं. साथ ही संजय निषाद ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी से भी लौट कर वापस आएंगे. यह उनका दावा है जब वहां भी उन्हें कुछ नहीं मिलेगा तो वह पार्टी छोड़कर जल्दी वापस आएंगे.
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उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के गठबंधन में शामिल नहीं थी और अब ओपी राजभर हट चुके हैं तो उनसे कोई नुकसान नहीं होगा. उस नुकसान की भरपाई हमारी पार्टी करेगी और राजभर जब अलग से लड़े थे तो उनका कोई प्रभाव नहीं था. जहां तक सवाल बसपा का है तो बसपा का अपना एक कैडर है और उनकी पार्टी का एक वोट बैंक है और वह वोट बैंक अपनी पार्टी के लिए काम करेगा.
इस सवाल पर कि समाजवादी पार्टी कह रही है कि 'मेला होवे', उन्होंने कहा कि यह बात वह 2017 से ही कह रहे हैं लेकिन उनकी बात का कोई प्रभाव नहीं रहा है. निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी इस बार किंग मेकर की भूमिका में रहेगी और आने वाले दिनों में एनडीए गठबंधन की ही सरकार उत्तर प्रदेश में बनेगी.