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रैली की असफलता छिपाने के लिए प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का हो रहा नाटक : संयुक्त किसान मोर्चा

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Published : Jan 7, 2022, 5:54 PM IST

पंजाब में प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक (PM Modi's security lapse in Punjab) पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि रैली की असफलता (failure of the rally) को ढंकने के लिए प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी नाटक (Prime Minister and his party drama) कर रही है.

symbolic photo
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt kisan morcha) ने कहा बै कि फिरोजपुर रैली की असफलता को ढंकने के लिए प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक (PM Modi's security lapse in Punjab) का नाटक हो रहा है. हालांकि पूरे मामले पर किसान नेताओं की राय बंटी (Farmer leaders' opinion divided) हुई है.

पूरे मामले पर अब तक अलग अलग किसान नेता अपने निजी व्यक्तव्य देते रहे हैं लेकिन अब किसान संगठनों के साझा मंच द्वारा भी पूरे प्रकरण पर बयान सामने आया है. संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े वरिष्ठ नेताओं के हवाले से जारी व्यक्तव्य (Statement issued by quoting senior leaders) में यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी के रैली वाले दिन पंजाब के सभी जिला तहसीलों में मोर्चे से जुड़े 10 किसान संगठनों द्वारा प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया था.

इस उद्देश्य से 2 जनवरी को पूरे पंजाब में गांव स्तर पर और 5 जनवरी को जिला और तहसील मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन के कार्यक्रम घोषित किए गए थे. प्रधानमंत्री की यात्रा रोकने या उनके कार्यक्रम में अड़चन डालने का कोई कार्यक्रम नहीं था.

यह प्रदर्शन लखीमपुर खीरी मामले को लेकर किसान मोर्चा की मांग अजय मिश्र टेनी की गिरिफ्तारी और अन्य बकाया मांगो को लेकर आयोजित किया गया था. इसी क्रम में जब पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ किसानों को फिरोजपुर जिला मुख्यालय जाने से रोका गया तो उन्होंने कई जगह सड़क पर बैठ कर इसका विरोध किया.

इनमें से प्यारेयाणा का वह फ्लाईओवर भी था जहां प्रधानमंत्री का काफिला आया, रुका और वापस चला गया. वहां के प्रदर्शनकारी किसानों को इसकी कोई पुख्ता सूचना नहीं थी कि प्रधानमंत्री का काफिला वहां से गुजरने वाला है. उन्हें तो प्रधानमंत्री के वापिस जाने के बाद मीडिया से यह सूचना मिली.

हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के बयान और भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के प्रमुख सुरजीत सिंह फूल (Surjit Singh Phool, chief of the Bharatiya Kisan Union के बयान में स्पष्ट विरोधाभास दिखाई देता है. फिरोजपुर में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे सुरजीत सिंह फूल ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उन्हें स्थानीय एसएसपी ने बताया कि इस रूट से ही प्रधानमंत्री का काफिला गुजरेगा जिसे उन्होंने नहीं माना और वहीं टिके रहे.

लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में कहा गया है कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूट की सूचना उनके काफिले के लौटने के बाद मीडिया के माध्यम से मिली. घटनास्थल की जारी तस्वीरों में स्पष्ट दिखाई देता है कि किसान प्रदर्शनकारी महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर ही खड़े थे और सड़क को पूरी तरह से ब्लॉक कर रखा था.

जबकि किसान मोर्चा इसको प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन बता रही है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री के काफिले की तरफ जाने की कोई कोशिश तक नहीं की और इसलिए किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री के जान पर खतरा होने की बात को मनगढ़ंत करार दिया है.

पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में भारी चूक पर जहां एक ओर केंद्र सरकार और बीजेपी पंजाब की कांग्रेस सरकार को दोषी ठहरा रही है वहीं प्रधानमंत्री के रूट को ब्लॉक करने वाले किसान संगठन अपनी सफाई में कह रहे हैं कि उन्हें पुख्ता तौर पर इसकी जानकारी ही नहीं थी कि प्रधानमंत्री मोदी का काफिला सड़क मार्ग से प्यारियाणा फ्लाईओवर होते हुए गुजरेगा.

हालांकि अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ हाई कोर्ट के नेतृत्व में गठित कमिटि द्वारा राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सबसे पहले प्रधानमंत्री के दौरे से संबंधित सभी रेकॉर्ड्स सुरक्षित किये जाएं और कमिटि तीन दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे.

यह भी पढ़ें- Pm security breach: पंजाब सीएम पर हरियाणा के मुख्यमंत्री का सनसनीखेज आरोप, बेचैन थे चन्नी

इन सबके बीच राजनीतिक दोषारोपण का सिलसिला भी जारी है, जिसमें अब संयुक्त किसान मोर्चा भी शामिल हो गया है. कहीं न कहीं जारी किए गए व्यक्तव्य में किसान मोर्चा भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते हुए रैली की विफलता को प्रधानमंत्री की वापसी का मुख्य कारण बताया है और सुरक्षा की चूक को महज एक ढोंग करार दिया है.

