चंडीगढ़ : भारत चिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक उपकरणों का प्रयोग कर रहा है. भारत में कई बेहतरीन अस्पताल हैं. जिसकी वजह से दूसरे देशों से मरीज भारत में इलाज कराने आते हैं, लेकिन मेडिकल उपकरणों और कई जीवन रक्षक दवाओं को लेकर भारत अभी भी दूसरे देशों पर निर्भर है.
बहुत बड़ी संख्या में मेडिकल उपकरण चीजें दूसरे देशों से आयात करनी पड़ती है, लेकिन अब भारत सरकार की दिशा में तेजी से काम कर रही है. जिसके तहत बड़े मेडिकल उपकरण भारत में ही बनाए जा सकें और दवाओं का निर्माण भी भारत में ही किया जा सके.
ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) के ओएसडी डॉक्टर वीरेंद्र गर्ग से बातचीत की. डॉक्टर वीरेंद्र गर्ग ने बताया कि अभी तक भारत बड़ी मात्रा में मेडिकल उपकरण दूसरे देशों से मंगवाता है.
उनका कहना है कि कुछ साल पहले तक भारत करीब 87 फीसदी मेडिकल उपकरण और मशीनें दूसरे देशों से मंगवाता था. हालांकि इसमें कमी आई है, लेकिन अब भारत सरकार उन कारणों को भारत में ही बनाने के लिए काम कर रही है.
डॉक्टर वीरेंद्र गर्ग ने बताया कि आईसीएमआर को जिम्मेदारी दी गई है. आईसीएमआर इस योजना पर काम कर रहा है. जिसमें चंडीगढ़ पीजीआई भी शामिल है. जिसके तहत हमने अलग-अलग इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को एक साथ जोड़ा है और उन्हें मेडिकल उपकरणों की जरूरत के बारे में बताया जा रहा है, ताकि उन चीजों पर उसके लिए उपकरण तैयार की जा सके. भारत सरकार मेडिकल को लेकर लोकल रिसर्च पर काफी काम कर रही है.
डॉ. वीरेंद्र गर्ग ने बताया की सिंचाई और आईसीएमआर की ओर से भी कई नए उपकरण तैयार किए गए हैं, जिन्हें पेटेंट के लिए भेजा चुका है इन उपकरणों में टेलीमेडिसिन उपकरण, कोविड-19 हमसे बात करने के लिए आरोग्य सहायक रोबोकार्ट, कोविड-19 और ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों के लिए एक खास सर्जिकल मास्क, एंबुबैग ऑपरेटर तैयार किया गया है.
डॉ. वीरेंद्र गर्ग ने बताया कि नए उपकरणों में लोगों को भीड़ से बचाने के लिए एक गमछा भी बनाया है. इस गमछे का नाम 'नमो गमछा' रखा गया है. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसकी खास बात यह है कि यह बायोडिग्रेडेबल मटेरियल से बनाया गया है.
जिससे मेडिकल रेस्ट पैदा नहीं होता, क्योंकि हम जो मास्क पहनते हैं. वह मेडिकल वेस्ट होता है लेकिन इस गमछे का प्रयोग करने से मेडिकल वेस्ट नहीं बढ़ेगा. इन सब चीजों के अलावा पीजीआई की ओर से करीब 17 पेटेंट भेजे गए हैं.
यह भी पढ़ें-केरल बाढ़-भूस्खलन : मृतकों की संख्या 23 तक पहुंची, प्रधानमंत्री ने सीएम से ली जानकारी
डॉ. वीरेंद्र गर्ग ने बताया कि बहुत से मुख्य मेडिकल उपकरणों का निर्माण देश में शुरू हो चुका है. उदाहरण के लिए एम आर आई मशीन काफी महंगी आती हैं और यह है काफी जरूरी उपकरण है पहले मशीनों को विदेशों से मंगवाया जाता था, लेकिन अब इनका निर्माण देश में ही शुरू हो गया है. आने वाले दिनों में इस तरह की दूसरी मशीन है भी भारत में ही बनने लगेंगी.