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कोरोना से जंग: दुर्ग की ट्रांसजेंडर कंचन दीदी कैसे बनीं वैक्सीन दीदी, जानिए

दुर्ग की किन्नर कंचन सेंद्रे कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर लोगों के साथ-साथ अपने समुदाय के लोगों को भी प्रेरित कर रही (Corona vaccination of transgenders in Durg) है. कंचन के इस नेक पहल को देखते हुए सरकार ने कंचन सेंद्रे को तृतीय समुदाय कल्याण बोर्ड का सदस्य बना दिया है.

Corona vaccination of transgenders in Durg
दुर्ग की ट्रांसजेंडर कंचन दीदी
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Published : Jul 26, 2022, 9:21 PM IST

दुर्ग: दुर्ग की रहने वाली ट्रांसजेंडर कंचन सेंद्रे कोरोना से जंग में अहम भूमिका निभा रही है. वह लोगों को कोरोना वैक्सीन दिलवाने का काम कर रही हैं. वह ऐसे लोगों को अंदर से कोरोना वैक्सीन को लेकर डर हटा रहीं हैं जो कोरोना वैक्सीन को लेकर भयभीत रहते हैं.(Corona vaccination of transgenders in Durg ). कंचन की इस पहल के कारण लोग कंचन को वैक्सीन दीदी के नाम से संबोधित कर रहे हैं. इस मुहिम को देखते हुए सरकार ने कंचन सेंद्रे को तृतीय समुदाय कल्याण बोर्ड का सदस्य बना दिया है.

कंचन की मुहिम किन्नरों के लिए बनी मिसाल: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में रहने वाली किन्नर कंचन सेंद्रे ने अपने समुदाय में कोविड वैक्सीन लगाने के बाद किसी तरह का दुष्प्रभाव होने के अफवाहों को दूर करने के लिए सबसे पहले खुद कोरोना वैक्सीन लगवाया. इसके बाद एक मुहिम चलाकर जिले में लगभग 150 ट्रांसजेंडर लोगों को वैक्सीन लगवाई. इस मुहिम के बाद कंचन को छत्तीसगढ़ के लोग वैक्सीन दीदी के नाम से जानने लगे हैं.

ट्रांसजेंडर कंचन दीदी कैसे बनीं वैक्सीन दीदी

वैक्सीन के लिए समुदाय के सदस्यों को किया प्रेरित: कंचन सेंद्रे ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों में संदेह था. उन्होंने बताया कि जिस वक्त मुझे "कोरोना का पहला डोज लगा था, उस वक्त बीमार पड़ गयी थी. जिसके बाद मैंने अपने समुदाय के लोगों को समझाया और उनका हौसला बढ़ाया. समुदाय के लोगों ने भी वैक्सीन लगाने के लिए स्वास्थ विभाग की मदद से किन्नर समुदाय के लोगों के लिए कैंप लगाकर वैक्सीन लगवाया". अब तक किन्नर समुदाय के लगभग 150 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है.अन्य लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए जागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों को अपील भी करते आ रहे है."

यह भी पढ़ें; छत्तीसगढ़ में हड़ताल से शिक्षा व्यवस्था चौपट

दस्तावेज के अभाव में वैक्सीन लगाने में होती थी परेशानी: कंचन सेंद्रे कहती हैं कि, "तृतीय समुदाय के 250 लोग हैं, जिन्हें कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही कुछ लोगों का पहचान शो नहीं कर रहा है. वैक्सीन नहीं लगने से तृतीय समुदाय के लोगों को मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा था. तृतीय समुदाय के लोग बाजारों में कलेक्शन, घरों में डांस, ट्रेन में कलेक्शन करने जाते है, जो एक दूसरे व्यक्ति के संपर्क में रहते है. इसलिए वैक्सीन लगाने की बहुत जरूरत थी. मैंने देखा है कि तृतीय समुदाय के लोगों को शुरू से ही उपेक्षित मानते हैं, जिसे देखते हुए मैंने कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए समुदाय के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित किया. वैक्सीन लगाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिसमें मुख्य परेशानी दस्तावेज की था. इस समुदाय के कई लोग साड़ी पहनते हैं. लेकिन उनके दस्तावेजों में पुरुष दर्शाया गया है. जिसके कारण परेशानी होती थी. उसके बावजूद इन परेशानियों को दूर करते हुए समुदाय के लोगों को वैक्सीन लगवाई गई है."

