पटना: राजधानी पटना के एम्स में फेफड़े के कैंसर से पीड़ित दो मरीजों का नए तकनीक से सफल ऑपरेशन कर एम्स ने इतिहास बनाया है. कैंसर पीड़ित दो लोगों के सफल ऑपरेशन के बाद एम्स के डॉक्टरों ने दावा किया कि ऑपरेशन में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया. जो अब तक देश में किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं किया गया है. एम्स प्रबंधन की ओर से बताया गया कि कैंसर (Treatment Of Cancer Patients In Patna AIIMS ) पीड़ित एक 60 साल की महिला और 25 साल के युवक की नए तरीके से सर्जरी कर कैंसर ठीक की गई.
हिटहोक विधि से फेफड़े के कैंसर का इलाज
पटना एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सीएम सिंह ने बताया कि कैंसर सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ जगजीत कुमार पांडे के नेतृत्व में पूरी सर्जरी की गई. इस सर्जरी के बाद मरीज की छाती को गर्म करके कैंसर की दवा दी गई जिससे कि कैंसर के ना दिखने वाले पार्ट को भी पूरी तरह से नष्ट किया जा सके. उन्होंने बताया कि इस विधि को हाइपरथर्मिक इंट्राथोरेसिक कीमोथेरेपी (HITHOC) सर्जरी कहते हैं. इस विधि से फेफड़े के कैंसर का इलाज देश में पहली बार हुआ है. इस ऑपरेशन करने वाले टीम में डॉक्टर दीपेंद्र राय, डॉक्टर प्रितांजली सिंह, डॉक्टर सौरभ करमाकर, डॉ. कुणाल सिंह, डॉ. सत्यनारायण, डॉ. राहुल और डॉ. सतीश शामिल थे. टीम में शामिल चिकित्सकों को इस बात का गर्व है कि उन्होंने इस सफल सर्जरी में हिस्सा लिया है और कैंसर के इलाज में एक कीर्तिमान स्थापित किया.
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पटना एम्स में कैंसर पीड़ित दो मरीजों का सफल ऑपरेशन
बता दें कि फेफड़े के कैंसर से पीड़ित सारण की 60 वर्षीय महिला और मोकामा के 25 वर्षीय युवक का नए तकनीक से पटना एम्स में डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन किया है. दोनों के पूरे छाती में कैंसर फैल गया था. जिन्हें बचाना बहुत मुश्किल था और साधारण तरीके से ऑपरेशन संभव नहीं था. पहली बार देश में नए तकनीक का प्रयोग करते हुए पटना एम्स के डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया. इन दोनों मरीजों का ऑपरेशन का अधिकांश खर्च मुख्यमंत्री चिकित्सा अनुदान से हुआ है और इस पूरे ऑपरेशन में तीन लाख खर्च हुआ. ऑपरेशन के बाद दोनों मरीज अब स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है. पटना एम्स की इस सफलता पर एम्स के निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने सर्जरी करने वाली पूरी टीम को बधाई दी.
पटना एम्स में नए तकनीक से कैंसर का इलाज
डॉक्टरों ने बताया कि फेफड़े का कैंसर अक्सर बहुत देरी से पता चल पाता है ऐसे में जब तक पता चलता है तब तक उम्मीद खत्म हो जाती है. अभी तक कैंसर का इलाज ऑपरेशन से संभव नहीं था. ऐसे मरीजों में कैंसर पूरी छाती में फैल जाती थी और उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता था. लेकिन नई तकनीक से ऐसे मरीजों का ऑपरेशन कर उनकी जान को बचाना आसान हो गया है.