मदुरै: द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की युवा शाखा के नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बुधवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न तो पहले नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में और न ही अब आमंत्रित किया गया क्योंकि वह विधवा हैं और आदिवासी समुदाय से आती हैं. उन्होंने कहा, 'इसी को हम सनातन धर्म कहते हैं.' युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री ने पूर्व में अपनी सनातन धर्म विरोधी टिप्पणियों से विवाद को बढ़ावा दिया था, जिसके कारण देश भर में तीखी बहस हुई थी. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे को लेकर उन पर निशाना साधा था.
दल के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मुर्मू को न तो कुछ महीने पहले नए संसद भवन के उद्घाटन में आमंत्रित किया गया था और न ही उन्हें वर्तमान में इसके पहले सत्र में बुलाया गया जहां पांच दिन का विशेष सत्र चल रहा है और आज महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया. उन्होंने कहा, 'हमारे देश में प्रथम नागरिक राष्ट्रपति हैं और उनका नाम द्रौपदी मुर्मू है. उन्हें नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था. क्या इसे ही हम सनातन कहते हैं.'
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उदयनिधि ने कहा कि हम सनातन धर्म के खिलाफ आवाजें उठाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने संसद के उद्घाटन कार्यक्रम में सभी को आमंत्रित किया, लेकिन देश की प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति को बुलाने की जहमत नहीं उठाई. डीएमके नेता ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया जा रहा है, इसके लिए तमाम एक्ट्रेस को भी न्योता दिया गया है, जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को इससे दूर रखा गया. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं इन फैसलों पर सनातन धर्म के प्रभाव की तरफ इशारा करती हैं.
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उदयनिधि ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि लोगों ने मेरे सिर की कीमत भी तय कर दी है. लोग मेरी हत्या करवाने चाहते हैं. मैं इन सब बातों से कतई परेशान नहीं हूं. उन्होंने कहा कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम की स्थापना सनातन धर्म को समाप्त करने के लिए ही की गई है. हम लोग तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर लेते.