नई दिल्ली: यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों (Medical students returned from Ukraine) के परिजन रविवार को जंतर-मंतर पहुंचे. उनकी मांग है कि भारतीय मेडिकल कॉलेजों में यूक्रेन से लौटे छात्रों का एडमिशन कराया जाए. सांकेतिक प्रदर्शन कर उन्होंने पीएम मोदी से मांग की है कि छात्रों का भविष्य सुनिश्चित किया जाए. यूक्रेन के विभिन्न चिकित्सा विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे भारत के 12 हजार मेडिकल छात्र रूसी आक्रमण के बाद अपने वतन लौट आए हैं.
इनमें से अधिकांश को युद्धग्रस्त देश में फंसे छात्रों और अन्य नागरिकों को वापस लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन गंगा के तहत बचाया गया था. मिशन के तहत अब तक 20 हजार से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है, जिनमें से ज्यादातर छात्र हैं. राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर उपस्थित जनसमूह ने प्रधानमंत्री मोदी को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए धन्यवाद दिया. साथ ही उनके भविष्य की पढ़ाई के लिए त्वरित कदम उठाने का भी अनुरोध किया.
हिमाचल प्रदेश के रहने वाले डॉ राजेश कुमार चंदेल ने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार हमारे बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करे और भारतीय मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन सुनिश्चित किया जाए. राजेश चंदेल ने कहा कि सरकार ऐसा करती है तो देश की सेवा करने के लिए अच्छे डॉक्टर मिल सकेंगे. हम सभी इसके लिए प्रधान मंत्री के आभारी रहेंगे.
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डॉ राजेश के बेटे विवेक खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी यूक्रेन के 5वें वर्ष के छात्र हैं. यूक्रेन में युद्ध की स्थिति 50 दिनों से अधिक समय से जारी है. इस बीच स्वदेश लौटे भारतीय छात्रों को अपना भविष्य अनिश्चित दिखाई दे रहा है. भारत में लगभग 91 हजार एमबीबीएस सीटों की क्षमता वाले 595 सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज हैं. हालांकि यूक्रेन लौटे करीब 12 हजार छात्रों को समायोजित करना चुनौतीपूर्ण है.