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Independence Day 2023: काशी की इन मिठाइयों ने कर दिए थे अंग्रेजों के 'दांत खट्टे', पढ़िए ये खास रिपोर्ट

काशी की कुछ खास मिठाइयों का इतिहास अंग्रेजों के जमाने से जुड़ा हुआ है. आखिर वह कैसे, चलिए जानते हैं इस खास रिपोर्ट में.

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Published : Aug 14, 2023, 9:37 AM IST

Updated : Aug 14, 2023, 12:58 PM IST

काशी की बेहद खास मिठाइयों का इतिहास आजादी के दौर से जुड़ा.

वाराणसी: पूरा देश आजादी का जश्न मनाने के लिए तैयार है. भारत को स्वतंत्र हुए 76 वर्ष हो चुके हैंऔर देश अपने आजादी का 77 वां साल कल सेलिब्रेट करेगा. इस दौरान आजादी से जुड़ी बहुत सी कहानी आपको सुनने को मिलेंगी, लेकिन हम धर्मनगरी वाराणसी से आपको आजादी की वह कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमें लोगों का मुंह मीठा कराते कराते आजादी की लड़ाई को इस कदर आगे बढ़ाया की अंग्रेजों के दांत इन मिठाइयों ने खट्टे कर दिए.

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तिरंगी बर्फी का इतिहास.

दरअसल, वाराणसी का ठठेरी बाजार शहर का पुराना इलाका है. चौक से बिल्कुल नजदीक इस इलाके में संकरी गलियों के अंदर छोटी-छोटी दुकानों से लाखों करोड़ों के बड़े-बड़े कारोबार होते हैं. इन्हीं दुकानों के बीच में एक लगभग डेढ़ सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी मिठाई की दुकान है. इसका नाम है राम भंडार. इस मिठाई की दुकान की स्थापना रघुनाथ दास गुप्ता ने की थी. बाद में इस दुकान को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इस कदर उपयोग किया गया कि अंग्रेजों ने भी इस दुकान के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी.

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वाराणसी में स्वतंत्रता दिवस पर खूब बिकती है तिरंगी बर्फी.

जब मिठाई ने किया था अंग्रेजों को चैलेंज: 1939 के दौर में जब अंग्रेजी हुकूमत आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों को कुचलने के लिए हर प्रयास कर रही थी, उस वक्त इसी मिठाई की दुकान में रघुनाथ दास गुप्ता और उनके बेटे ने मिलकर ऐसी मिठाईयां तैयार की जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को तो चैलेंज किया है साथ ही साथ लोगों के अंदर देशभक्ति का जज्बा भी जगाए रखा. इस वक्त इस परिवार की पांचवी पीढ़ी के वरुण गुप्ता बताते हैं कि उनके ग्रेट ग्रैंडफादर रघुनाथ दास गुप्ता शहर के मानिंद और मशहूर क्रांतिकारियों में गिने जाते थे. उस वक्त जब अंग्रेजी हुकूमत ने भारत के झंडे को फहराने पर प्रतिबंध लगाया तो उनके दादा और परदादा ने मिलकर उस वक्त के महान क्रांतिकारियों के नामों पर आधारित और तिरंगे के रंग वाली मिठाई तैयार की.

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जवाहर लाल नेहरू के नाम से जुड़ा जवाहर लड्डू.

तिरंगी बर्फी के साथ भेजा जाता था संदेश: सबसे ज्यादा प्रसिद्ध तिरंगी बर्फी हुई. बिल्कुल तिरंगे के रंग में हरी, सफेद और केसरिया रंग में रंगी यह बर्फी उस वक्त लोगों के बीच भेजकर आजादी के संदेश और होने वाली सभाओं की जानकारियां इसी मिठाई में छुपाकर पहुंचाई जाती थी. इसके अलावा उस वक्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव गाथा लोगों तक पहुंचाने के लिए जवाहर लड्डू, गांधी गौरव, वल्लभ संदेश जैसी मिठाइयों का भी निर्माण किया गया. इन मिठाइयों के जरिए आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने का काम जारी रखा गया.

ऐसे की जाती है तैयार: वरुण बताते हैं कि तिरंगी बर्फी को बनाने के लिए खोवा, काजू, पिस्ता, बादाम जैसी चीजों को मिलाकर अलग-अलग लेयर तैयार की जाती है और तीन अलग-अलग रंगों में बांट कर इस मिठाई को तैयार किया जाता है. इसके अलावा आज भी इस दुकान पर जवाहर लड्डू मिलता है जो मेवे और काजू से तैयार होता है. यह मिठाइयां स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी जैसे मौके पर खूब बिकतीं हैं. स्कूलों से लेकर ऑफिसेज तक में लोग इन्हीं मिठाइयों को मंगवाते हैं. यहां तक की तमाम आयोजनों में भी इन मिठाइयों को बताकर देशभक्ति के रंग में रंग कर आजादी का जश्न हर कोई मनाता है.

