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महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा बढ़ी : यूनेस्को - violence against women journalists

पत्रकारों के साथ हुई हिंसा के माले आए दिन सामने आते हैं. कई पत्रकार ऑनलाइन हिंसा का भी शिकार होते हैं. ऐसे में यूनेस्को ने महिला पत्रकारों के खिलाफ हो रही ऑनलाइन हिंसा पर वैश्विक सर्वेक्षण किया है.

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Published : Dec 17, 2020, 9:53 AM IST

हैदराबाद : पत्रकारों के साथ हुई हिंसा के माले आए दिन सामने आते हैं. कई पत्रकार ऑनलाइन हिंसा का भी शिकार होते हैं. ऐसे में यूनेस्को ने महिला पत्रकारों के खिलाफ हो रही ऑनलाइन हिंसा पर वैश्विक सर्वेक्षण किया है.

एक नजर में शीर्ष निष्कर्ष

  • 73% महिला पत्रकारों ने कहा कि उनके साथ ऑनलाइन हिंसा हुई है. 25 प्रतिशत महिला पत्रकारों ने कहा कि उनके साथ शारीरिक हिंसा हुई है और 18% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे यौन हिंसा का शिकार हुई हैं. वहीं 13% महिला पत्रकारों ने कहा कि उन्हें अपने करीबी लोगों के खिलाफ हिंसा की धमकी मिली हैं.
  • 20% महिला पत्रकारों ने कहा कि उन पर ऑनलाइन हिंसा के संबंध में ऑफलाइन हमले किए गए. इसको लेकर उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया. 13 % महिला पत्रकारों ने हमलों से बचने के लिए अपनी सुरक्षा बढ़ा ली और 4% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे हमलों के डर से अपने काम पर नहीं जा पाती थी.
  • 26% महिला पत्रकारों ने माना की ऑनलाइन हिंसा से मानसिक स्वास्थ्य सबसे अधिक प्रभावित होता है. 12% महिला पत्रकारों ने कहा कि ऑनलाइन हिंसा का शिकार होने के बाद उन्हें किसी न किसी तरह की चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी पड़ी.
  • 47 प्रतिशत हमलों के मामले अक्सर लिंग की वजह से होते हैं, इसके बाद राजनीति और चुनाव (44%), मानवाधिकार और सामाजिक नीति (31%) के चलते भी हमले होते हैं.
  • सर्वेक्षण में 41% उत्तरदाताओं का कहना था कि उन्हें दुष्प्रचार करने वाले लोगों द्वारा ऑनलाइन हिंसा में लक्षित किया गया. 37% महिला उत्तरदाताओं के अनुसार राजनीती से जुड़े लोग इन हमलों के पीछे होते हैं. वहीं 57% उत्तरदाताओं ने माना की हिंसा करने वाले अज्ञात होते हैं.महिला पत्रकारों का मानना है कि वे फेसबुक पर ऑनलाइन हिंसा का ज्यादा शिकार होती हैं.
  • केवल 25% महिला पत्रकारों ने ऑनलाइन हिंसा की घटनाओं की सूचना दी, जिसमें से 10 % महिला पत्रकारों को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, 9% महिलाओं को इसे भुलने की सलाह दी गई, जबकि 2% महिला पत्रकारों से तो यह तक पूछा गया कि उन्होंने हमले को भड़काने के लिए क्या किया है.
  • 30% महिला पत्रकारों ने कहा कि ऑनलाइन हिंसा से बचने के लिए वे सोशल मीडिया का उपयोग बंद कर देती हैं. 20% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे ऑनलाइन लोगों से बातचीत करना या किसी भी तरह का इंटरैक्शन नहीं करती. वहीं18% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे विशेष रूप से जनता के संपर्क में नहीं आती.
  • ध्यान केंद्रित करने वाला यह सर्वेक्षण 15 देशों में महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा की घटनाओं, प्रभावों और प्रतिक्रियाओं की जांच करने वाले एक व्यापक यूनेस्को-कमीशन सहयोगात्मक अध्ययन का हिस्सा है. इसका उद्देशय स्वतंत्रता, पत्रकारों की सुरक्षा और पत्रकारिता में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने का है.

