नागपुर : केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि फोर्ड बाहर नहीं जा रही है, उन्होंने अपना यूनिट बंद किया है. ऑटोमोबाइल क्षेत्र का टर्नओवर 7.5 लाख करोड़ से 15 लाख करोड़ तक जाएगा. यह सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली यह इंडस्ट्री है. सबसे ज्यादा रेवेन्यू वाली इंडस्ट्री है. हमारी टू व्हीलर की इंडस्ट्री अपना 50 प्रतिशत प्रोडक्शन एक्सपोर्ट कर रही है. हिंदुस्तान बड़ी गाड़ियों की मैनुफैक्चरिंग का बादशाह बनेगा. महाराष्ट्र की राजनीति में 1989 से सक्रिय रहे गडकरी मोदी सरकार में अपनी अलग पहचान रखते हैं. गडकरी अलग-अलग मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए भी जाने जाते हैं. प्रदूषण फैला रहे वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने को लेकर नितिन गडकरी काफी सक्रिय रहे हैं.
ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान गडकरी ने फ्लेक्स इंजन की नीति के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी बात की. बता दें कि गत सितंबर माह में गडकरी ने कहा था कि सरकार जल्द ही मिक्स फ्लेक्स इंजन पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है. पढ़ें ईटीवी भारत के साथ गडकरी के साक्षात्कार के प्रमुख अंश-
ईटीवी भारत का सवाल : फ्लेक्स इंजन का प्लान क्या है ? इसको लागू करने से क्या फायदे होंगे ?
गडकरी का जवाब : दुनिया में हर वाहन कंपनी पेट्रोल इंजन की गाड़ियां बनाती है, जो मार्केट में उपलब्ध है. ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में वाहन चालकों को ईंधन के कई विकल्प मिलते हैं. इन देशों में पेट्रोल पंप पर सुविधा और चॉइस मिलती है कि वाहन में 100 फीसद पेट्रोल डालें या बायो इथेनॉल डालें.
ईंधन के दोनों प्रकार- पेट्रोल और बायोएथेनॉल दोनों से गाड़ियां चलती हैं. हमारे देश में पेट्रोल का भाव अब 100 के ऊपर 110 से 115 रुपये तक जा चुका है. इथेनॉल का भाव 65 रुपये है. इथेनॉल किसान तैयार करते हैं. इथेनॉल के लिए गन्ने का जूस, मोलाइसेस, राईस, मक्के से और बायोमास से बनता है.
भारत आज लगभग आठ लाख करोड़ रुपये का क्रूड ऑइल इंपोर्ट करता है. आने वाले 5 साल के बाद देश को 25 लाख करोड़ रुपये तक का कच्चा तेल आयात करना पड़ेगा. इसलिए आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए निश्चित रूप से इम्पोर्ट को कम करना जरूरी है.
आयात कम होने पर पैसा किसानों के जेब में जाता है तो बहुत फायदा होगा. इथेनॉल, पेट्रोल की तुलना में कई गुना ज्यादा अच्छा है. इथेनॉल से प्रदूषण नहीं के बराबर होता है. इसलिए फ्लेक्स इंजन का विकल्प है. इसमें विकल्प मिलेगा - या तो वाहन में 100 प्रतिशत पेट्रोल डलवाएं या इथेनॉल का प्रयोग करें.
पेट्रोल इंजन वाले स्कूटर, ऑटो रिक्शा और कारों में फ्लेक्स इंजन अपनाने में कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता. केवल एक फिल्टर लगता है, मेटल के वॉशर की जगह रबर के वॉशर लगाए जाएंगे. टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. भारत की भी कई कंपनियों के पास यह तकनीक आ चुकी है. ऑटोमोबाइल कंपनी टोयोटा के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि यूरो VI एमिशन नाम में फ्लेक्स इंजन की टेक्नोलॉजी लगभग पूरी कर ली है. कंपनी वाहन को बाजार में उतारने के लिए तैयार है.
देश में पेट्रोल का ज्यादा रेट ज्यादा होने पर 65 रुपये प्रति लीटर वाले इथेनॉल को लोग अपनाएंगे. कम से कम एक लीटर के पीछे 25 रुपये का फायदा ही होगा, प्रदूषण भी कम होगा ओर इथेनॉल के कारण किसानों को भी कुछ पैसे मिलेंगे. आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में यह बड़ी उपलब्धि होगी.
