तिरुवनंतपुरम : केरल राज्य विधानसभा सदन में तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना पर चर्चा नहीं करने के रुख का विरोध किया गया. स्थगन प्रस्ताव के लिए नोटिस जारी करते हुए विपक्ष ने कहा कि योजना तैयार करने और इसे केंद्र को प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञ पैनल का गठन जुलाई में किया गया लेकिन सरकार मामले को हल्के में ले रही है.
विपक्षियों ने कहा कि कोविड संबंधित मुद्दों के बावजूद महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने केंद्र को योजना सौंपी थी. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हालांकि कहा कि कार्य योजना तैयार करने में समय लगता है और सरकार राज्य में कोविड की स्थिति के कारण अपनी सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं को पूरा करने में असमर्थ थी. उन्होंने कहा कि सरकार का कामकाज और लोगों का जीवन पिछले दो वर्षों से महामारी के मद्देनजर सुचारू नहीं रहा है.
मसौदा अधिसूचना को पूरा करने में जन सुनवाई सबसे महत्वपूर्ण कारक है. हर कोई जानता है कि स्थिति उसके लिए अनुकूल नहीं थी और इस तरह की प्रक्रिया में जाना मुश्किल था. विजयन ने कहा कि जैसे ही स्थिति अनुकूल हुई, राज्य सरकार बिना किसी देरी के आवश्यक कार्यवाही के साथ आगे बढ़ी. उन्होंने कहा कि वाम सरकार की एक विकास नीति है जो प्रकृति संरक्षण, तटीय प्रबंधन और लोगों के जीवन को संतुलित करती है.
राज्य सरकार पर्यावरण के अनुकूल विकास नीति का प्रस्ताव करती है. हमारा स्टैंड लोगों की भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण को लागू करने का है. लोगों की आजीविका की रक्षा के साथ-साथ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए कदम उठाए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापक जागरूकता कार्यक्रम लागू किए जाएंगे और इसके लिए लोगों की सामूहिक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
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राज्य में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा कि सरकार को 2011 की अधिसूचना के अनुसार कार्य योजना तैयार करने और केंद्र की मंजूरी हासिल करना चाहिए. हालांकि योजना, जिसे छह महीने के भीतर प्रस्तुत किया जाना था, तीन साल बाद भी प्रस्तुत नहीं की गई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि यह राज्य सरकार के लापरवाह और उदासीन दृष्टिकोण को दर्शाता है. मुख्यमंत्री के जवाब के आधार पर अध्यक्ष एमबी राजेश ने प्रस्ताव के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया, जिससे विपक्ष को वाकआउट करना पड़ा.