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साइरस मिस्त्री ने अंतिम बार गुजरात के इस मंदिर में किये थे दर्शन

टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री की महाराष्ट्र में पालघर के पास एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई. दुर्घटना से पहले उन्होंने गुजरात के उदवाडा में स्थित सबसे पवित्र पारसी मंदिर इरानशाह अताश बेहराम में दर्शन किये. मिस्त्री और तीन अन्य मंदिर में पूजा-अर्चना कर मुंबई लौट रहे थे.

EUdavada Temple from Valsad Gujarat where Cyrus did last Pray for Iranshahtv Bharat
साइरस मिस्त्री ने अंतिम बार गुजरात के उदवाडा में इरानशाह अताश बेहराम मंदिर में दर्शन कियेEtv Bharat
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Published : Sep 6, 2022, 7:18 AM IST

Updated : Sep 6, 2022, 10:01 AM IST

सूरत: साइरस मिस्त्री की 4 सितंबर को पालघर में एक हादसे मौत हो गई. साइरस मिस्त्री अपने पारिवारिक मित्रों के साथ गुजरात के उदवाडा के पारसी मंदिर इरानशाह अताश बेहराम में दर्शन कर लौट रहे थे. बता दें कि ईरान के पारसी गुजरातियों में अच्छे से घुल मिल गये हैं. उदवाडा में पारसियों का पवित्र स्थान, इरानशाह, जब भी पारसियों के नाम का उल्लेख किया जाता है, तो उसे भक्ति भाव से याद किया जाता है. दुनिया भर से पारसी यहां दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन इस पवित्र स्थान का एक अनूठा इतिहास भी है. उदवाड़ा अरब सागर के तट पर बसा एक तटीय गाँव है.

पारसी समुदाय का यह पवित्र धाम है. यहां दुनिया भर से पारसी लोग दर्शन के लिए आते हैं. यहां ईरान से पारसियों द्वारा लाई गई पवित्र अग्नि की स्थापना 1290 वर्ष पूर्व की गई थी. ईरान से पारसी अपनी पवित्र अग्नि अपने साथ लाए. यहाँ पारसी समुदाय की पवित्र मंदिर अगियारी वापी और वलसाड के बीच स्थित है. आप यहां रेल या सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं. रेलवे स्टेशन से मात्र 8 किमी दूर उदवाडा गांव है जो वहां पारसियों का पवित्र स्थान है.

वलसाड के निकट उदवाडा में स्थापित पवित्र अग्नि को पारसियों द्वारा 1742 ई. में भारत आने पर लाया गया था जो आज भी लगातार जलती रहती है. आज भी दुनिया के कोने-कोने से पारसी समुदाय के लोग यहां दर्शन करने आते हैं और इसे लगातार जलाए रखने के लिए मीठा प्रसाद चढ़ाते हैं. जहां अताश बेहराम की पूजा की जाती है.
पारसी पवित्र अग्नि को अताश बेहराम या इरानशाह कहते हैं. 1742 में जब पारसी भारत आए तो वे अपनी पवित्र अग्नि भी अपने साथ ले आए.

पारसियों के आगमन को कई वर्ष बीत चुके हैं लेकिन उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र आज भी उनके लिए बहुत महत्व रखता है. इधर उदवाड़ा में अगियारी में रखी पवित्र अग्नि को 1290 वर्ष पूरे हो चुके हैं. हाल ही में उदवाड़ा में पुरानी अगियारी का जीर्णोद्धार किया गया है. इसे कलात्मक और आकर्षक बनाने में सायरस मिस्त्री का भी योगदान है. इसके साथ ही सपूरजी पालनजी परिवार का भरपूर सहयोग मिला.

ये भी पढ़ें- Cyrus Mistry dead : सड़क हादसे में टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत, पीएम ने जताया शोक

हादसे से पहले सायरस मिस्त्री उदवाड़ा पवित्र अगियारी गए थे. अहमदाबाद से मुंबई जाते समय साइरस मिस्त्री उदवारा में रुके थे. पवित्र ज्वाला बेहराम के दर्शन के लिए आए. उन्होंने खुशी-खुशी अताश बेहराम के दर्शन किए. दुनिया भर से लोग यहां पारसी नव वर्ष या अपने त्योहारों पर आते हैं.

सूरत: साइरस मिस्त्री की 4 सितंबर को पालघर में एक हादसे मौत हो गई. साइरस मिस्त्री अपने पारिवारिक मित्रों के साथ गुजरात के उदवाडा के पारसी मंदिर इरानशाह अताश बेहराम में दर्शन कर लौट रहे थे. बता दें कि ईरान के पारसी गुजरातियों में अच्छे से घुल मिल गये हैं. उदवाडा में पारसियों का पवित्र स्थान, इरानशाह, जब भी पारसियों के नाम का उल्लेख किया जाता है, तो उसे भक्ति भाव से याद किया जाता है. दुनिया भर से पारसी यहां दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन इस पवित्र स्थान का एक अनूठा इतिहास भी है. उदवाड़ा अरब सागर के तट पर बसा एक तटीय गाँव है.

पारसी समुदाय का यह पवित्र धाम है. यहां दुनिया भर से पारसी लोग दर्शन के लिए आते हैं. यहां ईरान से पारसियों द्वारा लाई गई पवित्र अग्नि की स्थापना 1290 वर्ष पूर्व की गई थी. ईरान से पारसी अपनी पवित्र अग्नि अपने साथ लाए. यहाँ पारसी समुदाय की पवित्र मंदिर अगियारी वापी और वलसाड के बीच स्थित है. आप यहां रेल या सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं. रेलवे स्टेशन से मात्र 8 किमी दूर उदवाडा गांव है जो वहां पारसियों का पवित्र स्थान है.

वलसाड के निकट उदवाडा में स्थापित पवित्र अग्नि को पारसियों द्वारा 1742 ई. में भारत आने पर लाया गया था जो आज भी लगातार जलती रहती है. आज भी दुनिया के कोने-कोने से पारसी समुदाय के लोग यहां दर्शन करने आते हैं और इसे लगातार जलाए रखने के लिए मीठा प्रसाद चढ़ाते हैं. जहां अताश बेहराम की पूजा की जाती है.
पारसी पवित्र अग्नि को अताश बेहराम या इरानशाह कहते हैं. 1742 में जब पारसी भारत आए तो वे अपनी पवित्र अग्नि भी अपने साथ ले आए.

पारसियों के आगमन को कई वर्ष बीत चुके हैं लेकिन उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का केंद्र आज भी उनके लिए बहुत महत्व रखता है. इधर उदवाड़ा में अगियारी में रखी पवित्र अग्नि को 1290 वर्ष पूरे हो चुके हैं. हाल ही में उदवाड़ा में पुरानी अगियारी का जीर्णोद्धार किया गया है. इसे कलात्मक और आकर्षक बनाने में सायरस मिस्त्री का भी योगदान है. इसके साथ ही सपूरजी पालनजी परिवार का भरपूर सहयोग मिला.

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हादसे से पहले सायरस मिस्त्री उदवाड़ा पवित्र अगियारी गए थे. अहमदाबाद से मुंबई जाते समय साइरस मिस्त्री उदवारा में रुके थे. पवित्र ज्वाला बेहराम के दर्शन के लिए आए. उन्होंने खुशी-खुशी अताश बेहराम के दर्शन किए. दुनिया भर से लोग यहां पारसी नव वर्ष या अपने त्योहारों पर आते हैं.

Last Updated : Sep 6, 2022, 10:01 AM IST
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