बेंगलुरु: कर्नाटक के कई क्षेत्रों में गुरुवार को व्यापारियों और लघु उद्योगों से जुड़े लोगों ने बिजली दरों में हाल में हुई बढ़ोतरी के विरोध में रैली निकाली और प्रदर्शन किया. हुबली के कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) ने इस बंद का आह्वान किया था. बड़ी संख्या में व्यापारी और छोटे कारोबारी विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुए. बिजली की बढ़ी दरों को लेकर प्रदर्शन ऐसे समय हो रहा है जब राज्य सरकार ने इसी सप्ताह रिहायशी बिजली कनेक्शनों को गृह ज्योति योजना के तहत 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की है.
व्यापारियों और उद्यमियों ने हाथ में बैनर, पोस्टर और तख्ती लेकर जिला मुख्यालयों में मार्च निकाला. उन्होंने हुबली-धारवाड़, शिवमोगा, बेलगावी, बेल्लारी, विजयनगर, दावणगेरे और कोप्पल समेत अन्य स्थानों पर मार्च किया.
उन्होंने सरकार से बिजली दरों में बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की है. बड़ी संख्या में व्यापारियों और उद्यमियों ने बेलागावी में बैनर और तख्ती के साथ उपायुक्त कार्यालय तक मार्च किया. केसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष संदीप बिदासरिया ने दावा किया है कि बिजली दरों में 50-70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इससे छोटे उद्यमों बुरी तरह प्रभावित होंगे.
कर्नाटक के मंत्री ने उद्योगपतियों से की सहयोग की अपील
वहीं दूसरी ओर कर्नाटक के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट मंत्री एम.बी. पाटिल ने गुरुवार को उद्योगपतियों से बिजली दरों में बढ़ोतरी पर सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की है. बिजली बढ़ोतरी को लेकर राज्य के उद्योगपति बंद कर रहे हैं. मंत्री पाटिल ने पत्रकारों से कहा कि बिजली दरों में बढ़ोतरी कर्नाटक विद्युत नियामक आयोग (केईआरसी) का फैसला था, जो एक स्वतंत्र बॉडी है और इसका सरकार के फैसले से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि बिजली दरों में बढ़ोतरी का फैसला कांग्रेस सरकार के सत्ता संभालने से काफी पहले भाजपा के कार्यकाल में लिया गया था. पत्रकारों ने जब मंत्री से बिजली दरों में हालिया बढ़ोतरी पर उद्योग संगठनों द्वारा उठाई गई चिंताओं के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और बिजली मंत्री जेके जॉर्ज के साथ चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि वह जुलाई के पहले सप्ताह में दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्रियों से मिलेंगे और राज्य में औद्योगिक विकास पर चर्चा करेंगे.
उन्होंने कहा, रोडमैप 27 जुलाई तक तैयार हो जाएगा और उसके बाद मैं विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं और प्रस्तावित पहलों पर चर्चा करने के लिए संबंधित केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करूंगा. पाटिल ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से राज्य को चावल की आपूर्ति करने पर सहमत नहीं होने के लिए भी केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि केंद्र गरीबों को बांटे जाने वाले चावल पर राजनीति कर रहा है. कर्नाटक सरकार मुफ्त चावल नहीं मांग रही है.
(आईएएनएस/पीटीआई-भाषा)