ईटीवी भारत का सवाल : पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच फ्लेक्स इंजन आने से जनता को कैसे राहत मिलेगी ?
गडकरी का जवाब : इथेनॉल अपनाने से पेट्रोल की जरुरत अपने आप कम हो जाएगी. वाहन में पेट्रोल और इथेनॉल दोनों का विकल्प मिलने पर सस्ता ईंधन डलवाया जा सकेगा. बाइक, स्कूटर इथेनॉल पर चलेंगे. ऑटो रिक्शा भी इथेनॉल पर चलेंगे.
ईटीवी भारत का सवाल : क्या भारत नंबर प्लेट पुरानी गाड़ियों को दिया जाएगा ?
गडकरी का जवाब : इसके बारे में केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है, लेकिन संविधान के प्रावधान के तहत इस विषय पर राज्य सरकारों को भी कानून बनाने का अधिकार है. भारत सरकार ने अपनी नीति बनाकर राज्यों को भेजी है, हमारा प्रयास है कि पूरी योजना का क्रियान्वयन हो. हालांकि, अधिकार राज्य सरकारों को भी है, ऐसे में उन्हें अपने निर्णय करने होंगे.
ईटीवी भारत का सवाल : क्या इथेनॉल पूरी तरह से पेट्रोल की जगह ले लेगा ? बड़ी संख्या में लोगों को इथेनॉल कैसे मिल सकेगा ?
गडकरी का जवाब : इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले दिनों में इथेनॉल पेट्रोल की जगह ले लेगा. इसका कारण यह है कि पहले इथेनॉल शुगर फैक्ट्री में केवल मोलाइसेस से बनता था. हमारे पास चावल बड़ी मात्रा में है. चावल से भी इथेनॉल बनाया जा सकता है. फूड ग्रेन्स से भी इथेनॉल बनेगा. इथेनॉल बनाने में म्युनिसिपल वेस्ट भी मददगार है. पराली, कॉटन स्ट्रॉ, राइस स्ट्रॉ से भी इथेनॉल बनाया जा सकता है.
जरूरत और मांग बढ़ने पर इथेनॉल भी बढ़ेगा. गन्ने से शुगर बनती है. हमारे पास सरप्लस शुगर है. शुगर के प्रोसेस में चार प्रतिशत मोलाइसेस निकला जाता है. हमारे पास टेक्नोलॉजी है तो 4 फीसद मोलाइसेस के बजाए सात प्रतिशत मोलाइसेस निकाला जाए. इससे और इथेनॉल बनेगा.
इथेनॉल से देश की अर्थव्यवस्था और भी मजबूत होगी प्रदूषण कम होगा. कच्चे तेल का आयात कम होगा. पांच टन पराली से एक टन बायो सीएनजी निकलता है. बायो सीएनजी के बजाए बायो एलएनजी तैयार किया जा सकता है. इसे ट्रांसपोर्ट करना भी आसान है. नागपुर में भी बस सेवा शुरू की गई है. मेरा खुद का ट्रैक्टर सीएनजी पर चल रहा देश का पहला ट्रैक्टर है. कुछ ही दिनों में उस ट्रैक्टर से शहर के पेड़ पौधों को पानी दिया जाएगा.
ईटीवी भारत का सवाल : आपके कार्यकाल में ट्रांसपोर्ट और हाईवे निर्माण का जितना काम हुआ, इससे पहले ऐसा नहीं देखा गया. कैसे नजर रखते हैं इन सभी कामों पर ?
गडकरी का जवाब : मैं साल 2009 से ही इथेनॉल की बात कर रहा हूं. खेती को ऊर्जा और पावर सेक्टर की तरफ मोड़ना (Diversification of Agriculture towards Energy and power sector) मेरे जीवन का मकसद है. जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण से मैं लड़ना चाहता हूं.
विशेष रूप से नागपुर को जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण के इंटरनेशनल बेंच मार्क पर पहुंचाना चाहता हूं. नाग नदी के लिए 2400 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट आ रहा है. नागपुर में सीएनजी, इथेनॉल फ्यूल आएगा तो उससे प्रदूषण कम होगा.
ईटीवी भारत का सवाल : नितिन गडकरी के पास इतने आइडिया आते कहां से हैं ?