हैदराबाद : पत्रकारों के साथ हुई हिंसा के माले आए दिन सामने आते हैं. कई पत्रकार ऑनलाइन हिंसा का भी शिकार होते हैं. ऐसे में यूनेस्को ने महिला पत्रकारों के खिलाफ हो रही ऑनलाइन हिंसा पर वैश्विक सर्वेक्षण किया है.

एक नजर में शीर्ष निष्कर्ष

  • 73% महिला पत्रकारों ने कहा कि उनके साथ ऑनलाइन हिंसा हुई है. 25 प्रतिशत महिला पत्रकारों ने कहा कि उनके साथ शारीरिक हिंसा हुई है और 18% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे यौन हिंसा का शिकार हुई हैं. वहीं 13% महिला पत्रकारों ने कहा कि उन्हें अपने करीबी लोगों के खिलाफ हिंसा की धमकी मिली हैं.
  • 20% महिला पत्रकारों ने कहा कि उन पर ऑनलाइन हिंसा के संबंध में ऑफलाइन हमले किए गए. इसको लेकर उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया. 13 % महिला पत्रकारों ने हमलों से बचने के लिए अपनी सुरक्षा बढ़ा ली और 4% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे हमलों के डर से अपने काम पर नहीं जा पाती थी.
  • 26% महिला पत्रकारों ने माना की ऑनलाइन हिंसा से मानसिक स्वास्थ्य सबसे अधिक प्रभावित होता है. 12% महिला पत्रकारों ने कहा कि ऑनलाइन हिंसा का शिकार होने के बाद उन्हें किसी न किसी तरह की चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी पड़ी.
  • 47 प्रतिशत हमलों के मामले अक्सर लिंग की वजह से होते हैं, इसके बाद राजनीति और चुनाव (44%), मानवाधिकार और सामाजिक नीति (31%) के चलते भी हमले होते हैं.
  • सर्वेक्षण में 41% उत्तरदाताओं का कहना था कि उन्हें दुष्प्रचार करने वाले लोगों द्वारा ऑनलाइन हिंसा में लक्षित किया गया. 37% महिला उत्तरदाताओं के अनुसार राजनीती से जुड़े लोग इन हमलों के पीछे होते हैं. वहीं 57% उत्तरदाताओं ने माना की हिंसा करने वाले अज्ञात होते हैं.महिला पत्रकारों का मानना है कि वे फेसबुक पर ऑनलाइन हिंसा का ज्यादा शिकार होती हैं.
  • केवल 25% महिला पत्रकारों ने ऑनलाइन हिंसा की घटनाओं की सूचना दी, जिसमें से 10 % महिला पत्रकारों को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई, 9% महिलाओं को इसे भुलने की सलाह दी गई, जबकि 2% महिला पत्रकारों से तो यह तक पूछा गया कि उन्होंने हमले को भड़काने के लिए क्या किया है.
  • 30% महिला पत्रकारों ने कहा कि ऑनलाइन हिंसा से बचने के लिए वे सोशल मीडिया का उपयोग बंद कर देती हैं. 20% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे ऑनलाइन लोगों से बातचीत करना या किसी भी तरह का इंटरैक्शन नहीं करती. वहीं18% महिला पत्रकारों ने कहा कि वे विशेष रूप से जनता के संपर्क में नहीं आती.
  • ध्यान केंद्रित करने वाला यह सर्वेक्षण 15 देशों में महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा की घटनाओं, प्रभावों और प्रतिक्रियाओं की जांच करने वाले एक व्यापक यूनेस्को-कमीशन सहयोगात्मक अध्ययन का हिस्सा है. इसका उद्देशय स्वतंत्रता, पत्रकारों की सुरक्षा और पत्रकारिता में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने का है.
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