भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने ट्रांसजेंडर को लेकर बड़ा फैसला किया है. प्रदेश में ट्रांसजेंडर को ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भले ही इसका निर्णय लिया हो, लेकिन सरकार के इस फैसले पर किन्नर गुरू सुरैया नायक ने कहा कि बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर जो घूम रहे हैं, पहले सरकार उन्हें नौकरी दे. हम नौकरी करेंगे तो दुआएं कौन देगा. सरकार के इस फैसले पर चर्चा करते हुए एक किन्नर का दर्द झलक पड़ा, उन्होंने कहा कि समाज में हमें मजाक का विषय बनाया जाता है, लेकिन सरकार यदि सच में कुछ करना चाहती है, तो पहले समाज में जागरूकता लाए. उन्होंने सवाल किया कि दफ्तर में सामान्य पुरूष या महिलाओं के बीच नौकरी करेंगे तो हमारा मजाक नहीं बनेगा.
किन्नर गुरू बोली हम दुआ देने के लिए ही बने हैं: उधर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राज्य सरकार द्वारा किए गए फैसले पर भोपाल मंगलवारा की किन्नर गुरू सुरैया नायक कहती हैं कि यदि हम नौकरी करने लगेंगे, तो दुआएं कौन देगा. बच्चों के लिए तरसने वाली महिलाओं की गोद कौन भरेगा. ईश्वर ने हमें दूसरों को दुआएं देने के लिए ही भेजा है, वही हमारा काम है. वे कहती हैं कि वैसे भी समाज में बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर युवक घूम रहे हैं. उनमें कई ऐसे हैं, जिनकी दो से तीन छोटी बहनें हैं, पहले सरकार उन्हें नौकरी दे. हमसे ज्यादा उन्हें नौकरी की जरूरत है. उधर एक अन्य किन्नर देवी रानी कहती हैं कि किन्नर समाज न तो जागरूक है और न ही पढ़ा लिखा है. सरकार के इस फैसले के बाद आरक्षण से हमें सरकार नाचने की नौकरी देगी या गाने की. हमें इसके अलावा कुछ नहीं आता. उन्होंने सवाल किया कि यदि 10 लड़कों या लड़कियों के बीच किन्नर किसी विभाग में नौकरी करेगा तो उसका मजाक नहीं बनेगा. समाज में, टीवी और फिल्मी पर्दे पर वैसे भी हमारा सिर्फ मजाक उड़ाया जाता है. सरकार के सिर्फ इस फैसले से कुछ नहीं बदलने वाला, सरकार यदि कुछ करना चाहती है तो समाज में किन्नरों को लेकर बदलाव लाए. वैसे भी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले वे हैं, जो लड़के-लड़के और लड़की-लड़की की शादी की वकालात करते हैं.
प्रदेश में पहले मिल चुका बराबरी का हक: हालांकि राज्य सरकार ने अब ओबीसी आरक्षण का लाभ देने का निर्णय लिया हो, लेकिन इसके पहले राज्य सरकार सीधी भर्ती में सामान्य पुरूष और महिला के बराबर का लाभ दे चुकी है. पिछले दिनों सामाजिक न्याय विभाग की पहल पर राज्य सरकार ने सभी विभागों को आदेश जारी कर चुकी है. इसके बाद प्रावधान किया गया है कि तमाम सरकारी दस्तावेजों में पुरुष और महिला के साथ ट्रांसजेंडर भी लिखा जाए.
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सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया था: दरअसल मध्यप्रदेश सरकार ने ट्रांसजेंडर को आरक्षण का लाभ देने का यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केन्द्र सरकार सहित सभी राज्यों को ट्रांसजेंडर्स को ओबीसी की सूची में शामिल करने और शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने कहा था कि ट्रांसजेंडर्स सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय है. ऐसे में उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने अपने फेसले में संविधान के अनुछेद 14, 16 और 2 का हवाला देते हुए कहा था कि वह भी देश के नागरिक हैं और उन्हें समान अधिकार दिया जाना चाहिए.