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt kisan morcha) ने कहा बै कि फिरोजपुर रैली की असफलता को ढंकने के लिए प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक (PM Modi's security lapse in Punjab) का नाटक हो रहा है. हालांकि पूरे मामले पर किसान नेताओं की राय बंटी (Farmer leaders' opinion divided) हुई है.

पूरे मामले पर अब तक अलग अलग किसान नेता अपने निजी व्यक्तव्य देते रहे हैं लेकिन अब किसान संगठनों के साझा मंच द्वारा भी पूरे प्रकरण पर बयान सामने आया है. संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े वरिष्ठ नेताओं के हवाले से जारी व्यक्तव्य (Statement issued by quoting senior leaders) में यह कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी के रैली वाले दिन पंजाब के सभी जिला तहसीलों में मोर्चे से जुड़े 10 किसान संगठनों द्वारा प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया था.

इस उद्देश्य से 2 जनवरी को पूरे पंजाब में गांव स्तर पर और 5 जनवरी को जिला और तहसील मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन के कार्यक्रम घोषित किए गए थे. प्रधानमंत्री की यात्रा रोकने या उनके कार्यक्रम में अड़चन डालने का कोई कार्यक्रम नहीं था.

यह प्रदर्शन लखीमपुर खीरी मामले को लेकर किसान मोर्चा की मांग अजय मिश्र टेनी की गिरिफ्तारी और अन्य बकाया मांगो को लेकर आयोजित किया गया था. इसी क्रम में जब पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ किसानों को फिरोजपुर जिला मुख्यालय जाने से रोका गया तो उन्होंने कई जगह सड़क पर बैठ कर इसका विरोध किया.

इनमें से प्यारेयाणा का वह फ्लाईओवर भी था जहां प्रधानमंत्री का काफिला आया, रुका और वापस चला गया. वहां के प्रदर्शनकारी किसानों को इसकी कोई पुख्ता सूचना नहीं थी कि प्रधानमंत्री का काफिला वहां से गुजरने वाला है. उन्हें तो प्रधानमंत्री के वापिस जाने के बाद मीडिया से यह सूचना मिली.

हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के बयान और भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के प्रमुख सुरजीत सिंह फूल (Surjit Singh Phool, chief of the Bharatiya Kisan Union के बयान में स्पष्ट विरोधाभास दिखाई देता है. फिरोजपुर में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे सुरजीत सिंह फूल ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उन्हें स्थानीय एसएसपी ने बताया कि इस रूट से ही प्रधानमंत्री का काफिला गुजरेगा जिसे उन्होंने नहीं माना और वहीं टिके रहे.

लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के बयान में कहा गया है कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूट की सूचना उनके काफिले के लौटने के बाद मीडिया के माध्यम से मिली. घटनास्थल की जारी तस्वीरों में स्पष्ट दिखाई देता है कि किसान प्रदर्शनकारी महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर ही खड़े थे और सड़क को पूरी तरह से ब्लॉक कर रखा था.

जबकि किसान मोर्चा इसको प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन बता रही है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री के काफिले की तरफ जाने की कोई कोशिश तक नहीं की और इसलिए किसान नेताओं ने प्रधानमंत्री के जान पर खतरा होने की बात को मनगढ़ंत करार दिया है.

पंजाब के फिरोजपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में भारी चूक पर जहां एक ओर केंद्र सरकार और बीजेपी पंजाब की कांग्रेस सरकार को दोषी ठहरा रही है वहीं प्रधानमंत्री के रूट को ब्लॉक करने वाले किसान संगठन अपनी सफाई में कह रहे हैं कि उन्हें पुख्ता तौर पर इसकी जानकारी ही नहीं थी कि प्रधानमंत्री मोदी का काफिला सड़क मार्ग से प्यारियाणा फ्लाईओवर होते हुए गुजरेगा.

हालांकि अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ हाई कोर्ट के नेतृत्व में गठित कमिटि द्वारा राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सबसे पहले प्रधानमंत्री के दौरे से संबंधित सभी रेकॉर्ड्स सुरक्षित किये जाएं और कमिटि तीन दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे.

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इन सबके बीच राजनीतिक दोषारोपण का सिलसिला भी जारी है, जिसमें अब संयुक्त किसान मोर्चा भी शामिल हो गया है. कहीं न कहीं जारी किए गए व्यक्तव्य में किसान मोर्चा भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते हुए रैली की विफलता को प्रधानमंत्री की वापसी का मुख्य कारण बताया है और सुरक्षा की चूक को महज एक ढोंग करार दिया है.

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