ETV Bharat / bharat

कोविड से पिता की मौत से बेखबर बेटी, आज भी ताक रही उनकी राह

कर्नाटक के शिवमोग्गा में कोरोना से पिता की मौत से बेखबर तीन साल की साम्या आज भी अपने पिता के लौटने की राह ताकती है. दिन में चार से पांच बार शरण के मोबाइल पर कॉल करती है.

कोविड से पिता की मौत से बेखबर बेटी
कोविड से पिता की मौत से बेखबर बेटी
author img

By

Published : Jul 4, 2021, 2:27 PM IST

शिवमोग्गा (कर्नाटक) : कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने न जाने कितने परिवारों से उनके अपनों को छीना और कई बच्चों को अनाथ कर दिया. ऐसी ही एक बच्ची तीन साल की साम्या है, जिसके पिता शरण की महीने भर पहले कोविड-19 से मौत हो गई है. लेकिन इस बात से बेखबर साम्या आज भी अपने पिता के वापस लौटने की राह ताकती है.

साम्या अपनी फूफी अखिला (Auntie Akhila) के पास रह रही हैं. अखिला बताती हैं कि साम्या अपने पिता के लौटने की राह देखती रहती है. दिन में चार से पांच बार शरण के मोबाइल पर कॉल करती है. जबकि वह अपने पिता की मौत की खबर से अब भी बेखबर है.

जानकारी के मुताबिक, शरण शिवमोग्गा जिले के भद्रावती तालुक के होसकोप्पा का निवासी है. साम्या जब एक साल की थी, तब उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी. तब से शरण ही साम्या की देखभाल करता आया है.

पढ़ें : कर्नाटक सरकार ने लॉकडाउन में और ढील दी, वीकेंड कर्फ्यू हटाया

शरण बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में कर्मचारी था. लॉकडाउन 1.0 में उन्होंने बेंगलुरु छोड़ दिया और वे शिवमोग्गा लौट आए थे. फिर उन्हें शिवमोग्गा में नौकरी मिल गई. अपने रोजगार के अलावा, उन्होंने संस्कृति फाउंडेशन की शुरुआत जो कोविड महामारी के दौरान लोगों की मदद करता था.

शरण जब कोरोना की दूसरी लहर (2nd wave of corona) शुरू हुई तब लोगों को कोरोना के विषय में जागरूक कर रहे थे. इस दौरान शरण संक्रमित हो गए थे.

अब शरण की बेटी, साम्या ने अपने पिता के निधन के बाद अपनी फूफी अखिला के पास रह रही है. अखिला को ही वह अपनी मां समझती है.

शिवमोग्गा (कर्नाटक) : कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने न जाने कितने परिवारों से उनके अपनों को छीना और कई बच्चों को अनाथ कर दिया. ऐसी ही एक बच्ची तीन साल की साम्या है, जिसके पिता शरण की महीने भर पहले कोविड-19 से मौत हो गई है. लेकिन इस बात से बेखबर साम्या आज भी अपने पिता के वापस लौटने की राह ताकती है.

साम्या अपनी फूफी अखिला (Auntie Akhila) के पास रह रही हैं. अखिला बताती हैं कि साम्या अपने पिता के लौटने की राह देखती रहती है. दिन में चार से पांच बार शरण के मोबाइल पर कॉल करती है. जबकि वह अपने पिता की मौत की खबर से अब भी बेखबर है.

जानकारी के मुताबिक, शरण शिवमोग्गा जिले के भद्रावती तालुक के होसकोप्पा का निवासी है. साम्या जब एक साल की थी, तब उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी. तब से शरण ही साम्या की देखभाल करता आया है.

पढ़ें : कर्नाटक सरकार ने लॉकडाउन में और ढील दी, वीकेंड कर्फ्यू हटाया

शरण बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में कर्मचारी था. लॉकडाउन 1.0 में उन्होंने बेंगलुरु छोड़ दिया और वे शिवमोग्गा लौट आए थे. फिर उन्हें शिवमोग्गा में नौकरी मिल गई. अपने रोजगार के अलावा, उन्होंने संस्कृति फाउंडेशन की शुरुआत जो कोविड महामारी के दौरान लोगों की मदद करता था.

शरण जब कोरोना की दूसरी लहर (2nd wave of corona) शुरू हुई तब लोगों को कोरोना के विषय में जागरूक कर रहे थे. इस दौरान शरण संक्रमित हो गए थे.

अब शरण की बेटी, साम्या ने अपने पिता के निधन के बाद अपनी फूफी अखिला के पास रह रही है. अखिला को ही वह अपनी मां समझती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.