Earthquake Warning: उत्तराखंड में बड़ा भूकंप आया तो ढहेंगे 2 लाख घर!, वैज्ञानिकों ने बताया अति संवेदनशील - dehradun earthquake news
नेपाल में 5.6 मेग्नीट्यूड के भूकंप ने हिमालय क्षेत्र में इसके खतरों का एक बार फिर एहसास करा दिया है. खास तौर पर उत्तराखंड सालों से भूकंप के खतरों को नजदीक से महसूस करता रहा है. इसके बावजूद वैज्ञानिकों का अध्ययन बताता है कि राज्य में दो लाख ऐसे भवन हैं, जो भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील हैं. 5 मेग्नीट्यूड से ज्यादा के भूकंप ऐसे भवनों में तबाही मचा सकते हैं. ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.
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देहरादून: उत्तराखंड का गढ़वाल रीजन हिमालय में भूकंप के लिहाज से सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है. वैज्ञानिकों की रिसर्च कहती है कि पिछली एक शताब्दी में गढ़वाल क्षेत्र ऐसे कई बड़े भूकंप महसूस किए गए हैं, जिनके कारण भारी मानव क्षति हुई है. पिछले कुछ सालों में आपदा प्रबंधन विभाग ने भी उत्तराखंड में भूकंप के रिस्क को लेकर किए गए अध्ययन में यह पाया है कि न केवल राज्य के दो लाख भवन बड़े भूकंप के लिए तैयार नहीं हैं, बल्कि देहरादून और हरिद्वार जैसे जनपदों में ऐसे भूकंप के कारण सबसे ज्यादा तबाही की आशंका भी है.
आंकड़े बताते हैं कि भूकंप का सबसे ज्यादा केंद्र नेपाल और उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र या जिले रहे हैं. आपदा प्रबंधन में सचिव रंजीत सिन्हा कहते हैं कि राज्य में रिस्क एसेसमेंट के दौरान यह पाया गया कि दो लाख भवनों को भूकंप के लिहाज से बेहतर किया जाना बेहद जरूरी है. यही नहीं, रिपोर्ट इन खतरों से बचने के लिए क्या जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए, इसकी भी जानकारी देती है.
आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट सरकारी भवनों की स्थिति और भूकंप सहने की क्षमता की भी जानकारी देती है. इस दौरान हालांकि बड़े पावर प्रोजेक्ट्स और स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण भवनों को भूकंप के लिहाज से बेहतर भी बताया गया है. अब जानिए उत्तराखंड में भूकंप को लेकर क्या रहे हैं आंकड़े.
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वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक भी मानते हैं कि भूकंप के लिहाज से हिमालय क्षेत्र बेहद संवेदनशील है. यही नहीं, हिमालय में हो रही भूगर्भीय हलचल के चलते धरती के अंदर बड़े पैमाने पर एनर्जी स्टोर हो गई है. बड़े भूकंप के जरिए एनर्जी बाहर निकलती है. लंबे समय से किसी बड़े भूकंप के नहीं आने से जमीन में यह एनर्जी स्टोर है. इसीलिए कभी भी किसी बड़े भूकंप का खतरा हिमालय क्षेत्र में बना रहता है. इस मामले में उत्तराखंड की संवेदनशीलता काफी ज्यादा है. इसीलिए इस क्षेत्र को जोन 5 में रखा गया है. अब जानिए कि उत्तराखंड में पिछले एक साल में भूकंप की क्या स्थिति रही उसके आंकड़े.
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भूकंप के खतरों को देखते हुए भूकंप रोधी भवनों के निर्माण को हमेशा ही प्राथमिकता देने की बात वैज्ञानिक करते रहे हैं. हालांकि, इसके बावजूद अध्ययन ने इस बात का खुलासा कर दिया है कि अब भी बड़ी संख्या में भवनों की स्थिति सुधारने की जरूरत है. उधर, वाडिया इंस्टिट्यूट के भूकंप से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अजय पाल बताते हैं कि हिमालय क्षेत्र में अरुणाचल से लेकर जम्मू कश्मीर तक अब तक कई भूकंप आए हैं. यह पूरा क्षेत्र संवेदनशील भी है.