गडकरी का जवाब : मैं इस विषय के लिए समर्पित हूं. वीडियो कॉन्फ्रेंस में ब्राजील के इथेनॉल के एक्सपर्ट से बात हुई. उन्होंने बताया कि ब्राजील के एयरफोर्स के हवाई जहाज 50 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित करके चल रहे हैं. मैं अभी एयरफोर्स और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मीटिंग करने वाला हूं.
इंडियन एयर फोर्स के अलावा सामान्य प्लेन में भी इथेनॉल का प्रयोग किया जा सकता है. हाल ही में देहरादून से दिल्ली आए स्पाइस जेट के एक प्लेन में बायो फ्यूल का प्रयोग किया गया था.
मेरी कोशिश है कि जो सीवरेज पानी है उसको साफ करके ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करे. ग्रीन हाइड्रोजन के ऊपर रेलवे के इंजन चलेंगे. कार और बस भी चलेगी. मैं दिल्ली में 100 फीसद इथेनॉल पर चलने वाली गाड़ी खरीदने वाला हूं. 100 फीसद ग्रीन हाइड्रोजन वाली गाड़ी भी खरीदने वाला हूं. बतौर परिवहन मंत्री मैं लोगों को दिखाऊंगा कि ऐसी गाड़ियां सफलतापूर्वक चल रही हैं. लोगों की शंकाएं दूर होंगी.
मैं नागपुर में इलेक्ट्रिक कार में घूमता हूं. उसका कोई प्रदूषण नहीं, आवाज तक नहीं है. लोगों को पता लगा कि मैं इलेक्ट्रिक कार से चलता हूं तो लोग भी अब इलेक्ट्रिक कार खरीद रहे हैं.
ईटीवी भारत का सवाल : आने वाले समय में दिल्ली से मुंबई तक बन रहे हाई-वे की तरह और कितने राजमार्ग देश को मिलेंगे ?
गडकरी का जवाब : मुंबई-दिल्ली जैसे 26 ग्रीन हाइवे देश को मिलेंगे. मेरा प्रयास है कि आने वाले तीन साल के बाद अमेरिका जैसे स्टैंडर्ड के अच्छे रोड हिंदुस्तान में बनें. बिहार, उत्तर प्रदेश से लेकर अरुणाचल, मेघालय त्रिपुरा तक रोड वैसी ही सड़कें होंगी. कश्मीर तक यही मेरा प्रयास है. हमारे इंजीनियर्स ओर डिपार्टमेंट रात-दिन काम कर रहे हैं.
ईटीवी भारत का सवाल : इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए सब्सिडी देने के लिए राज्य सरकारें घोषणा कर रही हैं. केंद्र इसमें कैसे मदद करेगा ? इलेक्ट्रिक व्हीकल रिचार्ज का नेटवर्क भारत में कैसे बनेगा ?
गडकरी का जवाब : सभी राज्यों का रिस्पांस अच्छा है. मैं सभी की मदद करता हूं. हम इसमें राजनीति नहीं करते. सबका साथ सबका विश्वास और सबका सहयोग यही मोदी जी का मंत्र है. हम सभी राज्यों को मदद करते हैं.
इलेक्ट्रिक गाड़ी पर पहले से ही कई योजनाएं चल रही हैं. लोगों को सब्सिडी मिल रही है, लेकिन अब सब्सिडी की जरूरत ही नहीं. आज अगर तुम 10 हजार रुपये पेट्रोल पर खर्च कर रहे हो, कल इलेक्ट्रिक वाहन खरीदोगे तो बिल कम आएगा.
ईटीवी भारत का सवाल : फोर्ड जैसे कई और कंपनियां भारत से जाने का मन बना रही हैं, क्या लगता है आपको भारत का कार मार्केट बढ़ेगा ?
गडकरी का जवाब : फोर्ड बाहर नहीं जा रही है, उन्होंने अपना यूनिट बंद किया है. ऑटोमोबाइल क्षेत्र का टर्नओवर साढ़े सात लाख करोड़ से 15 लाख करोड़ तक जाएगा. यह सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली यह इंडस्ट्री है. सबसे ज्यादा रेवेन्यू वाली इंडस्ट्री है. हमारी टू व्हीलर की इंडस्ट्री अपना 50 प्रतिशत प्रोडक्शन एक्सपोर्ट कर रही है. हिंदुस्तान बड़ी गाड़ियों की मैनुफैक्चरिंग का बादशाह बनेगा.