ये भी पढ़ेंः युवती की हत्या का सनसनीखेज खुलासा, प्रेमी ने बर्थडे पार्टी में बुलाकर साथियों के साथ चादर से घोंटा था गला

ये भी पढ़ेंः सपा ने घोषित की नई राज्य कार्यकारिणी, अब्दुल्ला आजम को भी मिली जिम्मेदारी

काशी की बेहद खास मिठाइयों का इतिहास आजादी के दौर से जुड़ा.

वाराणसी: पूरा देश आजादी का जश्न मनाने के लिए तैयार है. भारत को स्वतंत्र हुए 76 वर्ष हो चुके हैंऔर देश अपने आजादी का 77 वां साल कल सेलिब्रेट करेगा. इस दौरान आजादी से जुड़ी बहुत सी कहानी आपको सुनने को मिलेंगी, लेकिन हम धर्मनगरी वाराणसी से आपको आजादी की वह कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमें लोगों का मुंह मीठा कराते कराते आजादी की लड़ाई को इस कदर आगे बढ़ाया की अंग्रेजों के दांत इन मिठाइयों ने खट्टे कर दिए.

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तिरंगी बर्फी का इतिहास.

दरअसल, वाराणसी का ठठेरी बाजार शहर का पुराना इलाका है. चौक से बिल्कुल नजदीक इस इलाके में संकरी गलियों के अंदर छोटी-छोटी दुकानों से लाखों करोड़ों के बड़े-बड़े कारोबार होते हैं. इन्हीं दुकानों के बीच में एक लगभग डेढ़ सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी मिठाई की दुकान है. इसका नाम है राम भंडार. इस मिठाई की दुकान की स्थापना रघुनाथ दास गुप्ता ने की थी. बाद में इस दुकान को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इस कदर उपयोग किया गया कि अंग्रेजों ने भी इस दुकान के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी.

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वाराणसी में स्वतंत्रता दिवस पर खूब बिकती है तिरंगी बर्फी.

जब मिठाई ने किया था अंग्रेजों को चैलेंज: 1939 के दौर में जब अंग्रेजी हुकूमत आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों को कुचलने के लिए हर प्रयास कर रही थी, उस वक्त इसी मिठाई की दुकान में रघुनाथ दास गुप्ता और उनके बेटे ने मिलकर ऐसी मिठाईयां तैयार की जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को तो चैलेंज किया है साथ ही साथ लोगों के अंदर देशभक्ति का जज्बा भी जगाए रखा. इस वक्त इस परिवार की पांचवी पीढ़ी के वरुण गुप्ता बताते हैं कि उनके ग्रेट ग्रैंडफादर रघुनाथ दास गुप्ता शहर के मानिंद और मशहूर क्रांतिकारियों में गिने जाते थे. उस वक्त जब अंग्रेजी हुकूमत ने भारत के झंडे को फहराने पर प्रतिबंध लगाया तो उनके दादा और परदादा ने मिलकर उस वक्त के महान क्रांतिकारियों के नामों पर आधारित और तिरंगे के रंग वाली मिठाई तैयार की.

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जवाहर लाल नेहरू के नाम से जुड़ा जवाहर लड्डू.

तिरंगी बर्फी के साथ भेजा जाता था संदेश: सबसे ज्यादा प्रसिद्ध तिरंगी बर्फी हुई. बिल्कुल तिरंगे के रंग में हरी, सफेद और केसरिया रंग में रंगी यह बर्फी उस वक्त लोगों के बीच भेजकर आजादी के संदेश और होने वाली सभाओं की जानकारियां इसी मिठाई में छुपाकर पहुंचाई जाती थी. इसके अलावा उस वक्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव गाथा लोगों तक पहुंचाने के लिए जवाहर लड्डू, गांधी गौरव, वल्लभ संदेश जैसी मिठाइयों का भी निर्माण किया गया. इन मिठाइयों के जरिए आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाने का काम जारी रखा गया.

ऐसे की जाती है तैयार: वरुण बताते हैं कि तिरंगी बर्फी को बनाने के लिए खोवा, काजू, पिस्ता, बादाम जैसी चीजों को मिलाकर अलग-अलग लेयर तैयार की जाती है और तीन अलग-अलग रंगों में बांट कर इस मिठाई को तैयार किया जाता है. इसके अलावा आज भी इस दुकान पर जवाहर लड्डू मिलता है जो मेवे और काजू से तैयार होता है. यह मिठाइयां स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी जैसे मौके पर खूब बिकतीं हैं. स्कूलों से लेकर ऑफिसेज तक में लोग इन्हीं मिठाइयों को मंगवाते हैं. यहां तक की तमाम आयोजनों में भी इन मिठाइयों को बताकर देशभक्ति के रंग में रंग कर आजादी का जश्न हर कोई मनाता है.

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Last Updated : Aug 14, 2023, 12:58 PM IST
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