कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में मिली जीत के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार आज शहीद दिवस मनाएगी. अपने सबसे बड़े वार्षिक कार्यक्रम के जरिए सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के भाषण का प्रसारण अलग-अलग राज्यों में किया जाएगा. यह कार्यक्रम दोपहर दो बजे शुरू होगा.
हर साल 21 जुलाई को कोलकाता में होने वाली ऐतिहासिक शहीद दिवस रैली (Martyr Day In Bengal) इस बार भी कोरोना के चलते लाखों लोगों की भीड़ के बिना होगी. पार्टी लगातार दूसरे साल इस वर्चुअल माध्यम (Virtual Medium) से कार्यक्रम का आयोजन करेगी और इस बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाषण भी होगा. हालांकि, इस टीएमसी इस दिन को एक अलग राष्ट्रीय दृष्टिकोण से मनाएगी.
दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद तृणमूल ने 2024 के लोकसभा चुनाव को अपना लक्ष्य बनाया है. तृणमूल नेतृत्व 2024 के आम चुनाव में सबसे प्रमुख दल के रूप में अपने महत्व को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसा माना जा रहा है कि चुनावों के बाद नई केंद्र सरकार के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इसलिए इस वर्ष शहीद दिवस के कार्यक्रम थोड़े अलग होंगे.
सबसे पहले, मुख्य समारोह का सीधा प्रसारण, जिसे मुख्यमंत्री द्वारा संबोधित किया जाएगा. कोलकाता के अलावा दिल्ली में वर्चुअल रूप से प्रसारित किया जाएगा. इसमें शत्रुघ्न सिन्हा और वाइको जैसे अन्य राष्ट्रीय नेता भी मुख्य कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल होंगे. उम्मीद है कि सीएम ममता अपने भाषण में तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय योजनाओं पर कुछ प्रकाश डालेंगी.
राष्ट्रीय राजनीति में 21 जुलाई के महत्व से युवाओं को अवगत कराने के लिए तृणमूल कांग्रेस की युवा शाखा की ओर से तैयार लघु डॉक्यूमेंट्री प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसारित की जा रही है. वीडियो की लंबाई सिर्फ दो मिनट 35 सेकेंड है. इतने छोटे वीडियो में 21 जुलाई, 1993 को हुई घटना का सार प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है.
इस दिन हुई पुलिस फायरिंग में 14 लोग मारे गए थे, जो तत्कालीन राज्य युवा कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी के नेतृत्व में विरोध मार्च का हिस्सा थे. वीडियो के माध्यम से बॉन्डन दास, मुरारी चक्रवर्ती, रतन मंडल और असीम दास जैसे उस दिन के शहीदों से युवाओं को रुबरू कराने का प्रयास किया गया है. वीडियो में उस दिन से जुड़ी तृणमूल कांग्रेस की भावना को उजागर करने का प्रयास किया गया है.
भगवा आतंक से कराना है मुक्त
युवा तृणमूल नेता अशोक रुद्र ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि हालांकि शासन में वास्तविक परिवर्तन 2011 में हुआ था. जब ममता बनर्जी पहली बार 34 साल लंबे वाम मोर्चा शासन को समाप्त करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं, वास्तव में यह जुलाई को था. 21, 1993, कि पश्चिम बंगाल के लोगों ने उन्हें एक नए शासन के मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार किया था.
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कहा कि लोगों ने ममता बनर्जी के संघर्ष को सलाम किया और महसूस किया कि उनका रास्ता ही बंगाल को कम्युनिस्ट शासन से मुक्त करने का एकमात्र तरीका है. कहा कि पश्चिम बंगाल को लाल आतंक से बचाने के बाद अब ममता बनर्जी का संघर्ष 2024 में भारत को भगवा आतंक से मुक्त करना है. संघर्ष वही है जो 21 जुलाई, 1993 को शुरू हुआ था. इसलिए यह लघु वीडियो युवाओं को शिक्षित करने में बेहद महत्वपूर्ण होगा.