त्रिपुरा के 14 नगर निकायों के चुनाव के लिए शाम चार बजे तक 4.93 लाख से ज्यादा मतदाताओं में से लगभग 75.04 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
विपक्षी दलों ने मतदान के दौरान राजनीतिक हिंसा का आरोप लगाया, हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) की ओर से कहा गया कि मतदान से संबंधित क्षेत्रों में झड़प या वोटिंग मशीन की समस्या से संबंधित कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है. मतदान की प्रक्रिया प्रातः सात बजे शुरू हुई और शाम चार बजे के बाद तक जारी रही.
अधिकारियों ने बताया कि दिन के अंत तक मत प्रतिशत में वृद्धि हो सकती है. विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने दावा किया कि उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर हमला हुआ और उन्हें मतदान करने से रोका गया.
आज तृणमूल नेता सुबल भौमिक ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ यहां धरना प्रदर्शन किया और राज्य निर्वाचन आयोग पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का पक्ष लेने का आरोप लगाया. भौमिक ने कहा कि बूथ जाम कर और अन्य तरीकों से मतदाताओं को मतदान करने से रोका गया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'नतीजे आने पर जनता का मत सामने नहीं आएगा. मतदान की प्रक्रिया में गलत तरीकों का इस्तेमाल किया गया है. पुलिस और निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने सत्तारूढ़ दल की तरफदारी की है.'
माकपा की ओर से भी कहा गया कि 'भाजपा समर्थित गुंडों' ने चुनाव में धांधली की. माकपा के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी ने आरोप लगाया कि मतदान की प्रक्रिया 'तमाशा' बनकर रह गई. चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, 'मैंने नगर निकाय के चुनावों में ऐसी अशांति पहले नहीं देखी थी. एसईसी से बार-बार शिकायत करने के बावजूद मुक्त और निष्पक्ष तरीके से चुनाव नहीं कराये गए.'
हालांकि, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इन आरोपों का खंडन किया है. भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने कहा, 'तृणमूल और माकपा निराधार आरोप लगा रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि चुनाव में उनकी पराजय होगी. चुनाव अच्छे माहौल में संपन्न हुए हैं.'