पटना : आम तौर पर बीजेपी बिहार में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार सहित आरजेडी पर हमला करती है.इ स बार केंद्रीय गृह मंत्री के निशाने पर लालू परिवार और आरजेडी की चर्चा कम हुई, निशाने पर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. कहीं न कहीं बीजेपी को लग रहा है कि विपक्ष का नेतृत्व नीतीश कुमार कर सकते हैं. आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव पहले होना है. ऐसे में विपक्षी एकता को लेकर जिस तरह नीतीश कुमार गोलबंदी कर रहे हैं उससे बीजेपी को नुकसान न हो जाए.
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नीतीश की पाला बदल नीति पर प्रहार: केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने भाषण को कुछ इस तरह केंद्रित रखा, जैसे चंद दिनों में लोकसभा चुनाव होने वाला है. अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के बिहार के प्रति प्रेम और और अनुदान का पूरा ब्यौरा के साथ उल्लेख किया. उन्होंने यूपीए से ज्यादा एनडीए के शासन काल में बिहार को पैसे दिये जाने का हवाला देते हुए कहा कि नीतीश कुमार 15 हजार करोड के हाईवे प्रोजेक्ट का रोड़ा बने हुए हैं. उन्होंने मोदी के कार्यों में कश्मीर से धारा 370 हटाने और पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसे पुराने मुद्दे को भी जनता के बीच रखा. साथ ही उन्होंने पीएफआई पर बैन लगाने को भी शांति के अपनी सरकार की उपलब्धि बता दिया.
'हर तीसरे साल पीएम बनने का सपना आता है': एक तरफ मोदी की उपलब्धियों और दूसरी ओर से नीतीश पर निशाना साधा. अमित शाह का यह अंदाज एक दम चुनावी था. अमित शाह ने आरोप लगाया कि कम सीट आने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया. उन्हें हर तीन साल बाद प्रधानमंत्री बनने का सपना आता है. इसी सपने की वजह से बिहार का बंटाधार हो गया. उन्होंने इसी का हवाला देकर नीतीश कुमार कटघरे खड़ा किया. और कहा कि नीतीश कुमार विकासवादी से परिवारवादी हो गये हैं.
नीतीश जंगलराज के प्रणेता के चरणों में गिर गए:उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि नीतीश कुमार जंगलराज के प्रणेता लालू प्रसाद यादव और सोनिया गांधी के चरण में गिर गये. उन्होंने नीतीश कुमार के बार-बार उछल कूद करने का हवाला देकर कहा कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी ने सदा के लिए दरवाजा बंद कर दिया है. ये ऐलान कर ये साफ कर दिया कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी महागठबंधन के खिलाफ सीधा मुकाबला करेगी.
अमित शाह के भाषण से नीतीश से दूरी के संकेत: गृह मंत्री अमित शाह ने जिस अंदाज में नीतीश कुमार पर हमला किया उससे एक बात तो साफ हो गयी कि आने वाले दिनों में नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा नहीं होंगे. जाने माने पत्रकार अरुण पाण्डेय की मानें तो अमित शाह के भाषण से ये बात साफ हो गयी है कि बीजेपी को लगने लगा है, कि नीतीश कुमार महागठबंधन बनाने को आतुर है. ऐसे में बीजेपी अपनी रणनीति में बदलाव लायी और नीतीश कुमार को छोड़कर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती है.
शाह की रैली से बिहार में नए गठबंधन के संकेत: कुल मिलाकर अमित शाह की इस रैली से बिहार की राजनीति में एक नये गठबंधन के संकेत जरुर मिला है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी बिहार में छोटे दलों को अपने साथ लेकर आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाना चाहती है. अमित शाह ने लौरिया के इस महारैली में अपने भाषण से संकेत दिया है कि अब निशाने पर सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ही होंगे.