लोगों से कोविड वैक्सीन लगाने की अपील: तृतीय समुदाय के लोगों ने बताया कि, "कंचन सेंद्रे ने समुदाय के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके बाद हम लोगों ने भी कोविड वैक्सीन लगवाई गई है. वैक्सीन लगाने के बाद किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई. हम लोगों से अपील करते है कि इस महामारी से बचाने को आप भी कोविड वैक्सीन जरूर लगवाए."

दुर्ग: दुर्ग की रहने वाली ट्रांसजेंडर कंचन सेंद्रे कोरोना से जंग में अहम भूमिका निभा रही है. वह लोगों को कोरोना वैक्सीन दिलवाने का काम कर रही हैं. वह ऐसे लोगों को अंदर से कोरोना वैक्सीन को लेकर डर हटा रहीं हैं जो कोरोना वैक्सीन को लेकर भयभीत रहते हैं.(Corona vaccination of transgenders in Durg ). कंचन की इस पहल के कारण लोग कंचन को वैक्सीन दीदी के नाम से संबोधित कर रहे हैं. इस मुहिम को देखते हुए सरकार ने कंचन सेंद्रे को तृतीय समुदाय कल्याण बोर्ड का सदस्य बना दिया है.

कंचन की मुहिम किन्नरों के लिए बनी मिसाल: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में रहने वाली किन्नर कंचन सेंद्रे ने अपने समुदाय में कोविड वैक्सीन लगाने के बाद किसी तरह का दुष्प्रभाव होने के अफवाहों को दूर करने के लिए सबसे पहले खुद कोरोना वैक्सीन लगवाया. इसके बाद एक मुहिम चलाकर जिले में लगभग 150 ट्रांसजेंडर लोगों को वैक्सीन लगवाई. इस मुहिम के बाद कंचन को छत्तीसगढ़ के लोग वैक्सीन दीदी के नाम से जानने लगे हैं.

ट्रांसजेंडर कंचन दीदी कैसे बनीं वैक्सीन दीदी

वैक्सीन के लिए समुदाय के सदस्यों को किया प्रेरित: कंचन सेंद्रे ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों में संदेह था. उन्होंने बताया कि जिस वक्त मुझे "कोरोना का पहला डोज लगा था, उस वक्त बीमार पड़ गयी थी. जिसके बाद मैंने अपने समुदाय के लोगों को समझाया और उनका हौसला बढ़ाया. समुदाय के लोगों ने भी वैक्सीन लगाने के लिए स्वास्थ विभाग की मदद से किन्नर समुदाय के लोगों के लिए कैंप लगाकर वैक्सीन लगवाया". अब तक किन्नर समुदाय के लगभग 150 लोगों को वैक्सीन लगाई गई है.अन्य लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए जागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों को अपील भी करते आ रहे है."

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दस्तावेज के अभाव में वैक्सीन लगाने में होती थी परेशानी: कंचन सेंद्रे कहती हैं कि, "तृतीय समुदाय के 250 लोग हैं, जिन्हें कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही कुछ लोगों का पहचान शो नहीं कर रहा है. वैक्सीन नहीं लगने से तृतीय समुदाय के लोगों को मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ रहा था. तृतीय समुदाय के लोग बाजारों में कलेक्शन, घरों में डांस, ट्रेन में कलेक्शन करने जाते है, जो एक दूसरे व्यक्ति के संपर्क में रहते है. इसलिए वैक्सीन लगाने की बहुत जरूरत थी. मैंने देखा है कि तृतीय समुदाय के लोगों को शुरू से ही उपेक्षित मानते हैं, जिसे देखते हुए मैंने कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए समुदाय के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित किया. वैक्सीन लगाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिसमें मुख्य परेशानी दस्तावेज की था. इस समुदाय के कई लोग साड़ी पहनते हैं. लेकिन उनके दस्तावेजों में पुरुष दर्शाया गया है. जिसके कारण परेशानी होती थी. उसके बावजूद इन परेशानियों को दूर करते हुए समुदाय के लोगों को वैक्सीन लगवाई गई है."

लोगों से कोविड वैक्सीन लगाने की अपील: तृतीय समुदाय के लोगों ने बताया कि, "कंचन सेंद्रे ने समुदाय के लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके बाद हम लोगों ने भी कोविड वैक्सीन लगवाई गई है. वैक्सीन लगाने के बाद किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई. हम लोगों से अपील करते है कि इस महामारी से बचाने को आप भी कोविड वैक्सीन जरूर लगवाए."

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