देहरादून (उत्तराखंड): मोटर वाहन अधिनियम के तहत 'हिट एंड रन' कानून को लेकर ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों का प्रदर्शन दूसरे भी जारी है. जिसके चलते जहां सरकारों को राजस्व का नुकसान हो रहा है तो वहीं यात्रियों को भी इस विरोध प्रदर्शन का हर्जाना भुगतना पड़ रहा है. आलम ये है कि उत्तराखंड में जो पर्यटक नए साल का जश्न मनाने के लिए पहुंचे थे, उन्हें भी वापसी के लिए बसें आदि नहीं मिल रही हैं. रोजमर्रा के लिए बस, ऑटो और अन्य विकल्पों से सफर करने वाले यात्री भी सड़कों पर परेशान घूम रहे हैं, लेकिन किसी के पास इस बात का जवाब नहीं है कि यह हड़ताल कब खत्म होगी.
पर्यटकों का न्यू ईयर सेलिब्रेशन हो गया फीका: उत्तराखंड के सभी जगहों का हाल ये है कि न तो रोडवेज की बसें चल रही है न ही ऑटो रिक्शा को सड़क पर चलने दिया जा रहा है. जिसका सीधा असर घूमने आए पर्यटकों पर पड़ रहा है. जिससे उत्तराखंड में नए साल का जश्न मनाने के लिए आए पर्यटकों को बस और टैक्सियां नहीं मिल रही है. जिस वजह से मसूरी, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल समेत तमाम पर्यटक स्थलों में पर्यटक फंस से गए हैं.
एक अनुमान के मुताबिक, नैनीताल और आसपास इलाके में 2 हजार से ज्यादा ऐसे पर्यटक हैं, जो अपने-अपने राज्यों की तरफ नहीं जा पा रहे हैं. करीब 600 से 700 पर्यटकों की संख्या मसूरी, धनौल्टी और टिहरी में भी है, जो अपने होटल में ही रुके हुए हैं. जो टैक्सी बुक कर जा रहे हैं, उन्हें भी हरिद्वार, रुड़की या ऋषिकेश के चौराहों पर रोक लिया जा रहा है.
तमाम तरह की खबरें सामने आने के बाद कोई भी पर्यटक अब पहाड़ से उतरने की सोच नहीं रहा है. हालांकि, प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, जो सड़क पर गाड़ियों को रोककर उनके साथ अभद्रता कर रहे हैं. कई पर्यटकों का कहना है कि बसें न चलने से टैक्सी वाले चांदी काट कर रहे हैं. उनसे मनमाना किराया भी वसूल रहे हैं.
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कुमाऊं में 50 हजार से ज्यादा टैक्सियों के थमेंगे पहिए, पंपों पर गहराने लगा तेल का संकट: कुमाऊ मंडल में कल से टैक्सी संचालकों ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. ऐसे में कुमाऊं में 50 हजार से ज्यादा टैक्सियों के पहिए थम जायेंगे. वहीं, ट्रांसपोर्टरों के हड़ताल के चलते पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल का संकट गहराने लगा है. पहाड़ों में ज्यादातर पेट्रोल पंप ड्राई हो गए हैं.
देहरादून में सन्नाटा और नीले ऑटो गायब: देहरादून की सड़कों पर रोजाना जाम लगता था, लेकिन मौजूदा समय में सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. नीले-पीले ऑटो गायब हैं. रोडवेज की बसें भी गायब हैं. सड़क पर इक्का-दुक्का प्राइवेट वाहन ही दिखाई दे रहे हैं. देहरादून के आईएसबीटी पर जो लोग पहुंच गए हैं, उन्हें बस में बैठने नहीं दिया जा रहा है.
बताया जा रहा है कि हरिद्वार और रुड़की बॉर्डर के आस पास एसी बसों को रोक कर उनके ड्राइवर व कंडक्टर के साथ अभद्रता की जा रही है. जिसके डर से अब जो रोडवेज के कर्मचारी बस चला भी रहे थे, उन्होंने भी साफ इनकार कर दिया है. ट्रांसपोर्ट यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी कहते हैं कि यह मोटर दुर्घटना कानून में संशोधन हमारे जैसे ड्राइवर और गाड़ी पर चलने वाले लोगों के लिए सही नहीं है.
कोई भी ड्राइवर ये नहीं चाहता कि किसी तरह की दुर्घटना वो करें, लेकिन अगर ऐसा हो भी जाता है तो इस कानून के तहत 10 साल तक उसे जेल में ही रहना पड़ेगा. उनका कहना है कि वो कानून के खिलाफ नहीं है, लेकिन पहले का कानून जो चला आ रहा है, वो ठीक था. अब 7 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा. एक ड्राइवर कई जिंदगियों को अपने हाथ में लेकर चलता है. ऐसे में वो भी सोच समझ ही वाहन चलाएगा. लिहाजा, कानून को वापस लिया जाना चाहिए.
परिवहन विभाग के अधिकारियों का आह्वान: उधर, परिवहन सचिव अरविंद ह्यांकी ने मामले को देखते हुए एक बैठक बुलाई. जिसमें यूनियन और परिवहन के अधिकारियों के साथ बातचीत की. राज्य के कई इलाकों में यात्री परेशान हो रहे हैं. साथ ही इमरजेंसी में लोग दर-दर भटक रहे हैं. लिहाजा, सभी ट्रांसपोर्ट से जुड़े ड्राइवर काम पर आएं, इसके लिए पुरजोर कोशिश की गई, लेकिन यह कोशिश फिलहाल सफल होती दिखाई नहीं दे रही है.
परिवहन सचिव अरविंद ह्यांकी कहते हैं कि लगातार कोशिश की जा रही है कि उत्तराखंड में परिवहन व्यवस्था सुचारू रूप से चले. आम जनता को काफी फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है. कानून में संशोधन केंद्र सरकार कर सकता है. लिहाजा, आम जनता की परेशानी को देखते हुए उनकी अपील है कि सभी अपने काम पर वापस लौट जाएं. उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश है. ऐसे में अच्छा संदेश पर्यटक यहां से जाएं, ऐसी कोशिश की जानी चाहिए.
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अनुबंधित बसों को चेतावनीः उधर, परिवहन विभाग ने ये बात भी स्पष्ट कर दी है कि अगर रोडवेज में शामिल अनुबंधित बसें सड़क पर नहीं चली तो 5 हजार रुपए प्रतिदिन जुर्माना वसूला जाएगा. ऐसे में चालक असमंजस की स्थिति में है. उनका कहना है कि सोमवार को जो बसें नहीं चली है, अगर वो मंगलवार की सुबह कुछ दूरी पर चलने की कोशिश भी कर रही थी तो उन्हें ट्रांसपोर्ट यूनियन के लोगों ने रोक दिया. ऐसे में वो भी नहीं चाहते कि उनकी बसों को किसी तरह का नुकसान पहुंचे.
परिवहन निगम के आरएम संजय गुप्ता का दावा, चल रही सभी बसें: उधर, परिवहन निगम के रीजनल मैनेजर संजय गुप्ता ने दावा किया है रोडवेज की सभी बसें संचालित हो रही है. किसी भी यात्री को असुविधा नहीं हो रही है. उन्होंने ये भी कहा कि हमारी कोई हड़ताल नहीं है. बसें सभी चल रही है. रास्ते में कुछ अराजक तत्व जरूर परेशान कर रहे हैं.
फैक्ट्रियों पर भी पड़ा हड़ताल का असर: सोमवार से ट्रक सड़क पर नहीं दौड़ रहे हैं. इसका असर उत्तराखंड के उद्योग जगत पर भी पड़ रहा है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन के उपाध्यक्ष सुरेश शर्मा कहते हैं कि कल से यह हड़ताल चल रही है. जबकि सही बात तो यही है कि अब तक उनके पास इसका कोई ड्राफ्ट नहीं आया है. ऐसे में वो भी नहीं चाहते हैं कि किसी तरह की कोई दिक्कत उद्योग जगत को आए.
अगर हरिद्वार या देहरादून सिडकुल की बात करें तो करीब 1600 बड़े वाहन माल ढोने के लिए रोजाना दोनों औद्योगिक क्षेत्र में आते और जाते हैं. सोमवार से बड़े वाहनों का संचालन न होने की वजह से माल से भरे हुए ट्रक सड़कों पर ही खड़े हैं. ऐसे में न केवल ट्रांसपोर्ट उद्योग से जुड़े लोगों को नुकसान हो रहा है. बल्कि, फैक्ट्री में भी कच्चा माल नहीं पहुंच रहा है.
सुरेश शर्मा कहते हैं कि रोजाना 1600 गाड़ी न जाने का मतलब है, ट्रांसपोर्ट से जुड़े व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान होना. उनकी कोशिश है कि दिल्ली में होने वाली बैठक के बाद कोई निर्णय जल्द ही निकाल लिया जाए. हरिद्वार सिडकुल संगठन मैन्युफैक्चरिंग के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग कहते हैं कि फिलहाल, एक दिन के हड़ताल का असर अभी कम दिख रहा है, लेकिन ऐसा ही रहा तो कंपनियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है.
क्या है हिट एंड रन कानून? मोटर वाहन अधिनियम के तहत हिट एंड रन केस के लिए नए कानून को लाया गया है. नए नियम के तहत अगर एक्सीडेंट में किसी की मौत हो जाती है या फिर टक्कर मारकर ड्राइवर फरार हो जाता है तो उसे 10 साल की सजा भुगतनी होगी. साथ ही 7 लाख रुपए का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.